अमरावती

रेनकोट व छाते खरीदने उमड रही भीड

बारिश के शुरू होते ही बाजार में दिख रही रौनक

अमरावती/दि.15- इस समय बारिश का मौसम लगभग शुरू हो ही चुका है. ऐसे में पानी की तेज बौछार से बचने हेतु लोगों ने छाते व रेनकोट खरीदने शुरू कर दिये है. जिसके चलते बाजार में भी छाते व रेनकोट जैसी वस्तुओं की दुकानें सज गई है. लेकिन इन वस्तुओं के दामों पर महंगाई का अच्छा-खासा साया देखा जा रहा है. जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के लोगबाग छाते या रेनकोट की बजाय सिरपर खाद या अनाज के प्लास्टिक अथवा जूट से बने खाली बोरे पहनते हुए बारिश से बचने के बारे में सोच रहे है.
उल्लेखनीय है कि, मौसम विभाग द्वारा इस बार बारिश की स्थिति अच्छी रहने की संभावना जताई गई है. ऐसे में छाते व रेनकोट सहित प्लास्टिक की खरीददारी बढ गई है. साथ ही छाते व रेनकोट के जरिये बारिश के मौसम में खुद को पानी की तेज बौछार से बचाये रखने के साथ-साथ प्लास्टिक के जरिये घर की छत को टपकने से रोका जा सके और अनाज को भी प्लास्टिक से ढांककर भीगने से बचाया जा सके. बता दें कि, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा खुद को पानी की बौछारों से बचाने हेतु काफी पहले जूट अथवा प्लास्टिक की बोरियों से बनाई जानेवाली घोंगडी का आधार लिया जाता रहा है और इन घोंगडियों को पहनकर ही किसान एवं खेतीहर मजदूर अपने खेतों में काम किया करते है. हालांकि बदलते वक्त के साथ कई किसानों द्वारा अपने छाते व रेनकोट का भी प्रयोग किया जाने लगा है. परंतु छाते व रेनकोट की लगातार बढी कीमतों को देखते हुए एक बार फिर लोगबाग घोंगडी के प्रयोग की ओर मुड सकते है.

* छातों के दाम 200 से 1 हजार रूपये तक
इस समय बाजार में विभिन्न आकार-प्रकार और रंगोंवाले छाते बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिनका दाम 200 रूपये से 1 हजार रूपये तक है. इसमें सामान्य छाते से लेकर डबल व ट्रिपल फोल्डवाले पोर्टेबल छातों का समावेश है. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष छातों की कीमतों में अच्छाखासा इजाफा हुआ है.

* 20 फीसद से बढे रेनकोट के दाम
शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्र में भी रेनकोट के प्रयोग पर अधिक जोर दिया जाता है. इस वर्ष रेनकोट के दामों में 20 प्रतिशत की दरवृध्दि रहने की बात सामने आयी है.

* ताडपत्री व प्लास्टिक भी हुए महंगे
ग्रामीण क्षेत्र में अब भी कवेलू की छतवाले कई मकान है. जिनमें बारिश से बचाव करने हेतु ताडपत्री अथवा प्लास्टिक की पन्नियों का उपयोग करना पडता है. दो वर्ष पहले तक 60 से 70 रूपये किलो की दर पर मिलनेवाली प्लास्टिक की पन्नी इस समय 150 रूपये प्रति किलो के स्तर तक जा पहुंची है. साथ ही ताडपत्री के दामों में भी अच्छा-खासा इजाफा हुआ है.

* इस वजह से बढे दाम
छाते – छातों को तैयार करने में बडे पैमाने पर स्टिल की छडों व तारों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन रूस व युक्रेन के बीच चल रहे युध्द का परिणाम स्टिल के उत्पादन तथा आयात व निर्यात पर हुआ. जिसकी वजह से स्टिल की कीमत दो गुना बढ गई. इसके साथ ही छातों में प्रयुक्त होनेवाले कपडे के दाम भी बढ गये है. इस वजह से छातों की कीमतें भी बढी हुई है.
* रेनकोट – प्लास्टिक से बननेवाली विविध वस्तुओं को तैयार करने हेतु विविध रसायनों का प्रयोग किया जाता है. ये सभी रसायन युक्रेन से मंगाये जाते थे. किंतु युक्रेन और रूस के बीच चल रहे युध्द की वजह से इन रसायनों का आयात रूका हुआ है. जिसकी वजह से रेनकोट के साथ-साथ प्लास्टिक पन्नियों के दाम भी बढ गये है.

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