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कर्फ्यू : अब लोगोें का सब्र टूट रहा

शांतिपूर्ण हालात के बावजूद संचारबंदी समझ से परे

अमरावती/दि.18- विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती शहर में जो कुछ भी हुआ, उसे नियंत्रित करने हेतु पुलिस द्वारा फौरी तौर पर उठाये गये कदम निश्चित रूप से तारीफे काबील थे. जिसका सभी शहरवासियों द्वारा समर्थन भी किया गया. किंतु उस घटना के चलते लागू किये गये कर्फ्यू और नेट बंदी को लंबा खींचे जाने की वजह से अब धीरे-धीरे शहरवासियों का सब्र जवाब देने लगा है. साथ ही कर्फ्यू को लेकर अब आम शहरवासियों में काफी हद तक असंतोष और खीझ का माहौल है, क्योंकि इस कर्फ्यू की वजह से आम जनजीवन पूरी तरह से ठप्प और अस्त-व्यस्त हो गया है तथा व्यापार-व्यवसाय बंद रहने के चलते विगत एक सप्ताह के दौरान लाखों-करोडों रूपयों का नुकसान भी हो चुका है. ऐसे में अब अमरावती शहरवासी जल्द से जल्द इस कर्फ्यू व नेट बंदी से छूटकारा पाना चाहते है.
बता दें कि, विगत शुक्रवार व शनिवार को दो अलग-अलग समुदायों की ओर से अलग-अलग संगठनों द्वारा अमरावती बंद का आवाहन किया गया था. इस दौरान दोनों समुदायों के बीच टकराव की स्थिति बनने के साथ ही जमकर हिंसा भी हुई. ऐसे में हालात पर काबू पाने हेतु पुलिस द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों में कडा बंदोबस्त लगाने के साथ-साथ शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया गया. जिसके चलते अगले एक-दो दिनों में हालात पूरी तरह से शांत व सामान्य हो गये. साथ ही आम शहरवासियों द्वारा इस हिंसा व तोडफोड की वारदातों का निषेध भी किया गया, क्योंकि अमरावती शहर के आम नागरिक हमेशा ही आपसी भाईचारे व सामाजिक सौहार्द के लिए जाने जाते है और सामाजिक एकता के लिए अमरावती शहर की मिसाल दी जाती है. किंतु त्रिपुरा की एक तथाकथित घटना को आधार मानकर सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए अमरावती शहर में धार्मिक भावनाओं को भडकाने और लोगों को उकसाने का काम किया गया. जिसके चलते हालात तनावपूर्ण हुए और दो समुदायों के लोग एक-दूसरे के आमने-सामने आ गये. इस मौके का फायदा उठाते हुए कुछ समाज विघातक तत्वों ने आग में घी डालने का काम किया. जिसकी वजह से हिंसा फैली. किंतु पुलिस द्वारा हस्तक्षेप किये जाते ही कुछ ही घंटों के भीतर इस हिंसा पर काबू पा लिया गया. वहीं शनिवार व रविवार बीत जाने के बाद अब सभी शहरवासियों को जो कुछ हुआ, उस पर अफसोस होने लगा है और वे शहर के हालात जल्द से जल्द सामान्य होने के पक्षधर है. किंतु कर्फ्यू के लगातार जारी रहने की वजह से लोगों का एक-दूसरे के साथ आपसी मेलजोल नहीं हो पा रहा. साथ ही इंटरनेट भी बंद रहने की वजह से शहर के अन्य इलाकों में कहां पर क्या हो रहा है और हालात किस तरह के है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही. ऐसे में अब भी काफी हद तक संदेह और अविश्वास का माहौल है. ऐसे हालात में यह बेहद जरूरी है कि, पुलिस द्वारा कम से कम दिन के समय कर्फ्यू में पूरी तरह से ढील दी जाये और व्यापार-व्यवसाय को खुलने की अनुमति दी जाये, ताकि शहर में लोगों के बीच आपसी व्यवहार शुरू हो सके और एक इलाके से दूसरे इलाके में लोगों की आवाजाही भी शुरू हो. इस जरिये लोगों का मेलजोल बढाते हुए हालात को जल्द से जल्द सामान्य व शांत किया जा सकता है.

* नेट बंदी से ऑनलाईन कामकाज व व्यवहार ठप्प
– विद्यार्थियों का भी पढाई-लिखाई व प्रवेश प्रक्रिया में हो रहा नुकसान

विगत शनिवार की दोपहर 2 बजे से शुरू की गई नेट बंदी के चलते अमरावती शहर में इंटरनेट सेवा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. चूंकि इन दिनों इंटरनेट आम जीवन व दैनिक कामकाज की सबसे बडी जरूरत है. ऐसे में ऑनलाईन तरीके से चलनेवाला कामकाज पूरी तरह से रूक गया है. ज्ञात रहें कि, कोविड काल के दौरान अधिकांश विद्यार्थियों की पढाई अब ऑनलाईन तरीके से चलने लगी है. साथ ही कई युवा अब इंटरनेट के जरिये ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे है. लेकिन इंटरनेट बंद होने का खामियाजा अब इन विद्यार्थियों व युवाओं को भी उठाना पड रहा है. इनमें से ही कई विद्यार्थी व युवा अब शहर से बाहर जाकर इंटरनेट की रेंज व नेटवर्क की तलाश कर रहे है.

