अमरावतीमहाराष्ट्र

खुद के खर्च से लावारिस शव पर अंतिम संस्कार

सामाजिक दायित्व के रुप में हिंदू स्मशान भूमि शुल्क भी नहीं लेती

अमरावती/दि.30– जाति, धर्म न देखते हुए जिन मृतकों का कोई नहीं है, ऐसो का अंतिम संस्कार हिंदू स्मशान भूमि संस्था व्दारा सामाजिक दायित्व के रुप में किया जाता है. मध्यरात्रि को अथवा यदि रिश्तेदारों के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे न रहे और ऐसे लोगों व्दारा अनुरोध किया गया, तो मृतकों पर अंतिम संस्कार का सामाजिक कार्य इस स्मशान भूमि व्दारा किया जाता है. समाज के कुछ युवक भी ऐसे काम के लिए सामने आते हैं. अनेक बार अंतिम संस्कार सहित सभी धार्मिक विधी व खर्च वही करते हैं, ऐसी जानकारी भी हिंदू स्मशान भूमि व्दारा दी गई.

सडक किनारे रहनेवाले, पागल, जिला प्रशासन व्दारा बार-बार सूचना करने के बाद भी जिन शवों को कब्जे में लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा, जिस शव का कोई वारिस नहीं ऐसे सैकडों शवों पर आज तक अंतिम संस्कार किए गए हैं. 2023 में ऐसे 106 शवों पर अंतिम संस्कार किए गए. उनकी सभी विधि भी की गई. अनेक लावारिस शवों पर गैसदाहिनी में अंतिम संस्कार किया जाता है. मुंबई से आए एक शव का 27 जनवरी की रात 12 बजे अंतिम संस्कार करने का अनुरोध रिश्तेदारों व्दारा किया गया. उसे भी स्वीकार किया गया. जिला अस्पताल, पुलिस की तरफ से आनेवाले शव के साथ पत्र रहता है. उसे सुरक्षित रखा जाता है. कुछ शवों के रिश्तेदार विदेश में रहते हैं. अनेक बार उन्हें आना संभव न रहा और उन्होंने अनुरोध किया तो, उन शवों पर अंतिम संस्कार कर अस्थी लॉकर में सुरक्षित रखी जाती है. जिस समय रिश्तेदार आते हैं उस समय उन्हें सौंप दी जाती है. लेकिन कोई बार-बार पत्र व्यवहार करने के बावजूद प्रतिसाद न देता हो तो हिंदू स्मशान भूमि के त्रिवेणी धाम में अस्थी पंडितों के जरिए विसर्जित की जाती है. प्रत्येक बातों को दर्ज किया जाता है, ऐसा भी हिंदू स्मशान भूमि व्दारा कहा गया.

* उनसे एक रुपया भी नहीं लिया जाता
जिनके पास पैसे न हो ऐसो का अनुरोध मान्य किया जाता है. मृतकों के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी नाजूक रहती है. उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे भी नहीं रहते, ऐसो से एक रुपया न लेते हुए हम मृतकों का अंतिम संस्कार करते हैं.
– एड. आर. बी. अटल,
अध्यक्ष हिंदू स्मशान भूमि

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