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दलित समाज पर लगा है आपसी फूट का श्राप

केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले का कथन

नागपुर/दि.7- वैचारिक विवादों के चलते हमारे नेता दलित पैंथर को नहीं टिका पाए और आज भी दलित समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को अखिल भारतीय स्तर का नेता समझता है. यही वजह है कि बार-बार रिपब्लिकन एकता का प्रयास करने के बावजूद भी इसमें सफलता नहीं मिलती. इसे देखकर लगता है मानो दलित समाज को आपसी फूट का श्राप लगा हुआ है. इस आशय का प्रतिपादन केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले व्दारा किया गया.
स्थानीय वसंतराव देशपांडे सभागृह में दलित पैंथर का सुवर्ण महोत्सवी समारोह का आयोजन किया गया था. जिसमें प्रमुख अतिथि के तौर पर केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने उपरोक्त विचार व्यक्त करने के साथ ही कहा कि, रिपब्लिकन पार्टी सत्ता में आए, ऐसा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का सपना था. लेकिन धर्मांतरण के चलते वे रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना नहीं कर पाए थे और रिपाई की स्थापना बाबासाहब के महापरिनिर्वाण के बाद हुई. वहीं हमने रिपब्लिकन एकता के लिए अपने खून पसीने से सिंचे गए दलित पैंथर को बर्खास्त किया था. लेकिन आज इस बात पर एक बार फिर विचार किए जाने की जरुरत महसूस हो रही है कि क्या दलित पैंथर को दोबारा खडा किए जाने की जरुरत है.

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