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दानवीर कर्ण है संजय हरवानी

राजू मूंधडा के गौरवोद्गार

* रोटरी रक्त संकलन वैन का लोकार्पण

अमरावती/दि.22- आज के मौजूदा दौर में लगभग हर कोई अपने व अपने परिवार के लिए अधिक से अधिक भौतिक साधन व संपत्ति जुटाना चाहता है. इसमें से कुछ बिरले ही होते है, जो समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझते है तथा सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा तत्पर रहते हुए अपनी ओर से तमाम तरह की सहायता प्रदान करने हेतु तैयार रहते रहते है. इनमें से ही एक है अमरावती शहर के ख्यातनाम उद्योजक संजय हरवाणी, जिन्हें मौजूदा दौर का दानवीर कर्ण भी कहा जाये, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. इस आशय के गौरवोद्गार राजू मूंधडा द्वारा व्यक्त किये गये.
गत रोज रोटरी रक्त संकलन वैन का लोकार्पण रोटरी इंटरनैशनल के अध्यक्ष शेखर मेहता के हाथों समारोहपूर्वक किया गया. इस अवसर पर इस वैन की संकल्पना को अमल में लानेवाले राजू मूंधडा द्वारा अपने विचार व्यक्त किये जा रहे थे. इस समय राजू मूंधडा ने बताया कि, विगत फरवरी माह के दौरान वे एक दिन संजय हरवाणी से फोन पर यूं ही कुछ बातचीत कर रहे थे और बातचीत के दौरान उन्होंने संजयभाई के सामने अपने मन का एक विचार रखा. जिसमें उन्होंने कहा कि, संजयभाई मैं रक्त संकलन के लिहाज से एक वैन तैयार करना चाहता हूं, जिसमें एक ही समय पर 4 लोग रक्तदान कर सकेंगे. इस जरिये किसी भी समय कहीं पर भी रक्त संकलन का काम हो सकेगा. इस वैन के लिए करीब 32 लाख रूपये का खर्च आयेगा. ये तमाम बातें जारी रहने के दौरान ही संजय हरवाणी ने फोन पर ही इस काम के लिए अपनी ओर से 11 लाख रूपये देने की बात कही. जिस पर सहसा कोई विश्वास नहीं कर सकता कि, केवल 15 सेकंड की बातचीत में एक बेहतरीन कार्य के लिए कोई 11 लाख रूपये भी दे सकता है. ऐसे में संजय हरवाणी को दानवीर कर्ण न कहा जाये, तो क्या कहा जाये.
रोटरी की रक्त संकलन वैन के लोकार्पण अवसर पर राजू मूंधडा ने पुरानी बातोें को याद करते हुए कहा कि, उन्हें संजय हरवाणी के साथ अपनी पहली मुलाकात आज भी याद है. वह 2013 की एक घटना थी, जब संजय हरवाणी को किसी के लिए रूग्णसेवा की ओर से कुछ साहित्य चाहिए था. रूग्णसेवा एक सेवाभावी संस्था है, जो अस्थिव्यंग रहनेवाले जरूरतमंद मरीजों को उपयोगी साहित्य की आपूर्ति करती है. उस समय खुद मैंने संजयभाई को वह साहित्य पहुंचाया था और संजयभाई ने रूग्णसेवा संस्था के बारे में जानकारी लेते हुए कहा था कि, यदि भविष्य में कभी किसी साहित्य की खरीदी हेतु जरूरत पडती है, तो उनसे आर्थिक सहायता जरूर ली जाये. इसके कुछ ही दिन बाद उन्हें आयसीसीयू के दो बेड की जरूरत महसूस हुई, तो उन्होंने संजयभाई को फोन किया और संजयभाई ने तुरंत दो आयसीसीयू बेड की व्यवस्था की. इससे पता चलता है कि, संजयभाई में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितनी तीव्र भावनाएं है और वे अपने कर्तव्यों को लेकर कितने समर्पित है. इसी तरह संजयभाई का शिक्षा की ओर देखने का भी एक अलग दृष्टिकोन है. जिसके तहत वे सिंधी समाज के जरूरतमंद व मेधावी छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करते है. साथ ही इन विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु वे सदैव अग्रणी ही रहते है. इसके अलावा समाज के संकट में फंसे कई परिवारों को भी संजयभाई ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर मदद करते हुए संभालने व संवारने का काम किया है. उपरोक्त प्रतिपादन के साथ ही राजू मूंधडा ने यह भी कहा कि, दानवीर संजय हरवाणी के संदर्भ में ऐसे कई छोटे-बडे किस्से सभी लोगों के कान पर आते है. किंतु खुद संजय हरवाणी इन बातों को लेकर कभी किसी तरह की कोई चर्चा नहीं करते. बल्कि उनका मानना है कि, समाज के लोगों की प्रेम-भावना व आशिर्वाद ही उनके लिये सबसे बडी संपत्ति है.

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