विमानतल पर वन्य प्राणियों के साथ क्रूरता
अप्रशिक्षितों द्वारा किया जा रहा वन्यप्राणियों का रेस्क्यू
* बोमा प्रणाली साबित हो रही केवल नाममात्र
* तार की बाड में अटककर रोही हुआ घायल
अमरावती /दि.13– बेलोरा विमानतल परिसर में रहने वाले वन्य प्राणियों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के बजाय उनके साथ रेस्क्यू के नाम पर कू्ररता की जा रही है. साथ ही अप्रशिक्षित लोगों पर वन्य प्राणियों को पकडने का जिम्मा सौंपा गया है. जिनके द्वारा गैर शास्त्रीय पद्धति से वन्य प्राणियों को पकडते हुए एक तरह से उनके साथ क्रूरता बरती जा रही है. इसी बीच बुधवार को विमानतल परिसर के आसपास लगाई गई तार की बाढ में अटककर रोही नामक वन्य प्राणाी का एक बछडा घायल भी हो गया. जिसके चलते वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के अधिकारी कितने सजग है, यह स्पष्ट होता है.
बता दें कि, बेलोरा विमानतल पर विविध विकास काम लगभग पूरे हो चुके है. साथ ही आगामी नये साल से ही विमानों का टेक ऑफ शुरु करने हेतु महाराष्ट्र विमानतल विकास प्राधिकरण द्वारा तमाम तैयारियां की जा रही है. परंतु बेलोरा विमानतल परिसर में रहने वाले वन्य प्राणी विमानों के साथ हादसा घटित होने की वजह बन सकती है. जिसके चलते महाराष्ट्र विमानतल प्राधिकरण ने वन्य प्राणियों को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करने हेतु आवश्यक साहित्य, मनुष्यबल व अन्य बातों के लिए लगने वाले खर्च के तौर पर 55 लाख रुपए की निधि वनविभाग को उपलब्ध कराई. इस समय विमानतल परिसर के भीतर 250 से 300 वन्य प्राणी रहने का अनुमान था. जिन्हें पकडकर सुरक्षित स्थानों पर छोडने हेतु वनविभाग द्वारा विगत 2 माह से विमानतल परिसर में बोमा प्रणाली को साकार किया गया था. जिसके शुरुआत में कुछ गिने-चुने वन्य प्राणी ही बोमा प्रणाली में फंसे, वहीं अन्य वन्य प्राणी बोमा प्रणाली में फंसने से खुद को बचाये हुए थे. ऐसे में वन्य प्राणियों का रेस्क्यू करने हेतु वन कर्मचारियों सहित निजी व्यक्तियों की सहायता ली गई. परंतु निजी व्यक्तियों को वन्य प्राणी का रेस्क्यू करने का कोई ज्ञान नहीं होता. ऐसे में वन्य प्राणी को पकडने के बाद उन्हें वाहन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी को निभाते समय निजी व अप्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा वन्य प्राणियों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया जाता है.
* नियंत्रण के काम में सहायक वन संरक्षक नाकाम
बेलोरा विमानतल के भीतरी परिसर में रहने वाले वन्य प्राणियों को सुरक्षित रुप से बाहर निकालने का जिम्मा वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सहायक वनसंरक्षक पर सौंपा था. लेकिन इस काम में प्रशिक्षित वन कर्मचारियों को लगाने की बजाय अप्रशिक्षित निजी व्यक्तियों को वन्य प्राणियों के रेस्क्यू संबंधित काम में लगाया गया. ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि, आखिर वनविभाग में चल क्या रहा है. वहीं यह भी माना जा रहा है कि, रेस्क्यू संबंधित काम को लेकर नियंत्रण रखने में सहायक वनसंरक्षक पूरी तरह से नाकाम साबित हुए है.
* वृक्षों की लॉगिंग में भी बडी गडबडियां
बेलोरा विमानतल पर विकास कामों के लिए पेडों की कटाई से संबंधित अनुमति में भी काफी गडबडियां होने की जानकारी है और पेडों की लॉगिंग में भी काफी फर्क पाया गया है. जिसके चलते उपवन संरक्षक के आदेशानुसार संबंधित वनपाल को ‘समझ’ दी गई है. वहीं जांच अधिकारी द्वारा इस मामले में अलग दिशा में ले जाने की तैयारी की जा रही है. ऐसी भी चर्चा है. जिसके चलते अब इस बात की संभावना दर्शायी जा रही है कि, कही पेडों की लॉगिंग का मामला एक बार फिर फाइलबंद तो नहीं हो जाएगा.
* बोमा प्रणाली में फंसने से वन्य प्राणी बच रहे थे. जिसके चलते बेलोरा विमानतल परिसर में रहने वाले वन्य प्राणियों को प्राकृतिक रुप से बाहर निकालने को प्राथमिकता दी गई है. इस समय कुछ गिने-चुने वन्य प्राणी ही विमानतल परिसर में है. जिन्हें जल्द ही विमानतल परिसर से बाहर निकाल दिया जाएगा. वन्य प्राणियों के साथ क्रूरता किये जाने से संबंधित कोई मामला फिलहाल जानकारी में नहीं है.
– जयंत वडतकर,
मानद सदस्य, वन्यजीव.