अमरावती

दादासाहब कालमेघ ने सैकडों को दिया मदद का हाथ- हर्षवर्धन देशमुख

स्व. दादासाहब कालमेघ का 25वां पुण्यस्मरण समारोह

* गौरव ग्रंथ ‘दादा’ का शानदार विमोचन
अमरावती/दि.30 – अभ्यासू व दरारा रहने वाले व्यक्ति के रुप में दादासाहब कालमेघ की पहचान थी. स्व. दादासाहब कालमेघ ने अपने कार्यकाल में सैकडों को मदद का हाथ दिया. जिससे उनकी जीवन यात्रा सुकर हुई, ऐसा प्रतिपादन श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख ने किया.
स्थानीय पंचवटी चौक स्थित गुरुदेव प्रार्थना मंदिर में स्व. दादासाहब कालमेघ स्मृति प्रतिष्ठान द्बारा स्व. दादासाहब कालमेघ के 25वें पुण्यस्मरण समारोह का आयोजन किया गया. शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में शिवाजी शिक्षा संस्था के कोषाध्यक्ष दिलीपबाबु इंगोले, उपाध्यक्ष एड. गजानन पुंडकर, पूर्व प्राचार्य वंसतराव घुरडे, श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के कार्यकारी सदस्य केशवराव मेटकर, पूर्व प्राचार्य केशवराव गावंडे, सचिव शेषराव खाडे, संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के राज्यपाल नामीत सदस्य प्रा. दिनेश सुर्यवंशी, जयगिरी महाराज, स्व. दादासाहब कालमेघ स्मृति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शरद कालमेघ, सचिव हेमंत कालमेघ प्रमुख रुप से उपस्थित थे. इस अवसर पर दादा इस दादासाहब के जीवनी पर प्रकाशित गौरव ग्रंथ का शानदार विमोचन किया गया.
कार्यक्रम में हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि, दादासाहब ने अपने जीवन में कई उतार-चढाव देखे. उनके कार्यकाल में जो राजनीति हुई, वह अपेक्षित नहीं थी. इसके लिए हम जिम्मेदार है. कालमेघ परिवार पर लोग बडी संख्या में प्रेम करते है. दादासाहब को मानने वाला बडा वर्ग है. ऐसे कार्यक्रमों से उनकी स्मृतियां ताजा होती है, ऐसा ही प्यार कालमेघ परिवार पर कायम रखने की अपील भी उन्होंने की.
कार्यक्रम में दिलीपबाबु इंगोले ने दादासाहब की कई यादें ताजा कर उनके जीवनी पर आधारित ग्रंथ की जरुरत थी. आगामी पीढी को दादासाहब का स्मरण हो, इसके लिए ऐसे साहित्यों की आवश्यकता रहती है. दादासाहब का शिव परिवार व अमरावतीवासियों पर विशेष प्रेम था. उन्होंने कभी भी किसी का मन नहीं दुखाया. उन्होंने समाज को अच्छी सिख दी. कार्यक्रम में शरद कालमेघ, दिनेश सुर्यवंशी, वसंतराव घुरडे आदि ने भी अपने विचारों से दादासाहब के विविध पहलूओं पर प्रकाश डाला. दादासाहब के विचार व उनके कार्य समाज तक पहुंचाने में प्रयत्नशील व्यक्तियों का गौरव तथा गौरव ग्रंंथ का प्रकाशन करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रा. गजानन भारसाकले, रमेश बामनोदकर, डॉ. सतीश तराल, मनीष चोपडे, प्रा. सुधर्मा हांडे, गजानन ढोके, प्रा. मंदा नांदूरकर आदियों का मान्यवरों के हस्ते शाल श्रीफल प्रदान कर गौरव किया गया.
कार्यक्रम का प्रास्ताविक गजानन भारसाकले ने तो सुत्रसंचालन डॉ. मंदा नांदूरकर ने किया. आभार प्रदर्शन हेमंत कालमेघ ने किया. कार्यक्रम में दादासाहब कालमेघ पर प्रेम करने वाले आजीवन सभासद, प्राचार्य, प्राध्यापक, शिक्षक, शिक्षकेत्तर-कर्मचारी व समाज के ज्येष्ठ नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम दौरान जिजामाता महाविद्यालय के प्रा. अनिल काले व उनके टीम ने दादासाहब के जीवन कार्यों पर आधारित गीत प्रस्तुत किया. पसायदान से कार्यक्रम का समापन किया गया.

* दादासाहब के जीवन कार्यों का आईना मतलब ‘दादा’
स्व. वासुदेवराव उपाख्य दादासाहब कालमेघ के जीवनकार्यों पर आधारित दादा इस गौरव ग्रंथ का प्रकाशन उनके 25वें पुण्यस्मरण पर्व पर किया गया. इस गौरव ग्रंथ में 135 नामांकित लेखकों के लेख है. जिसमें 4 पूर्व कुलगुरु व 4 पूर्व कुलसचिवों के लेख शामिल है. 500 पेज का यह ग्रंथ वाचनीय है तथा समाज के संवेदनशील नेतृत्व दादासाहब के जीवन कार्य पर प्रकाश डालने वाला व उनके जीवनकार्यों का आईना यह ग्रंथ है, ऐसे भाव इस अवसर पर हेमंत कालमेघ ने व्यक्त किये.

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