अमरावती/दि.10 – गत रोज राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वर्ष 2023-24 हेतु शिंदे-फडणवीस सरकार का पहला बजट पेश किया. 16122 करोड रुपए का राजस्व घाटा रहने वाले इस बजट में कई बडी-बडी योजनाओं व सहुलियतों की घोषणा की गई. जिसमें अमरावती शहर व जिले के लिए भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई है. जिनका सत्ता पक्ष से जुडे राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों द्बारा स्वागत किया गया है. वहीं विपक्षी दलों के पदाधिकारियों ने इस बजट की आलोचना करते हुए इसे निराशाजनक बताया है. इसके अलावा सामाजिक व अन्य क्षेत्र के गणमान्यों ने भी इस बजट को लेकर अपनी अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी है.
* इर्विन, डफरीन व सुपर के लिए निधि की मांग अधूरी
जिला सामान्य अस्पताल (इर्विन) व जिला स्त्री अस्पताल (डफरीन) सहित सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में वैद्यकीय सुविधाओं को और अधिक मजबूत व विस्तारित करने हेतु सरकार के पास प्रस्ताव भेजे गए थे. परंतु पूरक मांगों में इसे लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया. जिसकी वजह से इन कामों के लिए इस बजट में निधि नहीं मिल पायी. ऐसे में उम्मीद है कि, जुलाई माह में होने वाले सत्र में निधि का प्रावधान हो पाए.
– सुलभा खोडके,
विधायक, अमरावती
* पश्चिम विदर्भ के लिए कुछ नहीं
इस बजट में एक बार फिर अमरावती व पश्चिम विदर्भ क्षेत्र की अनदेखी की गई है और पुरानी घोषणाओं को ही इस बजट में फिर दोहराया गया है. सरकारी मेडिकल कॉलेज की घोषणा चौथी बार की गई है. वहीं बेलोरा विमानतल का मामला अब भी प्रलंबित है. कुल मिलाकर इस बजट में पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के लिए कुछ भी नहीं है. अत: इस बजट को निराशाजनक कहा जा सकता है.
– डॉ. सुनील देशमुख,
पूर्व पालकमंत्री
* बनवाबनवी वाला बजट
वर्ष 2014 से हर दिन प्रत्येक क्षेत्र में महंगाई बढ रही है और विकास दर लगातार घट रही है. इसका कोई तालमेल इस बजट में दिखाई नहीं दिया. महाआघाडी सरकार द्बारा शुरु की गई जनहितकारी योजनाओं के नाम बदलकर राज्य की जनता को और भी अधिक महंगाई की खाई में ढकेलने वाला अर्थहिन बजट पेश किया गया है. किसान, मजदूर, महिला, विद्यार्थी, व्यापारी व नौकरी पेशा ऐसे सभी घटकों का प्रयोग केवल आंकडें बढाने के लिए किया गया है. यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है और आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए बनवाबनवी बजट पेश किया गया है.
– ज्ञानेश्वर धाने पाटिल,
पूर्व विधायक,
* सर्वसामान्यों को निराश करने वाला बजट
राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार ने अपने पहले बजट में महाराष्ट्र की जनता को पूरी तरह से निराश किया है. यह बजट एक तरह से चुनावी जुमला है और इस बजट का हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. मैंने इस बजट में विकास कामों के लिए 300 करोड रुपए के प्रस्ताव सरकार के पास पेश किए थे. जिसमें से केवल रास्तोें के काम हेतु सरकार ने 15 करोड रुपए से भी कम निधि दी है. किसानों और सर्वसामान्य नागरिकों के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है.
– देवेंद्र भुयार,
विधायक मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र
* पूरी तरह से बेकार है बजट
सर्वसामान्यों के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है. शब्दों की लच्छेबाजी और घोषणाओं की जुमलेबाजी करते हुए इस बजट मेें कई बडे-बडे घोषणाएं की गई है. लेकिन कितना पैसा दिया जाएगा और पैसा कहां से आएंगा. इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. जिससे पहले भी वर्ष 2014 में खुद देवेंद्र फडणवीस ने धनगर समाज के लिए करोडों रुपए की निधि देने की घोषणा की थी. लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं हुआ. ठीक उसी तरह इस बार धनगर समाज हेतु 1 हजार करोड रुपए दिए जाने की घोषणा का भी अंजाम होने वाला है.
– एड. दिलीप एडतकर,
प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस
* विरोधक हो, तो देवेंद्रजी जैसा
मैं महाविकास आघाडी में हूं, विगत लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाडी की प्रत्याशी नवनीत राणा की जीत रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की वजह से संभव हुई थी और हाल ही में हुई कसबा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भी मविआ प्रत्याशी रवींद्र धंगेकर की जीत हेतु रिपाई कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हमारे दिवंगत नेता रासू गवई ने भी अपने पूरे राजनीतिक जीवन के दौरान कांग्रेस को ही ताकत देने का काम किया. लेकिन दुर्भाग्य से महाविकास आघाडी की सरकार रहते समय दादासाहब के स्मारक हेतु एक रुपया भी उपलब्ध नहीं हो पाया. वहीं आज देवेंद्र फडणवीस ने बजट में इस स्मारक हेतु निधि उपलब्ध कराते हुए विरोधक कैसा होना चाहिए, यह दिखा दिया. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, दादासाहब गवई के स्मारक की घोषणा भी फडणवीस के ही कार्यकाल में हुई थी.
– डॉ. राजेंद्र गवई,
राष्ट्रीय महासचिव, रिपाई