अमरावती

डेटा डेढ जीबी और पूरा घर बिजी

परिजनों के बीच आपसी संवाद हुआ खत्म

* बच्चों में बढ रही मोबाइल प्रयोग की आदत
अमरावती/दि.12 – इस समय लगभग सभी आयु वर्ग के लोगों के हाथ में मोबाइल दिखाई देता ही है और तमाम तरह के फिचर्स की सुविधा रहने वाले स्मार्ट फोन हर एक की पहली पसंद बने हुए है और घरों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक सभी का स्क्रीन टाइम काफी अधिक बढ गया है. इसके साथ ही पहले एक जीबी के भरोसे एक माह तक इंटरनेट चलाने वाले लोग अब रोजाना डेढ से दो जीबी तक इंटरनेट चलाते है. इसमें शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का भी समावेश है. यानि जबसे डेटा डेली डेढ जीबी हुआ है, तब से पूरा घर और पूरा गांव मोबाइल में ही बिजी हो गया है. परंतु आपसी संपर्क व संवाद को गतिमान करने हेतु बनाए गए मोबाइल की वजह से ही इन दिनों लोगों के बीच आपसी संवाद खत्म हो गया है तथा लोग ‘मैं और मेरा मोबाइल’ में ही मगन है. परंतु मोबाइल के लगातार प्रयोग और स्क्रीन टाइम के बढने की वजह से लोगों में आंखों की बीमारियों के साथ-साथ मानसिक विकार भी बढ रहे है.
उल्लेखनीय है कि, इससे पहले मोबाइल केवल आपसी संवाद का जरिया हुआ करते थेे. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. मोबाइल में इंटरनेट आने के बाद से मोबाइल और अधिक व्यापक हो गया है. जिसमें छोटे बच्चों से लेकर युवाओं व बुजुर्गों सहित महिलाओं की पसंद वाली बातों का समावेश किया गया है. इसमें भी अब विभिन्न कंपनियों द्बारा अपने ग्राहकों को प्रत्येक रिचार्ज पर रोजाना एक से डेढ जीबी का इंटरनेट डेटा उपलब्ध कराया जाता है. जो हर दिन के लिए होता है. ऐसे में सभी लोग इस बात की ओर खास ध्यान देते है कि, उनका इंटरनेट डेटा व्यर्थ न चला जाए, बल्कि वे उसका भरपूर उपयोग करें. जिसके चलते लोगबाग कई-कई घंटों तक मोबाइल ही देखते रहते है, लेकिन इसकी वजह से अब कई तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियां होने लगी है.

* डेटा के साथ-साथ अनलिमिटेड कॉलिंग भी तो है
विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रत्येक मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी द्बारा रोजाना एक से डेढ जीबी डेटा के साथ ही अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है. किसी जमाने में मोबाइल पर आउट गोईंग कॉल के साथ-साथ इनकमिंग कॉल के लिए पैसे अदा करने पडते थे. फिर आगे चलकर इनकमिंग कॉल मुफ्त हुई और आउटगोईंग कॉल के लिए अलग-अलग कंपनियों द्बारा अलग-अलग रिचार्ज प्लान उपलब्ध कराए जाते थे. जिसमें टॉकटाइम रिचार्ज के साथ-साथ कॉलरेड कम करने से संबंधित रिचार्ज का भी समावेश हुआ करता था. वहीं अब लगभग सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों द्बारा करीब 200 से 250 रुपए प्रतिमाह के रिचार्ज पर अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ-साथ रोजाना डेढ से दो जीबी का नेट पैक उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें से मोबाइल उपभोक्ताओं द्बारा पूरा दिन मोबाइल के साथ बिताते हुए अपने इंटरनेट पैक का तो भरपूर उपयोग किया जाता है. लेकिन अनलिमिटेड कॉलिंग का उपयोग करते हुए आपसी संवाद व संपर्क बढाने की ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है. बल्कि हर कोई मोबाइल से चिपके रहकर अपने आप में ही मगन रहने में खुश है.

