राष्ट्रीय चिकित्सकीय आयोग की रिपोर्ट में खतरनाक वास्तविकता उजागर
वैद्यकीय शिक्षा की गंभीर स्थिति सामने
* प्राध्यापक आधे समय भी उपस्थित नहीं
नई दिल्ली/दि.04– 2022-23 में मूल्यांकन किए गये अधिकांश वैद्यकीय महा विद्यालय में केवल ‘बदली’प्राध्यापक (नाम एक का प्रत्यक्ष काम दूसरा ही करता है) और वरिष्ठ निवासी डॉक्टर होने का दिखाई दिया. किसी भी संस्था ने 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता पूरी नहीं की. , ऐसा राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग ने कहा है. कुल 27 राज्य में 247 पदवी वैद्यकीय महाविद्यालय के शैक्षणिक वर्ष 2022- 23 के लिए मान्यता प्रदान करने के लिए अथवा मान्यता शुरू रखने के लिए मूल्यांकन किया गया. असोसिएशन ऑफ इमर्जन्सी फिजिशियन ऑफ इंडिया (एईपीआय) कोे दिए गये उत्तरात आयोग ने ही यह जानकारी दी है.
– आपातकालीन विभाग को कोई भी प्राध्यापक नियमित रूप से भेंट नहीं देते
– आपातकालीन विभाग में वैद्यकीय अधिकारी के अलावा संवाद साधने के लिए कोई भी नहीं रहता
– वैद्यकीय पदवी शिक्षा बोर्ड के अनुसार आपातकालीन विभाग के पोस्टिंग यह विद्यार्थियों के लिए विश्रांती की कालावधि मानी जाती है.
– हाल ही में अधिसूचित की गई नियमावली में महापालिका ने नया वैद्यकीय महाविद्यालय स्थापित करने के लिए आपातकालीन विभाग की आवश्यकता पर अनदेखा किया है.
– इस महाविद्यालय के आधार सक्षम बायामेट्रिक उपस्थिति की जांच में होने पर न्यूनतम मानक आवश्यकतानुसार प्राध्यापक और वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों की संदर्भ में सभी महाविद्यालय को 100 % असफलता मिली.
– बहुसंख्य महाविद्यालय में बदली प्राध्यापक और वरिष्ठ निवासी डॉक्टर थे अथवा प्राध्यापकों की नियुक्ति हुई नहीं थी.
– कमी के संबंध में ताकीद देने के बाद और वह पूरी करने के लिए पूरा समय देने के बाद भी एक भी कॉलेज ने 50 प्रतिशत उपस्थिति की शर्त पूरी नहीं की.
* शून्य उपस्थिति आम बात
– कार्यात्मक शैक्षणिक आपातकालीन विभाग वाले वैद्यकीय महाविद्यालय की संख्या 45 पर से 134 तक बढी है. एमडी आपातकालीन उपचार की सीटों में 120 से 462 तक वृध्दि हुई है.
– कागज पर 145 महाविद्यालय होने पर भी वह केवल आकडेवारी है. वस्तुस्थिति विदारक
– विद्यार्थी आपातकालीन विभाग में नियमित जाते नहीं, कारण वहां पर दुर्घटनाग्रस्त वैद्यकीय अधिकारी के अलावा उनसे संवाद साधने के लिए कोई भी नहीं है.
-पदव्युत्तर स्तर पर समस्या अलग है. जिनका उल्लेख रिपोर्ट में नहीं है.