स्त्री सम्मान हेतु करोडों का खर्च, फिर भी महिलाओं की दिक्कत कायम
शहर में तीन प्रकार के शौचालय, कुछ आधे-अधूरे, तो कुछ तालाबंद

* फाईबर शौचालय जलकर खाक, पर्यावरणपुरक टॉयलेट बने शो-पीस
अमरावती /दि. 8– महिला दिवस के निमित्त सरकार एवं प्रशासन द्वारा महिलाओं की उपलब्धियों व कर्तबगारी की जमकर प्रशंसाएं की जाती है और महिलाओं के लिए सरकारी योजनाओं को प्रभावी रुप से अमल में लाने का आश्वासन भी दिया जाता है. परंतु महिलाओं को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में यही प्रशासन असफल दिखाई देता है. यही वजह है कि, आज ही सुशिक्षित समाज में महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों व समस्याओं का सामना करना पडता है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर संभागीय मुख्यालय है. ऐसे में अमरावती शहर में महिलाओं को किसी भी तरह की समस्या व दिक्कत का सामना न करना पडे, इस हेतु मनपा द्वारा विगत 15 वर्षों के दौरान शहर में अलग-अलग स्थानों पर तीन तरह के टॉयलेट व शौचालय स्थापित किए गए. परंतु यह शौचालय केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए स्थापित किए जाने की बात हमेशा सामने आई और हर बार शौचालयों में घोटाला हुआ परंतु महिलाओं को प्राकृतिक विधि से निवृत्त होने के लिए जगह नहीं मिल पाई. सन 2014-15 में महिलाओं की सुविधा हेतु महानगर पालिका ने महिला सम्मान के लिए फायबर टॉयलेट बनाने का निर्णय लिया था. जिसके तहत 2 लाख 64 हजार रुपए के प्रति टॉयलेट की दर से 11 फायबर टॉयलेट खरीदते हुए मनपा प्रशासन ने ढाई करोड रुपए का खर्च किया और शहर के विभिन्न चौक-चौराहों में फाईबर टॉयलेट स्थापित किए गए. परंतु कुछ माह के भीतर ही इसमें से कुछ टॉयलेट चोरी चले गए और कुछ टॉयलेट जलकर खाक हो गए. यह फाईबर घोटाला विधान मंडल में भी जमकर गूंजा था तथा पूर्व पार्षद प्रवीण हरमकर द्वारा करोडों रुपए के इस घोटाले की जानकारी तत्कालीन नगर विकास राज्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक पहुंचने के बाद उन्होंने कार्रवाई के आदेश भी जारी किए थे. लेकिन आगे चलकर वह आदेश कहां गूम हो गया, यह आज तक समझ में ही नहीं आया.
ढाई करोड रुपए के इस घोटाले का मामला अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था कि, मनपा ने पर्यावरणपुरक टॉयलेट खरीदने का निर्णय लिया. जिसके तहत 25 लाख रुपए प्रति टॉयलेट की दर से सवा करोड रुपए में 5 एक्सपीरेशन टॉयलेट खरीदते हुए जिलाधीश कार्यालय, गाडगे नगर, अंबादेवी मंदिर, छत्री तालाब व बडनेरा में लगाए गए. परंतु यह टॉयलेट भी शहर में शो-पीस बनी हुई है और दो वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद कोई भी ठेकेदार ‘पे एंड यूज’ की शर्त पर इन टॉयलेट का निशुल्क ठेका लेने के लिए तैयार नहीं है. जिसकी वजह से ऐसे सभी टॉयलेट तालाबंद स्थिति में पडे हुए है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, फाईबर टॉयलेट व एक्सपीरेशन टॉयलेट के लिए एकसमान नियम व शर्ते थी. ऐसे में फाईबर टॉयलेट का बुरा अनुभव रहने के बावजूद प्रशासन ने एक्सपीरेशन टॉयलेट के नाम पर करोडों रुपए का खर्च क्यों किया, यह अपने आप में बडा सवाल है. साथ ही चर्चा है कि, महिला सम्मान के नाम पर प्रशासन केवल अपनी जेबे गर्म करने में जुटा हुआ है.
* अब दुबारा तीन करोड के पक्के शौचालय
पता चला है कि, अब महिलाओं की सुरक्षा हेतु मनपा द्वारा शहर में 6 स्थानों पर पक्के शौचालय तैयार किए जा रहे है. जिसके लिए मनपा मुख्यालय में इस शौचालय का डेमो तैयार किया गया है और इसी पद्धति के शौचालय राजापेठ, सक्करसाथ, गाडगे नगर, चित्रा टॉकीज, बडनेरा जोन कार्यालय व पीडीएमसी में तैयार किए जाएंगे. 14 वे वित्त आयोग अंतर्गत 45 लाख रुपए के प्रति शौचालय के हिसाब से 6 शौचालयों पर 3 करोड रुपए का खर्च किया जा रहा है.
* चित्रा चौक के शौचालय पर ताला
प्रभात टॉकीज के बगल में चित्रा चौक पर कई वर्ष पहले महिलाओं हेतु सार्वजनिक शौचालय तैयार किया गया था. परंतु इस शौचालय पर विगत अनेक वर्षों से ताला लटका हुआ है. जिससे इस परिसर में आनेवाली महिलाओं को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.
* एक्सपीरेशन टॉयलेट आज भी बंद
शहर में 6 स्थानों पर बनाए गए एक्सपीरेशन टॉयलेट को शुरु करने हेतु कुछ दिनों पहले आंदोलन किया गया था. जिसके चलते इन टॉयलेट को महिलाओं हेतु शुरु भी किया गया, परंतु इसके बाद किसी ने इन टॉयलेट का उपयोग ही नहीं किया. जिसके चलते यह सभी पर्यावरणपुरक टॉयलेट एक बार फिर ताला लगाकर बंद कर दिए गए, जो अब तक बंद ही है.