अमरावती/दि.12 – जिले में इस वर्ष संतोषजनक बारिश होने से भूजलस्तर में काफी बढोतरी हुई है. जिसके चलते इस बार जिले में रबी का बुआई क्षेत्र बढने का अनुमान जताया जा रहा है. रबी सीजन की मुख्य फसल चना की बुआई शुरु हो चुकी है, मगर बुआई के समय बेहत जरुरी डीपीए खाद बाजार में उपलब्ध न होनेे के कारण किसान डीएपी खाद की खोज में भटकने के लिए विवश हो गया है.
कृषि विकास अधिकारी जी.टी.देशमुख के मुताबिक अमरावती जिले में वर्तमान में यूरिया 9883 मेट्रिक टन, डीएपी 1178 मेट्रिक टन, संयुक्त खाद 6 हजार 165 मेट्रिक टन और एएसपी 5 हजार 789 मेट्रिक टन खाद उपलब्ध है. मगर यह खाद का भंडार रबी फसल के लिए अपर्याप्त है. जिले में रबी फसल के लिए मंजूर आवंटन के अनुसार यूरिया 28 हजार 330 मेट्रिक टन, डीएपी 12 हजार 720, संयुक्त खाद 21 हजार 590 और एसएसपी 25 हजार 920 मेट्रिक टन खाद मंजूर है.
जिले में हर वर्ष पौने दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की बुआई की जाती है. जिसमें 1 लाख 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चना, 30 से 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई होती है. इस वर्ष जलस्तर बढने और अन्य जल स्त्रोतों में पर्याप्त रुप से जलसाठा उपलब्ध होने से रबी का बुआई क्षेत्र 2 लाख हेक्टेयर तक बढने की संभावना है. इसलिए कृषि विभाग ने नियोजन शुरु कर दिया है.
जिले में डीएपी खाद उपलब्ध करने के लिए वरिष्ठ स्तर पर लगातर प्रयास शुरु है, मगर अभी तक डीएपी खाद उपलब्ध नहीं हो पाया है. अन्य जिलों में भी यहीं स्थिति है. डीएपी के विकल्प के तौर पर 10:26:26 समेत एसएसपी एकत्रित कर इस्तेमाल किया जा सकता है, मगर किसानों को बुआई के समय यह सहज नहीं हो पाता. डीएपी की तुलना में इसके लिए वैसे ही ज्यादा देने पडते हैं. इसी कारण किसान डीएपी की डीमांड ज्यादा तौर पर कर रहे है.
– जी.टी.देशमुख,
जिला कृषि विकास अधिकारी
इस वर्ष संतोषजनक बारिश होने से रबी का बुआई क्षेत्र 2 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है, मगर डीएपी खाद की किल्लत है. मार्केट में अन्य संयुक्त खाद उपलब्ध है. किसान डीएपी के अलावा संयुक्त खाद का उपयोग कर सकते है
– अनिल खर्चान,
जिला कृषि अधीक्षक