अनाथो के नाथ शंकरबाबा पापलकर को डि.लिट पदवी
अमरावती विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में होंगे सम्मानित
अमरावती/दि.13 – पिछले अनेक वर्षो से अनाथ बच्चों का पालन-पोषण कर रहे अनाथों के नाथ शंकरबाबा पापलकर को अमरावती विद्यापीठ द्बारा डि.लिट की पदवी देने का निर्णय अधिसभा में लिया गया है. शंकरबाबा को विद्यापीठ के 37 वीं दीक्षांत समारोह में डि.लिट की पदवी से सम्मानित किया जाएगा. बता दें कि परतवाडा शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित वझर्र ग्राम में स्व. अंबादास पंत वैद्य अनाथालय की शुरुआत शंकरबाबा ने 1990 में की थी. शुरुआत में यहां पर चार अनाथ बालक थे आज शंकरबाबा 123 अनाथ बालकों का पितृत्व स्वीकार रहे है.
1990 से 2021 के दरमियान इन 31 वर्षो में शंकरबाबा पापलकर ने वझर्र स्थित 25 एकड बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया है. यही पर अनाथालय स्थापित है जहां शंकरबाबा पापलकर ने अनाथ, दिव्यांग बालकों का पुर्नवसन किया है. पिछले 31 वर्षो में शंकर बाबा पापलकर ने लावारिस पडे बच्चो का पालन-पोषण ही नहीं बल्कि उनका विवाह भी रचाकर गृहस्थी भी बसा कर दी. उन्हें कोई बालक कचरे के ढेर में पडा दिखाई दिया तो, कोई बीच सडक पर सभी अनाथ बच्चों को शंकरबाबा पापलकर ने अपनाया.
शंकरबाबा पापलकर ने इन बच्चों को अपनाया ही नहीं बल्कि अपनाया नाम भी दिया और उनकी गृहस्थी भी बसाई. आज शंकरबाबा पापलकर उम्र के 78 वें पडाव पर है. किंतु उनमें आज भी नौ जवानों जैसा जज्बा है. उन्होंने अनाथ आश्रम की 23 युवतियों व 3 युवकों का विवाह रचाया है. इन युवतियों के विवाह का कान्यादान राज्य के मंत्री, सांसद, विधायक, प्रशासकीय अधिकारी कर चुके है. शंकरबाबा की देख-रेख में आज इस अनाथालय के बच्चेे छोटे से बडे हो चुके है. शंकरबाबा का कहना है कि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक बच्चों की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. वे हमेशा अनाथ बच्चों के लिए संघर्ष करते रहते है.
शंकरबाबा पापलकर पिछले 31 सालो से बिना किसी स्वार्थ से समाज कार्य कर रहे है. इन अनाथ बालकों को ही उन्होंने अपना परिवार बना लिया है. रात-दिन उन्ही की सेवा में वे लगे रहते है. शंकरबाबा पापलकर के इस अनाथ आश्रम में अब तक अनेको राजनीतिक, समाजसेवी व प्रशासकीय अधिकारियों ने भेंट दी है. उनके द्बारा किए गए कार्यो को देखकर संत गाडगेबाबा विद्यापीठ अमरावती ने उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है. जिसमें विद्यापीठ के 37 वें दीक्षांत समारोह में उन्हें डि.लिट की पदवी से सम्मानित किया जाएगा ऐसा प्रस्ताव अधिष्ठाता अविनाश मोहरिल ने विद्यापीठ की अधिसभा में रखा था. इस प्रस्ताव को सभी ने सहमती दी. कुलगुरु डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने शंकरबाबा पापलकर को डि.लिट की पदवी प्रदान करने की घोषणा की. इस समय अधिसभा में लाए गए इस प्रस्ताव का डॉ. मनीष गवई, दीपक घोटे, रवींद्र कडू, के.एम.कुलकर्णी ने स्वागत किया.