* रोजाना किसे कितना डेटा लगता है
– ग्रामीण क्षेत्र
पुरुष – ग्रामीण क्षेत्र में घर के प्रमुख कर्ता पुरुष सहित अन्य पुरुष सदस्यों द्बारा रोजाना एक से डेढ जीबी डेटा का प्रयोग किया जाता है.
गृहिणी – पुरुषों की ही तरह ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्बारा रोजाना कम से कम एक जीबी डेटा का प्रयोग किया जाता है.
विद्यार्थी – यद्यपि स्कूलों व कॉलेजों में मोबाइल का प्रयोग नहीं किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद किशोरवयीन विद्यार्थियों व युवाओं द्बारा रोजाना कम से कम एक जीबी डेटा का प्रयोग किया जाता है.

– शहरी क्षेत्र
पुरुष – घर के प्रमुख कर्ता पुरुष द्बारा रोजाना कम से कम डेढ से दो जीबी डेटा का प्रयोग किया जाता है.
गृहिणी – ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की तुलना में शहरी क्षेत्र की महिलाओं द्बारा तुलनात्मक रुप से अधिक इंटरनेट का प्रयोग किया जाता है. जिन्हे रोजाना डेढ से दो जीबी डेटा की जरुरत पडती है.
विद्यार्थी – ऑनलाइन शिक्षा व क्लास आदि की वजहों के चलते शहरी क्षेत्र के विद्यार्थी रोजाना डेढ से दो जीबी डेटा का प्रयोग करते है.

* मोबाइल का अधिक प्रयोग करने पर…
– बच्चों चिडचिडेे हो जाते है
कई घरों में जब बच्चें किसी बात को लेकर जिद करने लगते है, या सताने लगते है, तो उनकी माताओं द्बारा उन्हें चूप कराने का शांत बैठाने के उद्देश्य से उनके हाथ में मोबाइल थमा दिया जाता है, लेकिन इसकी वजह से बच्चों को मोबाइल की लत लग जाती है और स्क्रीन टाइमिंग बढने की वजह से बच्चों में धीरे-धीरे चिडचिडापन आने लगता है.
– बडों में अकेलापन बढता है
लगातार मोबाइल का प्रयोग करते रहने की वजह से याददाश्त कम होने और अकेलेपन की भावना बढने जैसी समस्याएं पैदा होने लगती है. साथ ही कई लोगों में देर रात तक मोबाइल से चिपके रहने की आदत होती है. जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती और इसका सीधा असर उनके कार्य और उत्पादकता पर पडता है.

* मोबाइल के अति प्रयोग की वजह से आज कई परिवारों में संवाद खो गया है. साथ ही इसके दुष्परिणाम पारिवारिक जीवन में भी दिखाई देने लगे है. जिसके चलते आपसी रिश्ते बिखराव की ओर बढ रहे है. इसके अलावा लगातार मोबाइल का प्रयोग करते रहने की वजह से सभी आयु वर्ग के लोगों में याददाश्त की कमी, अकेलापन, चिडचिडापन व एकाग्रता की कमी जैसी विभिन्न समस्याएं पैदा होने लगी है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मोबाइल का प्रयोग सीमित किए जाने की सख्त जरुरत है और कुछ विशिष्ट समय के लिए ही मोबाइल का प्रयोग करना बेहद जरुरी हो गया है. अभिभावकों ने मोबाइल प्रयोग हेतु खुद के लिए नियम बनाते हुए उस पर अमल करने के साथ ही बच्चों के लिए भी मोबाइल प्रयोग करने का समय तय करना चाहिए. साथ ही पूरे दिन भर के दौरान परिवार के सभी लोगों ने साथ बैठकर बात करनी चाहिए.
– अमिता दुबे,
क्लिनीकल सायकॉलॉजिस्ट,
अस्तित्व परामर्श केंद्र.

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