* सोमवार से हालात लगातार शांतिपूर्ण

बीते शुक्रवार व शनिवार को हुई हिंसक वारदातों के बाद यद्यपि पुलिस द्वारा शनिवार की शाम ही हालात पर काबू पा लिया गया था. किंतु रविवार को माहौल काफी हद तक तनावपूर्ण था. लेकिन इसके बाद सोमवार से शहर का वातावरण पूरी तरह से शांत है और इस दौरान कहीं से भी किसी भी अप्रिय या तनावपूर्ण घटना की कोई जानकारी सामने नहीं आयी है. ऐसे में अब आम शहरवासियों को उम्मीद हैं कि, जल्द से जल्द शहर में कर्फ्यू को हटा दिया जाये तथा स्थिति को धीरे-धीरे सामान्य होने दिया जाये.

 दोनों समुदायों के जिम्मेदार कर रहे सकारात्मक पहल

यहां सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि, बीते दिनों जो कुछ हुआ, उसका दोनों समुदायों द्वारा कतई समर्थन नहीं किया गया. साथ ही अब दोनों समुदायों के जिम्मेदार लोगोें द्वारा सभी को लगातार शांती बनाये रखने और आपसी सद्भाव के साथ रहने को लेकर समझाईश दी जा रही है. शहर पुलिस प्रशासन, हव्याप्रमं हेल्पलाईन तथा शांतता समिती की ओर से किये जाते संयुक्त प्रयासों के चलते भी शहर में स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण हो गई है. ऐसे में अब कर्फ्यू को हटाये जाने की मांग जोर पकड रही है.

* लॉकडाउन के बाद कर्फ्यू तोड रहा कमर

बता देें कि, इससे पहले कोविड की संक्रामक महामारी के चलते करीब डेढ वर्ष तक लॉकडाउन का दौर चला और दो से तीन बार लागू किये गये लॉकडाउन की वजह से लंबे समय तक शहर के व्यापार-व्यवसाय बंद रहा. पश्चात विगत अक्तूबर माह में किये गये अनलॉक के बाद दशहरा व दीपावली के पर्व पर शहर के बाजारों में अच्छी-खासी रौनक दिखाई दी तथा जबर्दस्त ग्राहकी रहने के चलते व्यापार-व्यवसाय कुछ हद तक संभला. साथ ही दीपावली के बाद शादी-ब्याह के सीझन को लेकर अच्छी-खासी उम्मीद बंधती दिखाई दी, किंतु बीते शुक्रवार व शनिवार को हुई हिंसक वारदातों के चलते लागू किये गये कर्फ्यू की वजह से यह उम्मीद भी जाती रही. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोविड की महामारी और लॉकडाउन के चलते शहर के व्यापार जगत की कमर पहले ही टूटी हुई थी. वहीं अब दंगे व कर्फ्यू ने शहर के व्यापार जगत को पूरी तरह झूकाकर दोहरा कर दिया है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, हालात को जल्द से जल्द सामान्य करने हेतु कर्फ्यू में ढील व छूट का दायरा बढाया जाये, ताकि शहर में एक बार फिर सभी कामकाज व दैनिक व्यवहार सूचारू हो सके.

* उद्देश्य गलत नहीं, पर तरीका भी ठीक नहीं

पूरी खबर का उद्देश्य कहीं से भी पुलिस एवं पुलिस द्वारा लगाये गये कर्फ्यू को गलत साबित करना कतई नहीं है, क्योंकि उस दिन यदि पुलिस द्वारा समय पर हालात नहीं संभाले जाते, तो शहर के अंजाम की महज कल्पना ही की जा सकती थी. ऐसे में पुलिस द्वारा कर्फ्यू लगाकर दोनों समुदायों के बीच टकराव को टालने का उद्देश्य पूरी तरह से सही है. किंतु अब जिस तरह से इस कर्फ्यू और नेट बंदी को नाहक ही लंबा खींचा जा रहा है. उसे देखते हुए आम जनमानस में यह भावना बलवति हो रही है कि, भले ही पुलिस का उद्देश्य गलत नहीं है. किंतु हालात को नियंत्रित करने के लिए जो तरीके अपनाये जा रहे है, वह भी ठीक नहीं है. ऐसे में पुलिस को चाहिए कि, जल्द से जल्द कर्फ्यू को शिथिल करते हुए हालात को जमिनी स्तर पर शांत होने दिया जाये.

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