ऑनलाईन फ्रॉड टालने के लिए राज्य में ‘साईबर सुरक्षा प्रकल्प’
837.86 करोड रुपए का खर्च, अभी दिए 117 करोड रुपए
अमरावती/दि. 4– साईबर अपराधो के खिलाफ तत्काल उपाययोजना करने के लिए राज्य में 873 करोड रुपए का साईबर सुरक्षा प्रकल्प चलाने का निर्णय मंत्रीमंडल की बैठक में लिया गया था. इस बाबत 27 सितंबर 2023 को शासन निर्णय भी निर्गमित किया गया. अब इस प्रकल्प के लिए जो दो सिस्टीम इंटीग्रेटर नियुक्त किए गए है, उन्हें 30 अगस्त को 117 करोड रुपए देने का निर्णय लिया गया है. इन पैसो के कारण साईबर सुरक्षा प्रकल्प के अमल को गति मिलेगी
नागरिकों को इस प्रकल्प के लिए अब एक फोन पर 24 घंटे कार्यरत रहनेवाले कॉल सेंटर पर शिकायत दर्ज करते आ सकेगी. राज्य के बढते साईबर अपराधो पर रोक लगाने के लिए साईबर सुरक्षा प्रकल्प चलाया जा रहा है. अत्याधुनिक साईबर तकनीकी ज्ञान की सहायता से शिकायत की जांच की जाएगी. जिससे घटना की जड तक जाकर मामला उजागर करना और सिद्ध कर सजा का प्रमाण बढाने में सहायता होगी. साईबर अपराध यह विश्व का सबसे बडा संगठित अपराध हो गया है. राज्य में साईबर ठगी के जरिए घटनाओं को अंजाम देने का प्रमाण बढा है. साईबर ठगी के शिकार होनेवाले नागरिकों को विशेष कर महिला, बालक और वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाकर अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान, कुशल मनुष्यबल और संसाधनों से युक्त उपाययोजना को तैयार करना आवश्यक होने से साईबर अपराधो के खिलाफ तत्काल उपाययोजना करने के लिए साईबर सुरक्षा प्रकल्प चलाया जा रहा है. इसके लिए अगस्त 2024 में एल एंड टी टेक्नॉलॉजी व केपीएमजी इंडिया एलएलपी सिस्टीम इंटीग्रेटर को 116.90 करोड रुपए शासन की तरफ से मंजूर किए गए है.
* प्रकल्प की कालावधि और लक्ष्य
– राज्य के पुलिस आयुक्त, अधीक्षक कार्यालय के सभी साईबर पुलिस स्टेशन इस प्रकल्प से जोडे जाएगे.
– सप्ताह के सातो दिन और 24 घंटे कार्यरत कॉल सेंटर पर फोन से संपर्क कर तथा मोबाइल एप के माध्यम से अथवा पोर्टल पर साईबर अपराध विषयक शिकायत दर्ज की जा सकेगी.
– साईबर प्रकरण के संदर्भ में शिकायत पर तत्काल पहल कर द्रूतगति से जांच होगी.
– आरोपी की तलाश करने के लिए तथा घटना की सजा का प्रमाण बढाने के लिए अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
– साईबर सुरक्षा प्रकल्प की कालावधि साढे 5 वर्ष रहेगी.
* ऐसा है साईबर सुरक्षा प्रकल्प
नागरिकों को पोर्टल, मोबाइल एप और 24 घंटे कॉल सेंटर के माध्यम से शिकायत दर्ज करने के लिए संपर्क करते आ सकेगा. पोर्टल के वर्क फ्लो मैनेजमेंट मॉड्यूल का इस्तेमाल कर शिकायत का निवारण किया जाएगा. टेक्नॉलॉजी असिस्टंट इन्वेस्टीगेशन में फॉरेन्सिक टूल और अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान की सहायता से जांच की जाएगी. साथ ही अधिकारियों को तकनीकी जानकारी दी जाएगी और जांच में सहायता होगी. जिससे प्रकरणो की तह तक जाकर मामला उजागर करना संभव होगा.