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फसल बीमा पर भिडे पोटे और अब्दुल सत्तार

अपनी ही सरकार के मंत्री पर लगाई तोहमतें

* सत्तार सदन में देते रहे सफाई
अमरावती/दि.16- राज्य विधान परिषद में आज फसल बीमा के मुद्दे पर अमरावती के भाजपा नेता प्रवीण पोटे पाटिल और कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के बीच नोंकझौंक हो गई. पोटे पाटिल ने सत्तार को बीमा कंपनी का प्रतिनिधि जैसा बता दिया. जिससे सत्तार ने भी क्रुद्ध होकर उन पर पलटवार किया. ऐसे ही बीमा कंपनी से फसल का बीमा करते समय नीति और शर्ते तय करने का काम केंद्र शासन का होने का खुलासा किया. पोटेे पाटिल किसानों के मुद्दे पर थोडे आक्रामक हो गए थे. उन्होंने सदन में कहा कि वे कास्तकार हैं. इसी नाते कृषि मंत्री से काफी बातें जानना चाह रहे है कि नुकसान का अहवाल तैयार करने 72 घंटे अर्थात 4-4 दिन लग जाते हैं. किसान हैरान परेशान रहने पर भी कंपनियां हाथ खडे कर देती है.
* लगातार हुई टोकाटोकी
उच्च सदन में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के प्रश्न के तुरंत बाद पोटे पाटिल ने उपप्रश्न की झडी लगा दी. उन्होंने अपनी रौ में कृषि मंत्री के जवाब को बीमा कंपनी के प्रतिनिधि के जवाब की संज्ञा दे दी. जिसके बाद विपक्ष ने भी पोटे पाटिल का समर्थन कर दिया. इस बीच लगातार टोकाटाकी भी हो रही थी, जिसे सभापति डॉ. नीलम गोर्‍हे ने रोकने का प्रयास किया.
* फसलों को लेकर सवाल
पोटे पाटिल ने थोडे तैश में आकर कृषि मंत्री से पूछा कि किन फसलों के लिए जीयो टैगिंग है और किन फसलों के नुकसान की जानकारी बीमा कंपनी के कार्यालय में जाकर देनी पडती है, इसका भी खुलासा कृषि मंत्री नहीं करते. ऑनलाइन व्यवस्था के अपने नुकसान है वहीं कंपनी कार्यालय पर जाओ तो वहां ताला मिलता है या अधिकारी नहीं मिलते. प्रत्येक जिले में विधायक इस शिकायत को लेकर कलेक्टर के पास बैठते हैं. एक बार जानकारी देने पर भी बीमा कंपनी बार-बार फसल के बारे में पूछती है. जबकि सात बारा पर वह बातें दर्ज होती है. बारिश या अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान का आकलन करने 72 घंटे तक लोग नहीं पहुंचते. पोटे पाटिल ने बडे ही जोश में किसानों के हित में उपप्रश्न किए.
* कंपनियों से लिखाकर लिया
तैश में आए प्रवीण पोटे को अब्दुल सत्तार ने विस्तृत उत्तर दिया. सत्तार ने कहा कि, नियम और शर्ते ठहराने का जिम्मा केंद्र सरकार का है फिर भी उन्होंने बीमा कंपनियों से लिखवाकर लिया है. किस सूरत में वे किसानों को क्षतिपूर्ति देंगे. ऐसे ही कडी शर्तो को भी उन्होंने शिथिल करवाया है. अपने आप को सत्तार ने किसानों के हित में अनेक और कडे ुफैसले करनेवाला पहला कृषि मंत्री बताते हुए कहा कि, वे सदन के सदस्यों के सुझाव हेतु अध्यक्ष सभापति के दालन में बैठक के लिए तैयार हैं.

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