अमरावती/दि.15 – किसी समय डीएलएड यानि डीएड के पदविका पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु कक्षा 12 वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों की कतार लगा करती थी. ऐसे में डीएड कॉलेज हमेशा ही हाउसफुल वाली स्थिति रहती थी. लेकिन विगत 8-10 वर्षों से डीएड उत्तीर्ण शिक्षकों की पद भर्ती बंद है. जिसके चलते हजारों-लाखों डीएड पदविका धारक विद्यार्थी बेरोजगार हो गए है ऐसे में धीरे-धीरे अब नये विद्यार्थियों का डीएड पाठ्यक्रम की ओर रुझान कम होने लगा है और डीएड महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या घटने लगी है. यहीं वजह है कि, इस समय जिले के 2 सरकारी व 8 निजी ऐसे 10 डीएड कॉलेजों में कुल उपलब्ध प्रवेश क्षमता 537 है. लेकिन विगत 2 माह से चल रही प्रवेश प्रक्रिया के तहत अब तक केवल 347 आवेदन ही प्राप्त हुए है.
* कई डीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर
दिनोंदिन डीएड पाठ्यक्रम की ओर विद्यार्थियों का रुझान घट रहा है और डीएड महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है. जिसके चलते कई डीएड महाविद्यालय भी अब बंद होने की कगार पर पहुंच गए है.
* 2 सरकारी व 8 निजी डीएड कॉलेज
जिले में कुल 10 डीएड कॉलेज है. जिनमें 2 सरकारी व 8 निजी महाविद्यालयों का समावेश है. इन 10 कॉलेजों में 537 सीटें उपलब्ध है. जिसमें मराठी के लिए 447 व उर्दू के लिए 90 सीटों का समावेश है. परंतु इस वर्ष इन 537 सीटों के लिए केवल 347 आवेदन ही प्राप्त हुए है और 190 सीटें रिक्त पडी है.
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* कई वर्षों से शिक्षक भर्ती नहीं
विगत 8 वर्षों से राज्यस्तर पर शिक्षक भर्ती ही नहीं हुई है. ऐसे में धीरे-धीरे डीएड पाठ्यक्रम की ओर विद्यार्थियों का रुझान घटने लगा है. सीटें अधिक व विद्यार्थी कम दिखाई देने लगे हे. साथ ही शिक्षक भर्ती बंद रहने और टीईटी परीक्षा जैसी झंझट रहने के चलते भी अब विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम से मुंह मोड रहे है.
* पहले डीएड करने के बाद नौकरी मिलने की गारंटी हुआ करती थी. लेकिन विगत कुछ वर्षों से शिक्षक भर्ती बंद है. साथ ही अब डीएड पदविका प्राप्त शिक्षक को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा देनी होती है. इन सभी बातों के मद्देनजर अब विद्यार्थियों का डीएड की ओर रुझान घट गया है.