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शहर में अब साइकलिंग कल्चर पकड रहा रफ्तारसाइकिल चलाना समय और स्वास्थ्य की जरुरत

अमरावती साइकलिंग असो. के अध्यक्ष डॉ. कुलकर्णी का कथन

* सौ से अधिक लोग जुडे है साइकलिंग असो. से
* लंबी दूरी की साइकलिंग पर को दिया जा रहा प्रोत्साहन
अमरावती/दि.11- मानवी जीवन के विकासक्रम में वाहन के तौर पर सबसे पहले दो पहियों पर चलने वाली साइकल का ही अविष्कार हुआ था और अपन संतुलन बनाए रखते हुए चलाई जाने वाली इस साइकिल को एक शानदार आविष्कार भी कहा जा सकता हैं. आधुनिक काल में भी इस वाहन ने अपने महत्व व उपयोगिता को बरकरार रखा हैं और आज भी शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने अपने जीवन में कभी भी साइकिल न चलाई हो. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, आवागमन का सबसे सस्ता व सुलभ साधन रहने के साथ-साथ साइकिल यह शारीरिक व्यायाम का भी सबसे सहज व सरल साधन हैैं और मौजूदा दौर की आपाधापी वाली जिंदगी में साइकिल चलाना मौजूदा समय की जरुरत रहने के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद जरुरी हैं. इस आशय का प्रतिपादन अमरावती साइकलिंग असोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष व शहर के ख्यातनाम अस्थीरोग तज्ञ डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी व्दारा किया गया.
उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ समय से अमरावती शहर में अमरावती साइकलिंग असो. का गठन होनेे के बाद से साइकलिंग से संबंधित गतिविधियां काफी अधिक बढ गई हैं और साइकलिंग को लेकर लोगों का अच्छाखासा रुझान भी बढ रहा हैं. जिसके तहत विभिन्न कार्य क्षेत्रों में काम करने वाले और अच्छे खासे व्यस्त रहने वाले लोगबाग भी साइकलिंग के साथ जुडकर नए-नए किर्तिमान बना रहे हैं. इन तमाम बातों के मद्देनजर दै. अमरावती मंडल ने आज अमरावती साइकलिंग असो. के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी से विशेष तौर पर बातचीत की. जिसमें उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया.
अमरावती साइकलिंग असो. के गठन की पार्श्वभूमि बताते हुए डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि, यूं तो अमरावती शहर में कई लोग व्यक्तिगत स्तर पर व सामूहिक रुप से शारीरिक स्वास्थ्य व व्यायाम को ध्यान में रखते हुए साइकलिंग कर रहे हैं. लेकिन वे कितनी साइकलिंग करते है इसका कोई अधिकारिक रिकार्ड नहीं हुआ करता था, और साइकलिंग करने वालों को इसके लिए कोई प्रशस्तीपत्र या पहचान भी नहीं मिला करती थी, साथ ही इस तरह की साइकलिंग को किसी भी स्तर पर कोई मान्यता या प्रोत्साहन मिलने की गूंजाइश भी नहीं रहती थी. जबकि वैश्विक स्तर पर साइकलिंग के क्षेत्र में काफी कुछ हो रहा हैं. इस बात के मद्देनजर अमरावती में साइकलिंग असो. की स्थापना करने का विचार चला और कई लोगाेंं ने एक साथ आकर इस संगठन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ताकि अमरावती में भी फ्रांस के बीआरएम से संबंधित साइकलिंग इव्हेंट आयोजित किए जा सके. इससे पहले इस तरह के इवेंट नागपुर, वाशिम व जिंतूर जैसे शहरों में आयोजित हुआ करते थे और अमरावती में इसे लेकर कोई गतिविधि नहीं हुआ करती थी, लेकिन अब अमरावती से भी और अमरावती में भी बीआरएम के इव्हेंट आयोजित किए जा सकेंगे. जिसके तहत अमरावती से 100 किमी., 200 किमी., 300 किमी., 400 किमी व 600 किमी. की साइकलिंग आयोजित की जाएगी. जिसके लिए रेन्डोनियर व सुपर रेन्डोनियर जैसे खिताब दिए जाते हैं. इसमें से 200 किमी. की साइकलिंग पूरी करने पर रेंडोनियर तथा एक साल के भीतर 200, 300, 400 व 600 किमी. की साइकलिंग पूरी करने पर सुपर रेंडोनियर का खिताब दिया जाता हैैं और यह अमरावती शहर के लिए बेहद उपलब्धीपूर्ण बात है कि, आज अमरावती शहर में करीब 15 से 20 सुपर रेंडोनियर साइकलिस्ट हैं. जिनमें 3 से 4 महिलाएं हैैं और इनमें एक दंपत्ति का भी समावेश हैं.
