अमरावती/दि.29– ऐन बारिश के दिनों में ग्रामीण भाग में घना अंधेरा छाया है. राज्य शासन की ओर से पथदियों का बिल भरने के लिए दी जाने वाली निधि ही उपलब्ध न होने से जिले की करीबन सभी ग्राम पंचायतों के पथदियों की आपूर्ति विद्युत कंपनी ने खंडित की है.
केंद्र सरकार द्वारा ग्रामपंचायतों को मिलने वाले 15 वित्त आयोग की निधि से यह खर्च करने बाबत राज्य शासन ने कहे जाने से सरपंच व लोकप्रतिनिधि में संताप व्याप्त है. विकास का पैसा बिजली आपूर्ति पर कैसे खर्च करें, ऐसा उनका सवाल है.
अब तक ग्रामपंचायत के पथदियों का खर्च करने के लिए राज्य शासन की ओर से निधि दिया जाता था. लेकिन कोरोना के बाद यह निधी अब तक नहीं मिला. शासन द्वारा निधि उपलब्ध न होने की बात कही जा रही है. विशेष यह है कि बारिश के दिन शुरु हो गए है. इन दिनों में ग्रामीण भागों में रात के समय साप व अन्य हिंस्त्र पशुओं का खतरा अधिक रहता है. रात के घने अंधेरे में जीवित हानि होने पर इसके लिए जिम्मेदार कौन? ऐसा प्रश्न इस निमित्त उपस्थित किया जा रहा है. ग्रामपंचायत का स्वयं की आय का कोई भी साधन न रहने से विकासकाम करें या पथदियों के बिल भरे, ऐसी दोनों समस्याओं में सरपंच घिरे हुए हैं.
* सरपंच ने जि.प. मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सौंपा निवेदन
पथदियों की खंडित विद्युत आपूर्ति को लेकर आक्रमक हुए कुछ सरपंच व सदस्यों ने जिला परिषद पहुंचकर मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निवेदन सौंपा. निवेदन देने वालों में दाभा की सरपंच अर्पिता वाठ, नांदसावंगी के अमोल नरोडे, खंडालाखुर्द के उमेश दहातोंडे, शिवणी रसुलापुर की श्वेता देशमुख, येवती के गोकुल राठोड, पुसनेर के मदन काजे, शेलुगुंड के अरुण भगत, पिंपरी गावंडा की सरपंच कांता लळे, सावनेर के धनराज इंगोले व सिद्धनाथपुर के सरपंच अशोर रंगे आदि का समावेश था.