अपराधियो का अड्डा बन चुका है जुड़वां शहर
नवनियुक्त थानेदार संतोष ताले और माधव गरुड़ के सामने चुनौती
* पुलिस का डीबी स्कॉड शोपीस बनकर रह गया
परतवाड़ा/अचलपुर/दि.29- समय और काल के अनुसार हर शहर और महानगर में अपराध करने की प्रवृति भी बदलती रहती है. साथ ही समय के अनुसार जनसंख्या के अनुपात में पुलिस कर्मियों की संख्या में भी आवश्यक वृद्धि की जानी चाहिए. इन दो कटु सत्य को मानने के बाद भी यही कहा जायेगा कि अच्छा और बेहतर सेनापति वही होता है, जो उपलब्ध सैनिकों और संसाधनों के बल पर अपनी लड़ाई जीतकर दिखाए. आज अचलपुर-परतवाड़ा में ऐसी ही कुछ अपेक्षा नवनियुक्त थानेदार संतोष ताले और माधव गरुड़ से की जा रही है.
जुड़वां शहर के दोनों शहरों में अपराधों पर कोई अंकुश नही है. श्यामा पहेलवान की हत्या से शुरू हुआ हत्याओं और मारकाट का सिलसिला आज तक बदस्तूर जारी है. दूसरी ओर पिछले बीस वर्षों में पुलिस तंत्र आज तक अफीम, गांजा, चरस जैसे मादक पदार्थों की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने में पूर्णत: विफल रहा है. स्थानीय पुलिस और उसके डीबी स्कॉड को सरकारी देशी-विदेशी शराब पकड़ने में ज्यादा दिलचस्पी रहती, वही सरेआम गांजा और चरस का सेवन करती हमारी युवा पीढ़ी को इस नर्क में जाने से रोकने के लिए आज तक पुलिस ने कभी ईमानदाराना प्रयास नहीं किये है. पूर्व में सदानंद मानकर और सेवानंद वानखडे के कार्यकाल में भी मादक पदार्थों की बिक्री आम बात रही और आज भी इसका बाजार फल-फूल रहा है. परतवाड़ा के मुगलाईपुरा से लेकर अचलपुर के गांधी पुल और सरमसपुरा तक रोजाना करीब पांच लाख रुपये की गांजा बिक्री होने की खबर है. यदि आपका नेटवर्क तगड़ा है, तो फिर ये मादक पदार्थ विक्रेताओं के हौसले बुलंद क्यों, यह सवाल जेहन में हमेशा खड़ा रहता है.
इसके साथ ही दोनों शहरों की यातायात व्यवस्था पंगु बन चुकी है. ट्रैफिक पुलिस के जवान कभी-कभार चौक-चौराहों पर दिख जरूर जाते, लेकिन उनके हाथ मे मोबाइल फोन रहता है और आंखे सड़क की बजाय सोशल मीडिया पर टिकी होती है. यातायात का संचालन करना, बेतरतीब पाकिर्ंग को हटाना, तेज गति से जा रहे युवकों को रोककर डांट-डपट कर समझाना आदि कोई भी काम ट्रैफिक पुलिस करती नजर नहीं आती है. अचलपुर व परतवाड़ा ये दोनों शहर खालाजी का घर बने हुए है. आप कहीं से भी ट्रक ले जा सकते हैं और किसी भी जगह पर अपनी कार व बाइक की पाकिर्ंग कर सकते हैं.
पिछले पांच वर्षों में जेबकतरों का भी एक रिकॉर्ड बना है. पुलिस की असीम अनुकंपा से जेबकतरों की चांदी ही चांदी है. चोरों के लिए भी दोनों शहर काफी सेहतमंद हो चुके है. चोरियों का कोई डिटेक्शन नही है. डीबी स्कॉड सिर्फ आराम कर रहा. इसी डीबी स्कॉड के सौजन्य से परतवाड़ा के चिखलदरा स्टॉप पर करीब एक दर्जन से भी ज्यादा लोग अवैध शराब और वरली मटके के धंधे में अपनी रोजी रोटी चला रहे है. अमरावती रोड पर नीलेश राखोंडे के घर मे हुई चोरी, सिविल लाइन में एलजी शोरूम में चोरी का प्रयास करना, चड्डी-बनियान गिरोह का आतंक, देवमाली के महालक्ष्मी टाउनशिप में रतन मोरे के घर में हुई चोरी, रश्मिनगर में दो-तीन मर्तबा चोरी के प्रयत्न होना, नवरात्र में श्याम टॉकीज के पास जागृति नवदुर्गा मंडल में चोरी, कांडली स्थित देशी शराब की दुकान से 70 पेटी शराब चोरी करना ये सिर्फ उदाहरण मात्र है. अब हालात ये भी है कि कई समझदार लोग तो अपने यहां हुई चोरी की रिपोर्ट लिखवाना भी उचित नहीं मानने लगे.
उधर बस स्टैंड पर आये दिन निजी ट्रैवल्स संचालको की गुंडागर्दी बढ़ने लगी है. रोजाना वहां पर झगड़े होने की खबरे मिलती हैं. एसटी बस स्थानक से दो सौ मीटर दूरी के नियम का पालन निजी बस संचालक कभी करते ही नहीं हैं. एसटी स्टैंड पर भी ट्रैफिक पुलिस खड़ी रहती, किंतु वो मूक दर्शक बनकर सिर्फ तमाशा देखने के लिए है. परतवाड़ा के सफेद पुल से लेकर सर्किट हाउस तक बाइक सवार को गाड़ी चलाना भी मुश्किल होता है. सड़क के एक तरफ मछली-मटन की अवैध दुकानें और दूसरी ओर अवैध यात्री वाहन सड़क घेरे खड़े रहते हैं. कोई भी माई का लाल इन्हें वहां से हटा नही सकता है. यातायात सुचारू करने के लिए पुलिस विभाग हमेशा नगर पालिका प्रशासन पर ठीकरा फोड़ते रहता है. यह योग्य नहीं कहा जा सकता है. सड़क पर यातायात क्लियर रखना यह सिर्फ और सिर्फ पुलिस की जवाबदारी ही कही जाएगी.
पूर्व के थानेदार सदानंद मानकर और सेवानंद वानखडे ने कोरोना काल में जुड़वाशहर की प्रशंसनीय सेवा भी की है. इन दोनों के प्रयास ईमानदारी भरे थे, इसी वजह से लोग घरों में रहे और कोरोना से अकाल मौतें रोकने में सफलता मिल सकी. हर पुलिस अधिकारी कुछ खास काम जरूर कर जाता है. निगरानी बदमाशो को तड़ीपार भी किया गया है. लेकिन जो अपराधी एक्टिव हैं, उन पर अंकुश लगाना होगा. दीपावली का बाजार शुरू हो चुका है. ट्रैफिक व्यवस्था बनाये रखने पुलिस बैरिकेड्स लगाकर यातायात को वनवे कर सकती है. भारी वाहनों को बाजार में प्रतिबंधित किया जा सकता है. रात 9 से सुबह 6 बजे तक ही ट्रको को शहर में आने दिया जाए. सबसे बडी राहत तो यह भी हो सकती है कि ट्रैफिक पुलिस के सिपाही सुबह नौ बजे आकर अपने पॉइंट पर खड़े हो जाये, इतना करने पर भी इससे कम से कम दीपावली तक मेन रोड, सदर बाजार, देवड़ी, चावलमंडी में ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं होंगी और जुडवां शहर के बाशिंदे कुछ हद तक राहत की सांस ले सकेंगे.