* आगे बहुत कुछ करना बाकी हैं, नियोजन है तैयार
अमरावती साइकलिंग असो. व्दारा भविष्य में की जाने वाली गतिविधियां के बारे में बात करते हुए डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि, आगे चलकर अमरावती शहर में साइकलिंग को लेकर काफी कुछ करने का नियोजन हैं. ताकि साइकलिंग कल्चर को बढावा दिया जा सकें. इसके तहत सबसे ृपहले तो, अमरावती में बीआरएम इव्हेंट आयोजित करने का काम किया जाएगा. इस इव्हेंट में साइकिल चलाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है और पूरे इव्हेंट के दौरान साइकिल सवार को अपनी साइकिल यात्रा और साइकिल चलाने के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर खुद ही पूरी सावधानी व सर्तकता बरतनी होती हैं. इस यात्रा के दौरान साइकिल सवार कोई बाहरी मदद नहीं ले सकता हैं. ऐसे में जहां एक ओर साइकिल सवार लंबी तैयारी के बाद अपने आप को कई सौ किमी. की साइकिल यात्रा के लिए तैयार करता हैं वहीं दूसरी ओर इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उसका आत्मविश्वास भी काफी अधिक बढ जाता हैं. साथ ही इस तरह के इव्हेंटस को देखकर अन्य लोगों मे भी निश्चित तौर पर साइकिल चलाने को लेकर रुझान बढता हैं. यदि हम ऐसे इव्हेंट के जरिए अधिक से अधिक लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित कर पाए तो इसे हमारे प्रयासों की सफलता कहा जा सकेगा.
इसके साथ ही अमरावती साइकिल असों. व्दारा बहुत जल्द शहर के अलग-अलग शालाओं में विद्यार्थियों के लिए साइकलिंग एवं यातायात नियमों को लेकर मार्गदर्शक शिविर भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि एक ओर तो उन्हें महाविद्यालय जीवन में भी साइकिल चलाने के लिए प्रेरित किया जा सके, वहीं यातायात नियमों के प्रति जागरुक करते हुए जिम्मेदार नागरिक भी बनाया जा सके.
* विद्यार्थियों व साइकलिस्टों के लिए होंगे प्रशिक्षण शिविर
इस बातचीत में डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि, एक साइकिल खरीद लेना और उसे चलाना भी साइकलिंग के लिहाज से सब कुछ नहीं होता. हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट अलग होती हैें. ऐसे में साइकिल सवार के लिहाज से साइकिल और उसकी सीट की उंचाई कितनी है यह देखना सबसे जरुरी होता हैं. ताकि साइकिल चलाते समय मांसपेशियों में किसी तरह का कोई खिंचाव व नुकसान न हो. इसके अलावा पेशेवर साइकिल के दौरान साइकिल की हेड व टेल लेन के ठिक रहने और साइकिल के फिटनेस की ओर ध्यान देने की भी जरुरत होती हैं, साथ ही साइकलिंग के दौरान हेलमेट जैसे सुरक्षा साधनों का प्रयोग करना भी बेहद जरुरी होता हैं. ताकि कोई हादसा घटित होने पर साइकिल सवार को किसी तरह की कोई चोट न लगे. इन सभी बातों का प्रशिक्षण भी अमरावती साइकलिंग असो. व्दारा दिया जाएगा. इसके अलावा साइकिल चलना शुरु करने से पहले किए जाने वाले वॉर्मअप और साइकलिंग शुरु होने के बाद किए जाने वाले कुलिंग वर्क को लेकर भी असोसिएशन व्दारा प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दिया जाएगा.
