मोर्शी प्रतिनिधि/दि.१३ – बेटा न होने की वजह से अपने मृत पिता को दो बेटियों ने कांधा दिया व अंतिम संस्कार की भी सभी रस्में निभाकर समाज के समाने आदर्श स्थापित किया. हनुमान नगर मोर्शी के यशंवत पांडुरंग डहाके का हृदयघात से निधन हो गया था. उन्हें बेटा नहीं था दो बेटिया थी. स्व. डहाके अप्पर वर्धा प्रकल्प में लिपिक पर पर कार्यरत थे. हाल ही में वे सेवानिवृत्त हुए थे. उन्हें बेटा नहीं था दो बेटियों में से एक का विवाह उन्होंने कर दिया था दूसरी बेटी पुना में डॉक्टर का प्रशिक्षण ले रही थी. दोनो ही बेटियों ने कभी भी जिते जी अपने पिता को बेटे की कमी कभी महसूस नहीं होने दी.
अपने पिता की मौत की खबर सुनते ही डॉक्टर का प्रशिक्षण ले रही कांचन डहाके व उसकी बहन प्रियंका निलेश घोंगडे मोर्शी पहुंची, और दोनो ने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया. अंतिम संंस्कार की तैयारी की दोनो ही बेटियोंं ने अपने पिता की अर्थी को कांधा दिया. इतना ही नहीं चांदूर बाजार रोड स्थित हरे राम हरे कृष्ण श्मशान भूमि में अपने पिता के पार्थिव को मुखाअग्रि देकर बेटे का कर्तव्य निभाया और समाज के समाने एक आदर्श स्थापित किया.