अमरावती

बिजली गुल होने से बिजीलैंड में छाया अंधेरा

व्यापारियों में रोष, उपाय के नाम पर झूठा आश्वासन

* दो दिन से बिजली गुल
अमरावती/दि.21- एशिया महाद्बीप का सबसे बडा होलसेल कपडा मार्केट आज सूरत और गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली का शिकार बना है. महावितरण को नियमित रुप से लाखों का बिजली बिल भुगतान करनेवाला बिजीलैंड मार्केट विगत 2 दिनों से अंधेरे में डूबा हुआ है. हालांकि कंपनी मार्केट संकुल से हर महीने कडाई के साथ 100 प्रतिशत बिल की वसूली करती है, लेकिन उसके बदले व्यापारियों को 24 घंटे अबाधित बिजली आपूर्ति करने में खुद को असमर्थ पा रही है.
उपायायोजना के नाम पर झूठे आश्वासन देकर भी उसे पूरा न करने पर प्रामाणिकता के साथ बिल चुकाने वाले व्यापारियों में रोष है. बिजीलैंड व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय भूतडा की अनुपस्थिति में प्रचार प्रमुख सुरेश केवलरमानी ने बताया कि, बिजीलैंड शुरु होने के बाद से ही उन्हें बिजली को लेकर इस प्रकार की समस्याओं से जूझना पड रहा है. करीब 10 वर्षो में ऐसा कोई दिन नहीं हुआ कि, बिजली गुल न हुई हो. बिजली हर आधे, एक घंटे में गुल हो जाया करती है. इस समस्या का अब तक कोई हल नहीं निकला है. बिजीलैंड का पॉवर कंसप्शन अधिक होने के कारण संकुल में डीपी की संख्या 12 तक पहुंच गई है. लेकिन डीपी के माध्यम से की जा रही बिजली आपूर्ति दुकानों की संख्या के अनुपात में पर्याप्त नहीं है. सुरेश ने बताया कि, एक जगह पर महावितरण 12 से अधिक डीपी नहीं लगा सकती. 13वीं डीपी लगाने के लिए उस जगह पर पॉवर स्टेशन स्थापित करना पडता है. कंपनी के समक्ष कई बार पॉवर स्टेशन की मांग रखने के बावजूद आज तक यह स्थापित नहीं हो सका है. बार-बार शिकायत करने और पॉवर स्टेशन के लिए जगह उपलब्ध कराने जाने पर भी के बाद भी प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
बिजीलैंड में कई हॉईपॉवर मशीनें काम करती है. बार-बार बिजली जाने से इनके फ्यूज उड सकते हैं. जो व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा होगा. इसलिए व्यापारियों के लिए बिजली का प्रश्न आज बहुत बडा हो गया हैं. दो दिन से बिजली गुल है. गर्मी में व्यापारी परेशान हो रहे हैं. कंपनियों का काम रुक गया है. थोडी हवा चलने पर महावितरण के वायर टूट जाते है और 12-12 घंटों तक बिजली वापस नहीं आती. सालों से बिना चुके बिजली बिल भरते आ रहे व्यापारी काफी परेशान और गुस्से में हैं. व्यापारी तत्काल स्थायी उपाय की मांग कर रहे हैं.

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