शहर में फिलहाल रोजाना जलापूर्ति संभव नहीं
महापौर व निगमायुक्त को मजीप्रा ने बतायी अपनी समस्याएं
-
ठेकेदार, महावितरण व निधी की कैची में अटकी अमृत योजना
अमरावती/दि.13 – अमरावती व बडनेरा शहर में पहले की तरह रोजाना जलापूर्ति शुरू करना फिलहाल संभव नहीं है, किंतु महापौर के निर्देशानुसार मार्च माह से रोजाना कुछ घंटों के लिए जलापूर्ति करने का प्रयास किया जायेगा. रोजाना नियमित जलापूर्ति करने हेतु आवश्यक यंत्रणा सक्षम होने तक हर दिन नलों के जरिये पानी छोडना फिलहाल संभव नहीं है. इस आशय की स्थिति मजीप्रा के अधिक्षक अभियंता कोपुलवार द्वारा महापौर चेतन गावंडे और निगमायुक्त प्रशांत रोडे के समक्ष अपनी ओर से स्पष्ट की गई है.
गत रोज महापौर चेतन गावंडे, उपमहापौर कुसुम साहू, स्थायी सभापति राधा कुरील, पार्षद प्रकाश बनसोड व तुषार भारतीय ने अमरावती व बडनेरा को जलापूर्ति करनेवाले सिंभोरा बांध सहित राजूरा गांव स्थित मजीप्रा के जलशुध्दीकरण व जलापूर्ति केंद्र का दौरा किया. इस अवसर पर मजीप्रा के अधिक्षक अभियंता सुरेंद्र कोपुलवार ने सभी को जलापूर्ति के संदर्भ आवश्यक जानकारी दी. इस समय जनप्रतिनिधियों का कहना रहा कि, अमरावती शहर में रोजाना जलापूर्ति हो, इस हेतु 114 करोड रूपयों की अमृत योजना को मंजूरी दिलाते हुए काम भी शुरू कराया गया. किंतु अब तक यह काम पूर्ण नहीं हुआ है. जिसकी वजह से यह प्रकल्प अटका पडा है. इस काम के ठेकेदार पी. एल. आडगे की अडियल भुमिका की वजह से तीन वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक केवल 83 फीसदी काम पूर्ण हुआ है. जिस पर 77.88 करोड रूपये खर्च हो चुके है. वहीं इस समय 89.66 करोड रूपयों की निधी अखर्चित है. इस अखर्चित निधी को खर्च करना भी मजीप्रा के लिए संभव नहीं है, ऐसी जानकारी इस निरीक्षण दौरे में सामने आयी है. इसके अलावा पता चला है कि, संबंधित ठेकेदार को सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है. जिसकी वजह से वह ठेकेदार किसी भी बात के लिए मजीप्रा और मनपा की सुनता ही नहीं. साथ ही उसके द्वारा अधूरे काम करने के बाद अपने हाथ उपर कर दिये जाने की वजह से अब मजीप्रा पर नया ठेकेदार खोजकर शेष काम पूर्ण करवाने की नौबत आ गयी है. इस प्रक्रिया को भी तीन माह का वक्त लगेगा, लेकिन मजीप्रा द्वारा तय समय के भीतर काम पूर्ण करने का नियोजन किया जा रहा है, ऐसा अभियंता सुरेंद्र कोपुलवार द्वारा बताया गया है.
उपरोक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद महापौर चेतन गावंडे ने कहा कि, अब तक हुए कामों की प्रगति काफी अच्छी है. किंतु फिर भी कई महत्वपूर्ण कामों के अधूरे रह जाने के चलते रोजाना नियमित जलापूर्ति करना कुछ हद तक मुश्किल है. किंतु नागरिकों को रोजाना पानी उपलब्ध हो, इस हेतु मार्च माह से प्रायोगिक तौर पर कुछ घंटे रोजाना नलों से पानी छोडे जाने का काम शुरू किया जाना चाहिए. इस समय मजीप्रा द्वारा जनप्रतिनिधियों को लगभग भारी मन से इस हेतु हां कहा गया. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, क्या मजीप्रा मार्च माह से वाकई रोजाना कुछ घंटों के लिए नलों से पानी छोडने में सफल हो पाता है.
मजीप्रा ने किया हाई वोल्टेज से इन्कार, 3 करोड की गरज
विद्युत आपूर्ति की जिम्मेदारी रहनेवाली महावितरण कंपनी के लिए मजीप्रा काफी बडा ग्राहक है और प्रतिमाह मजीप्रा द्वारा महावितरण को करोडों रूपयों का विद्युत बिल अदा किया जाता है. विद्युत कंपनी के रूप में सेवा देते समय ग्राहकोें तक अखंडित विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराना महावितरण की जवाबदारी है. किंतु बावजूद इसके मजीप्रा के मामले में महावितरण द्वारा अपनी इस जिम्मेदारी से हाथ झटका जा रहा है. जानकारी के मुताबिक मजीप्रा के जलापूर्तिवाले पंपिंग स्टेशन हेतु अंडर ग्राउंड विद्युत आपूर्ति की जरूरत है. फिलहाल जिस परंपरागत पध्दति से विद्युत आपूर्ति होती है, उसमें कई तरह की समस्याएं पायी जाती है, और बार-बार विद्युत आपूर्ति खंडित होती है. यदि पांच मिनट के लिए भी बिजली गुल होती है, तो सभी पंप बंद पड जाते है, और अगले तीन घंटों के लिए जल वितरण का काम ठप्प हो जाता है. ऐसे में यदि अखंडित विद्युत आपूर्ति होती है, तो यह बेवजह की तकलीफ भी खत्म हो जायेगी. किंतु इस हेतु नया उपकेंद्र स्थापित करने हेतु तीन करोड रूपयों का खर्च अपेक्षित है. जिसकी नैतिक जिम्मेदारी महावितरण की है. किंतु महावितरण द्वारा इस खर्च का बोझ उठाने से मना कर दिया गया है. ऐसे में अब इस खर्च के लिए मजीप्रा को ही कहीं से निधी का नियोजन करना होगा. ऐसी जानकारी भी अधिक्षक अभियंता कोपुलवार द्वारा दी गई है.
मुख्य पंपिंग प्लांट रिटायर, 174 करोड रूपयों की डिमांड
अमरावती शहर को जलापूर्ति करनेवाले अप्पर वर्धा बांध पर मुख्य पंपिंग स्टेशन का निर्माण वर्ष 1994 में किया गया था. अप्पर वर्धा बांध से नेरपिंगलाई गढ के केंद्र तक करीब 22 किमी. तक पानी पहुंचाने की जवाबदारी इस पंपिंग स्टेशन की है. किंतु अब यहां की तमाम मशिनरी कालबाह्य हो चुकी है. जिन्हें तत्काल बदला जाना बेहद जरूरी है. अन्यथा इन मशीनों के बंद पड जाने की स्थिति में शहर की जलापूर्ति पूरी तरह से ठप्प हो सकती है. ऐसे में इस पंपिंग स्टेशन के लिए नई मशीन व संशोधित नियोजन हेतु मजीप्रा द्वारा फरवरी माह में ही सरकार को 174 करोड रूपयों की डिमांड भेजी गयी है. किंतु उसे अब तक राज्य सरकार की मंजुरी प्राप्त नहीं हुई है. जबकि अमरावती व बडनेरा शहर की जलापूर्ति को सुचारू रखने हेतु इस निधी एवं प्रस्ताव को तत्काल मंजुरी दिया जाना बेहद आवश्यक है. जिसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयास किये जाने चाहिए.