अमरावती

श्मशान भूमि ‘हाउसफुल’, खुली जगह पर करना पड रहा अंतिम संस्कार

शुक्रवार को मोक्षधाम में पहुंचे 26 पार्थिव

  • श्मशान की क्षमता से अधिक शवों का हुआ दाह संस्कार

  • कोविड व सारी की बीमारी से मौतों का प्रमाण बढा

अमरावती/दि.17 – इन दिनों कोविड की संक्रामक महामारी का संकट लगातार गहराता जा रहा है और शहर में कोविड व सारी सहित अन्य बीमारियों की वजह से रोजाना औसतन 8 से 13 लोगों की मौत हो रही है. जिनके पार्थिवों को अंतिम संस्कार हेतु हिंदू श्मशान भूमि में लाया जा रहा है. साथ ही साथ प्राकृतिक एवं अन्य वजहों के चलते मृत होनेवाले लोगों के पार्थिव भी अंतिम संस्कार हेतु हिंदू श्मशान भूमि में लाये जाते है. ऐसे में हिंदू श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार हेतु पार्थिव शरीरों की कतार देखी जा रही है और क्षमता से अधिक मृतदेह पहुंचने की वजह से यहां पर अंतिम संस्कार हेतु जगह कम पडने लगी है. ऐसे में हिंदू श्मशान भूमि की सुरक्षा दीवार के पास जमीन पर लकडी की चिता सजाते हुए कई पार्थिवों का अंतिम संस्कार करना पड रहा है. गत रोज हिंदू मोक्षधाम में कुल 26 पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार हेतु लाया गया. जिसमें से 16 की मौत कोविड व सारी संक्रमण की वजह से हुई थी और उनके मृतदेहों को बॉडी बैग में बंद करके स्वास्थ्य विभाग के पथक द्वारा अस्पताल से सीधे श्मशान भूमि लाया गया. वहीं 10 मौतें प्राकृतिक कारणों के चलते हुई थी. जिसमें पार्थिव देहों को मृतक के रिश्तेदारों द्वारा श्मशान भूमि लाया गया था.
बता दें कि, कोविड व सारी संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के पार्थिव पर मोक्षधाम की गैस शवदाहिनी में अंतिम संस्कार किया जाता है और एक पार्थिव का अंतिम संस्कार करने हेतु करीब डेढ से दो घंटे का समय लगता है. ऐसे में एक के पीछे एक 16 संक्रमितों के शव अंतिम संस्कार हेतु पहुंचने के चलते गैस शवदाहिनी की क्षमता कम पड सकती थी. इस बात के मद्देनजर कई संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार लकडी की चिता पर किया गया. वहीं इस दौरान प्राकृतिक वजहों के चलते मृत हुए दस मृतकों के शव भी अंतिम संस्कार हेतु हिंदू मोक्षधाम लाये गये थे. जिनका अंतिम संस्कार लकडी की चिताओं पर किया गया. ऐसे में यहां पर चिता सजाने के लिए चबुतरे और जगह कम पड गये. जिसकी वजह से मोक्षधाम की सुरक्षा दीवार से सटी खाली जमीन पर लकडियों की चिता सजाते हुए कई शवों का अंतिम संस्कार करना पडा.

सुबह से शाम तक चल रहा अंतिम संस्कार का काम

इन दिनों मोक्षधाम की गैसदाहिनी के दोनों यूनिट रोजाना सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक काम कर रहे है. यहां पर इन दिनों क्षमता से अधिक मृतदेह अंतिम संस्कार हेतु लाये जा रहे है. ऐसे में हिंदू मोक्षधाम के शेड के भीतर अंतिम संस्कार के लिए चबुतरे और जगह भी कम पडने लगे है. अत: मोक्षधाम की सुरक्षा दीवार के भीतर खाली पडी खुली जमीन पर चिता सजाते हुए अंतिम संस्कार करने पड रहे है. यह अपने आप में बेहद बिकट स्थिति है. जिसके बारे में हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी.

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