कोल्हे हत्याकांड में युएपीए की धाराओं को लेकर दिख रहा संभ्रम
एनआईए अब तक स्थापित नहीं कर सका है नैशनल टेरर का कोई लिंक
* धाराएं लगाने को लेकर एनआईए की मीडिया के साथ भी चुप्पी
अमरावती/दि.7- विगत 21 जून को अमरावती में घटित उमेश कोल्हे हत्याकांड की जांच को अपने हाथ में लेने के साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने कोतवाली पुलिस द्वारा पकडे गये सातों आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धाराओं के साथ-साथ केंद्रीय आतंकवादरोधी अधिनियम यानी युएपीए एक्ट की तीन धाराओं के तहत एक स्वतंत्र एफआईआर दर्ज की है. अमूमन युएपीए एक्ट की धाराएं किसी भी तरह के आतंकी या देश विरोधी कृत्यवाले मामलों में लगायी जाती है. लेकिन उमेश कोल्हे हत्याकांड में अब तक आरोपियों का नैशनल टेरर या इंटरनैशनल कॉन्टैक्ट को लेकर कोई लिंक स्थापित होता नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसे में स्थानीय विधि विशेषज्ञों सहित मामले पर नजर गडाये बैठे लोकल व नैशनल मीडिया में भी इस मामले में युएपीए एक्ट की धाराएं लगाये जाने के संदर्भ में काफी हद तक संभ्रम देखा जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोल्हे हत्याकांडवाले मामले में मुख्य सूत्रधार के तौर पर नामजद किये गये शेख इरफान द्वारा रहबर हेल्पलाईन नामक एक एनजीओ चलाया जाता है. आरोप लगाये जा रहे है कि, शेख इरफान के इस एनजीओ को विदेशों से विशेषकर खाडी देशोें से फंडिंग होती है. लेकिन एनआईए व स्थानीय पुलिस के हाथ में अब तक इसे लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं लगा है. साथ ही उमेश कोल्हे हत्याकांड के तार भी किसी बाहरी शहर अथवा व्यक्ति से जुडते नजर नहीं आ रहे है. ऐसे में सबसे बडा सवाल फिलहाल यही है कि, आखिर एनआईए द्वारा किस आधार पर इस मामले में युएपीए एक्ट की धाराएं जोडी गई है और एनआईए इसे अदालत में किसी तरह से साबित कर पायेगी.
इस बारे में जानकारी लेने हेतु जब इस वक्त अमरावती में मौजूद एनआईए के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने इस बारे में कोई भी बात करने से मना कर दिया. विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत गुरूवार की रात से अमरावती में मौजूद एनआईए की टीम ने मीडिया के साथ एक तरह की दूरी बना रखी है और एनआई की टीम में शामिल अधिकारियों द्वारा अब तक मीडिया के साथ कोई बातचीत नहीं की गई है. ऐसे में एनआईए द्वारा की जा रही जांच-पडताल और कार्रवाई को लेेकर निश्चित तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आ पा रही.
* क्या कहती हैं युएपीए की ये तीन धाराएं-
– धारा 16 – आतंकवादी कृत्य के लिए सजा
(1) जो कोई आतंकवादी कार्य करेगा, वह,
(ए) – यदि इस तरह के कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय होगा, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा.
(बी) – किसी भी अन्य मामले में, कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा.
– धारा 18 – षडयंत्र आदि के लिए दण्ड
जो कोई भी किसी आतंकवादी कृत्य या किसी आतंकवादी कृत्य को करने की तैयारी करनेवाले किसी कृत्य को करने के लिए षडयंत्र या करने का प्रयास करता है, या वकालत करता है, उकसाता है, सलाह देता है या उकसाता है, या जानबूझकर सुविधा प्रदान करता है, वह दंडनीय होगा. एक अवधि के लिए कारावास, जो पांच वर्ष से कम नहीं होगा, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा.
– धारा 19 बंदी, आदि के लिए दंड
जो कोई भी स्वेच्छा से किसी व्यक्ति को यह जानते हुए कि वह आतंकवादी है, किसी व्यक्ति को शरण देने या छिपाने का प्रयास करता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, दंडनीय होगा. आजीवन, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा.