खतरा : अमरावती विभाग में आठ डिपो की 112 कबाड बसेस दौड रही सडकों पर
यात्रियों को होना पडता है परेशान
* दुर्घटना का भी प्रमाण बढा
अमरावती/दि.07– जिले की अधिकांश सडकें वर्तमान में काफी अच्छी है. लेकिन इन सडकों पर एसटी महामंडल की बसेस रफ्तार पकडती दिखाई नहीं देती. इसका मुख्य कारण यानी विभाग की करीबन 112 बसेस 10 साल से ज्यादा समय हो जाने से काफी पुरानी हो गई है. उसकी दुरुस्ती कर उसे सडकों पर दौडाया जा रहा है. बार-बार बंद पडनेवाली बस से सफर करते समय यात्रियों को परेशानी का सामना करते हुए जानलेवा सफर करना पड रहा है. इस कारण ऐसी कबाड बसों का रफ्तार पकडने का सवाल ही नहीं उठता. ऐसी बसों में सफर करते समय गंतव्य स्थान पर कब पहुंचेंगे? यह संबंधित यात्री को पता नहीं रहता.
एसटी महामंडल कोरोना के कारण ज्यादा आर्थिक संकट में आ गया था. पश्चात कर्मचारियों की हडताल के कारण उन्हें काफी नुकसान सहन करना पडा. परिणामस्वरुप एसटी महामंडल की आर्थिक परिस्थिति ज्यादा बिगड गई है. महामंडल के जरिए यात्रियों की सुरक्षा का भी विचार न करते हुए पुरानी बसों को दुरुस्त कर सडकों पर दौडाया जा रहा है. केंद्र शासन के नए नियमानुसार 10 वर्ष से अधिक अवधि हुई बसों को सडकों पर न दौडाने की सूचना है, लेकिन विभाग में अभी भी 10 से 12 वर्ष से पुरानी बसेस चल रही है. जिले के 8 डिपो में 378 बस व मालवाहक ट्रक है. इसमें से करीबन 100 से अधिक बस 10 वर्ष से अधिक पुरानी है. विभाग में 467 बसेस में से पिछले कुछ वर्ष में कबाड में 74 बसों की नीलामी हुई. इसके अलावा 25 निजी शिवशाही बस भी कबाड हो गई. जो बसें अभी सडकों पर दौडती दिखाई देती है, उसे धीमी गति से चलाना पडता है. इस कारण यात्री परेशान हो जाते है. उपाययोजना करने की मांग अब की जाने लगी है.
* हर दिन बस की जांच
एसटी महामंडल की जो बसेस सडकों पर चलाई जा रही है और अच्छी अवस्था में है उसे हम बाहरगांव की फेरियों के लिए भेजते हैं. बस को रवाना करने के पूर्व हर दिन कार्यशाला में उसकी जांच की जाती है.
-नीलेश बेलसरे, विभाग नियंत्रक
* 10 साल से पुरानी हुई डिपो निहाय बस की संख्या
अमरावती 16
बडनेरा 11
परतवाडा 11
वरुड 15
चांदूर रेलवे 16
दर्यापुर 16
मोर्शी 19
चांदूर बाजार 08
कुल 112