अमरावती

दर्यापुर तहसील में कपास बोंड इल्ली का संकट

तहसील अधिकारी ने किसानों को दी सलाह

दर्यापुर प्रतिनिधि/दि.२७ – २०२० यह वर्ष किसानों के लिए बहुत नुकसानदायक रहा है. पहले कोरोना के कारण किसान, किसान मजदूर को नुकसान सहन करना पड़ा है. उसके बाद मूंग,उड़द, सोयाबीन फसल उत्पन्न ही नहीं हुई और कहीं पर उत्पन्न हुई तो उसका खर्च पूरा नही हुआ और अब कपास पर बोंड इल्ली नामक संकट आ गया है. दर्यापुर तहसील के परिसर में अधिकांश खेत में बोंड इल्ली का कम ज्यादा प्रमाण में नुकसान देखने को मिल रहा है. जिसके कारण किसान फिर संकट में पड़ गया है. और उसमें यह संकट कोई भी औषधी अथवा फवारणी से ठीक होगा ,ऐसा नहीं है. बोंडइल्ली बोंड में जाने से पहले उन पर नियंत्रण किया जा सकता है. एक बार इल्ली बोंड में जाने पर उस पर कोई उपाय नहीं किया जा सकता. केवल उसका नुकसान कम करने का प्र्रयास कर सकते हैे किसान इतनी मेहनत से फसल उंगाता है.परंतु निसर्ग साथ नहीं देता. इस वर्ष बारिश अधिक होने से यह संकट आया, ऐसा कहा जाता है. जिसके कारण किसानों को खेत की देखभाल करके नुकसान है या नहीं यह देखें व नुकसान के अनुसार उपाय योजना करने का प्रयास करे. कृषि विभाग ने गांव के कपास की जांच करके नुकसान कैसे हुआ. इस संबंध में मार्गदर्शन करने की विनती गांव के किसान कर रहे है.
नुकसान के प्रकार- यह कपास का नुकसान करनेवाली कीड है.इस कीड का प्रभाव जुलाई से अक्तूबर-नवंबर में अधिक रहता है. इल्ली का पतंग (पखेरू/कीटक पक्षी)छोटा, गर्द बदामी रंग का होता है. पंख पर बारीक काले टिपके रहते है. छोटी इल्ली पहले हल्की पीली व बाद में सफेद (दुसरी अवस्था)होकर वह सिंदूरी गुलाबी (तीसरी अवस्था) रंग प्राप्त होता है. यह कीड शुरूआत में पत्ते, फुल, कली पर होती है. उसके बाद बोंड में छेद करके अंदर जाती है और वह छेद बंद कर देती है. बोंड की इल्लिया रूई में छेद करके सरकी खाते है. अधिक प्रभाव हुए फुल, कलिया गलकर गिरते है व बोंडे ने भरकर फूलकर गल जाती है.
जैविक-एचएनपीवी ५०० मिली १ किलो प्रति हेक्टरी का उपयोग करे अथवा क्रायसोला इस मित्र कीड की अंडी ५०००० प्रति हेक्टरी छोड़े ५प्रतिशत निंबोली अर्क की फवारनी दे.
रासायनिक -क्लोरोपायरीफॉस ५०प्रतिशत १००० मिली अथवा क्विनॉफॉस २० प्रतिशत १००० मिलीप्रति हेक्टरी ५००लीटर पानी से फवारनी करे. ऐसा सलाह तहसील कृषि अधिकारी राजकुमार अडगोकर राजेश तराल ने किसानों को दी है.

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