अमरावती

अघोषित लोडशेडिंग के चलते ग्रीष्मकालीन फसलों का नुकसान

संभाग के घरेलू ग्राहको सहित किसान परेशान

अमरावती/दि. 16-पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी व अन्य कारण बताकर महावितरण द्बारा लोडशेेडिंग शुरू कर दी गई है. जिसमें अमरावती संभाग के घरेलू ग्राहको सहित किसानों को भी लोडशेडिंग का फटका बैठ रहा है. अमरावती संभाग में ग्रीष्मकालीन फसलों का बुआई क्षेत्र 30 हजार हेक्टर है. दो सालों में पर्याप्त मात्रा में बारिश होने की वजह से बुआई क्षेत्र दुगना बढ गया है. कृषि क्षेत्र के लिए सप्ताह में 3 से 4 दिन 8 घंटे बिजली दी जा रही है और बाकि 16 घंटे लोडशेडिंग किया जा रहा है और यह पिछले दो सालों से शुरू है.
जिले के अधिकांश क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र के लिए 4 दिन बिजली की आपूर्ति की जा रही है जिसमें 8 घंटे बिजली की आपूर्ति करने पर पुन: लोडशेडिंग बढा दिया गया है. इसके अलावा स्थानीय तकनीकी दिक्कत बताकर बिजली की आपूर्ति खंडित भी की जा रही है. जिसकी वजह से ग्रीष्मकालीन फसलों को नुकसान हो रहा है और किसान इन फसलों को कैसे बचाए, उनके सामने यह प्रश्न निर्माण हो रहा है. चिलचिलाती धूप में फसलों की सिंचाई करना आवश्यक है. किंतु लोडशेडिंग बढाए जाने पर किसानों को अपनी फसल व संतरा बागों को जिंदा रखने के लिए रात दिन मेहनत करनी पड रही है.
अमरावती संभाग में सार्वधिक मुंगफली का बुआई क्षेत्र है. इस बार संभाग में स्थित कुओं व तालाबों में पर्याप्त मात्रा में जलसंग्रह है. जिसका लाभ किसानों ने लेकर फसलों की बुआई की है. अब किसानों को इन फसलों पर सिंचाई करने के लिए परेशानियों का सामना करना पड रहा है. मध्यरात में महावितरण द्बारा बिजली की आपूर्ति की जाती है. उस समय पर किसानों को उपस्थित रहना पडता है. मूंगफली की फसल की स्थिति फिलहाल काफी अच्छी और पानी की आवश्यकता भी बढी है. संभाग के अनेक क्षेत्रों में रात को 1 बजे आनेवाली बिजली कभी- कभी सुबह 5 बजे तक भी आती नहीं.
किसानों को रात 1 बजे से सुबह 5 बजे तक कृषि पंप के बोर्ड के सामने तक तक बिजली की राह देखनी पड रही है. महावितरण से जब लोड शेडिंग के संदर्भ में पूछा जाता है तो कंपनी द्बारा समाधानकारक जवाब भी नहीं दिया जाता, ऐसी किसानों की शिकायत है. लोड शेडिंग की वजह से फसलों की समय पर सिंचाई नहीं किए जाने पर उनके हाथ में आया ग्रास मुुंह तक भी नहीं पहुंच पायेगा. इन सभी बातों को देखकर ग्रीष्मकालीन फसलों के उत्पादन में कमी होने के संकेत दिखाई दे रहे है. इन किसानों की फसलों की नुकसान भरपाई कौन करेगा, ऐसा भी प्रश्न किसानों द्बारा उपस्थित किया जा रहा है.
कृषि क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों के गांवों में घरेलू बिजली आपूर्ति की भी यही स्थिति है. यहां पर भी फिलहाल की परिस्थिति में लोडशेेडिंग शुरू है. आपातकालीन लोड शेडिंग के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना बेवक्त घंटे दो घंटे के लिए बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोडशेडिंग का समय भी निश्चित नहीं है. जिसकी वजह से नागरिको को असुविधा हो रही है.

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