* 60 वर्ष की आयु से शुरु की पेशेवर साइकलिंग
विशेष उल्लेखनीय है कि, डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी ने 8 वर्ष पहले पेशेवर साइकलिंग की शुरुआत उस समय की थी जब उनकी आयु 60 वर्ष पूर्ण हो चुकी थी और तब से लेकर अब तक वे 34 हजार किमी से अधिक साइकलिंग कर चुके हैं. डॉ. कुलकर्णी आज भी रोजाना 25 से 50 किमी. साइकलिंग करते हैैं और रेंडोनियर व सुपर रेंडोनियर जैसे खिताब हासिल करने के साथ-साथ वे मनाली से लेह जैसे पर्वतीय इलाकों में भी साइकलिंग करने का चैलेंज पूरा कर चुके हैं. अपनी इस साइकलिंग के जरिए दूसरों के लिए प्रेरक उदाहरण पेश करने वाले डॉ. कुलकर्णी का मानना है कि, किसी भी अच्छे काम को शुरु करने के लिए कोई उम्र नहीं होती और शारीरिक व्यायाम तो, हर उम्र के लोगों ने करना चाहिए. विगत 8 वर्षो से अपनी तरह के कुछ जुनुनी साइकिल प्रेमियों के साथ मिलकर साइकलिंग कर रहे डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि, इस दौरान कई लोग साइकलिंग के लिए साथ जुडते गए और कई लोंगों ने बीच में साइकलिंग छोडी. ऐसे में निरंतरता बनी रहे इस बात को ध्यान में रखते हुए दो माह पूर्व ही अमरावती साइकलिंग असो. का गठन व रजिस्टे्रशन किया गया और अब इस बात को लेकर प्रयास किए जा रहे है कि, जल्द ही इसे महाराष्ट्र साइकलिंग असो. की मान्यता प्राप्त हो सके.
* गरीब व जरुरतमंद विद्यार्थियों को भेंट देंगे साइकिल
इस बातचीत में डॉ. कुलकर्णी ने यह भी बताया कि, अमरावती साइकलिंग असो. के साथ समाज के सभी वर्ग के लोग जुडे हैं. जिनमें से अधिकांश आर्थिक रुप से संपन्न व सक्षम भी हैं. ऐसे में साइकलिंग कल्चर को बढावा देने के लिए गरीब व जरुरतमंद विद्यार्थियों को असोसिएशन के जरिए साइकिलें भी प्रदान की जाएगी और उन्हें साइकलिंग हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित भी किया जाएगा. साथ ही पेशेवर साइकलिंग के लिए ऐसे बच्चों को प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
* शहर में बने साइकलिंग ट्रैक
इस बातचीत में डॉ. कुलकर्णी ने यह भी कहा कि, इन दिनों सडकों पर यातायात काफी बेतरतीब व अनुशासनहीन हो चला हैं, जिसकी वजह से कई बार साइकिल सवारों को कई तरह की समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता हैं. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, समाज में साइकिल सवारों के लिए सम्मान की भावना पैदा हो और लोगबाग सडक से गुजर रहे साइकिल सवारों की सुरक्षा को लेकर सजग रहे. इसके साथ ही शहर में सडकों के किनारे एक लेन ऐसी जो केवल साइकिल चलाने वालों के लिए ही आरक्षित रहे, साथ ही साथ शहर में किसी एक सीधी व लंबी सडक के किनारे साइकलिंग ट्रैक का भी निर्माण किया जाना चाहिए. कुछ समय पूर्व इसे लेकर कुछ खबरे सामने आयी थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया. ऐसे में अमरावती साइकलिंग असो. व्दारा इस विषय को लेकर आवश्यक प्रयास किए जाएंगे.

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