अमरावती

सामाजिक एकता की मिसाल पेश कर रहे दयाराम विश्वकर्मा

हर साल रखते हैं पूरे 30 रोजे

अमरावती/दि.25 – इस समय जहां एक ओर धार्मिक मान्यताओं व परपंराओं को लेकर लोगबाग एक-दूसरे से लडने-भिडने के लिए तैयार है और सोशल मीडिया के इस दौर में दूसरे धर्मों व समाजों की धार्मिक मान्यताओं का कुछ हद तक मजाक भी उडाया जाता है. वहीं दूसरी ओर समाज में कई ऐसे भी लोग है, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं का पूरा पालन करने के साथ-साथ अन्य धर्मों की मान्यताओं व आस्थाओं का भी पूरा ऐहतराम करते है. ऐसे ही लोगों में शामिल है दयाराम विश्वकर्मा उर्फ दया बडे भैय्या, जो धर्म से हिंदू रहने के बावजूद विगत अनेक वर्षों से माहे रमजान के दौरान मुस्लिम समाजबंधूओं की तरह पूरे 30 रोजे रखते है.
बता दें कि, सामाजिक विषमता के वातावरण में भी सामाजिक एकता की मिसाल कायम करनेवाले दयाराम विश्वकर्मा उर्फ ‘बडे भैय्या’ अमरावती शहर में अपना एक अलग वजूद रखते हैं. पूर्व उपमहापौर व पार्षद शेख जफर से प्रेरणा लेते हुए जरूरतमंदो की जरूरतें पूर्ण करने का काम ‘बडे भैय्या’ द्वारा होता है. जैसे किसी को रक्त की जरूरत हो, किसी को आंख की तकलीफ हो, कोई महिला को इर्विन या डफरीन दवाखाने में किसी तरह की कोई जरूरत हो, समय चाहे दिन का हो या रात का, हर एक की मदद के लिए ‘बडे भैय्या’ तैयार रहते है. शेख जफरभाई के पारिवारिक सदस्य के रूप में कार्य करते हुए बडे भैय्या द्वारा जफर भाई के सभी कार्य का दायित्व बखूबी उठाया जा रहा है. इसी के साथ ‘बडे भैय्या’ सामाजिक एकता की मिसाल कायम करते हुए विगत 28 वर्षों से रमजान के पवित्र महिने में रोजे रखते है. उसी के साथ नवरात्र के उपवास और धर्मों के त्यौहार पूर्ण रूप से मनाते है. उनको इस विषय में पूछने पर वह कहते है कि, मनुष्य ने मनुष्य जैसा व्यवहार करना चाहिए. हर धर्म में हर धर्म के प्रती सन्मान होना चाहिए.

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