तमों गुण के कारण दशानन रावण का पराभव
चरित्रवान थे, इसलिए विजयी हुए राम
* मंगला माता देवस्थान को सरसंघचालक की ऐतिहासिक भेंट
धामणगांव रेलवे/दि. 24 – सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज कहा कि, तमों गुण नष्ट कर सत्व गुण अंगीकार करने से सभी क्षेत्र में यश प्राप्त होता है. किसी भी प्रकार का युद्ध हो, पवित्र चरित्र होना आवश्यक है. प्रभु श्रीराम चरित्रवान थे, इसलिए विजयी हो गए और तमों गुणों के कारण रावण पराजित हो गया. वें मंगला माता देवस्थान में बोल रहे थे. यह ऐतिहासिक भेंट रही. इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी ने 81 वर्ष पूर्व इस मंदिर को भेंट दी थी.
इस मंगलमय प्रसंग पर डॉ. भागवत के हस्ते मंगला माता की आरती की गई. मंगरुल दत्त. में श्री मंगला माता मंदिर में परमपूज्य माधव गोलवलकर ने 1942 में भेंट दी थी. उस समय एक छोटी झोपडी में मंदिर था. आज मंदिर को भव्यदिव्य रुप प्राप्त हो गया है. इस बात का भी उल्लेख डॉ. भागवत ने अपने संबोधन में किया. उन्होंने लोगों से शीलवान होने का आवाहन करते हुए कहा कि, शील के बिना शक्ति नहीं आती और शक्ति के शिवा संकल्प नहीं होता. जहां शील है वहां संकल्प पूर्ण होते हैं.
उल्लेखनीय है कि, सरसंघचालक की भेंट को 81 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य मंगला माता मंदिर में 100 साधको ने श्री गुरुचरित्र पारायण, घोरकष्टोद्धरण स्त्रोत के एक हजार पाठ अनुष्ठान, श्री दुर्गा सप्तशती के 1100 पाठ और 5 हजार भक्तों द्वारा घर-घर हनुमान चालीसा उपासना अभियान आयोजित किए गए. अभियान का समापन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में हुआ. मंच पर जिला संघचालक विपिन काकडे, मंगला माता देवस्थान की अध्यक्ष प्रभाकर खानझोडे विराजमान थे.
प्रस्तावना में संस्थाध्यक्ष खानझोडे ने मंदिर के साथ मंगरुल का इतिहास विषद किया. उन्होंने कहा कि, मंगरुल जैसे छोटे से देहात से 4 प्रचारक संघ हेतु निकले. मंदिर विकास में संघ के अनेक स्वयंसेवको का योगदान है. मुख्य पुजारी मोहन देव ने संकल्प वाचन किया. अभिप्राय में सरसंघचालक डॉ. भागवत ने संकल्प का विशेष उल्लेख किया. मंगला माता मंदिर ट्रस्ट के दिवाकर देशपांडे, प्रशांत शेटे, राजेंद्र सोनी, मोहन महाराज देव, जुगल किशोर मूंधडा, शरद चंद्र देशपांडे, प्रदीप फडणवीस आदि ने डॉ. भागवत से भेंट की. संस्था के प्रारुप की जानकारी दी. मंगरुल और परिसर के स्त्री-पुरुष बडी संख्या में उपस्थित थे. उसी प्रकार अनेक संत-महंत भी मौजूद थे. संचालन वैभव पोद्दार तथा आभार प्रदर्शन रवींद्र देशपांडे ने किया.