अमरावती/दि.26 – लाडली बहन योजना की वजह से उत्साहित हुई महिलाएं अब जीवनावश्यक वस्तुओं के आसमान छूते दामों व लगातार बढती महंगाई की वजह से परेशान हो गई है. जहां एक ओर ऐन पर्व-त्यौहारों के समय खाद्य तेलों के दाम अचानक ही बढ गये. वहीं अब किराना साहित्य सहित साग-सब्जियों के दाम पहुंच से बाहर हो रहे है. जिसके चलते लाडली बहन योजना के तहत प्रतिमाह 1500 रुपए का अनुदान मिलने के बावजूद भी घर के बजट का तालमेल नहीं बैठ पा रहा.
बता दें कि, एक सप्ताह पूर्व 100 प्रति किलो की दर पर मिलने वाला खाद्य तेल के दाम अब 130 से 140 रुपए प्रति किलो की दर पर पहुंच गये है. वहीं अन्य जीवनावश्यक किराणा साहित्य के दाम भी लगातार बढ रहे है. जिसके चलते आम परिवारों की गृहणियों को अपने किचन का बजट बनाये रखने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है. दैनंदीन रसोई में खाद्य तेल के तौर पर सोयाबीन व राइस ब्रान तेल का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है. इस समय सोयाबीन तेल के दाम 105 रुपए से बढकर 130 रुपए तथा राइस ब्रान तेल के दाम 110 रुपए से बढाकर 140 रुपए प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गये है. जिसके चलते गृहणियों के लिए तेल की दरवृद्धि सिरदर्द साबित हो रही है. इसके साथ ही तुअर दाल, चना दाल, मूंगफल्ली, कडधान्य व मसाले जैसे किराणा साहित्य के दामों में भी इजाफा हुआ है. साथ ही साथ विगत 3 माह के दौरान प्याज व लहसून के दाम दोगुने हो गये है. वहीं अब साग सब्जियों के दामों में जबर्दस्त उछाल आया है. ऐसे में यद्यपि सरकार द्वारा लाडली बहन योजना चलाते हुए महिलाओं के बचत खातों में प्रतिमाह 1500 रुपए जमा कराये जाने की शुरुआत की गई है. वहीं दूसरी ओर जीवनावश्यक वस्तुओं के लगातार बढते दामों के चलते लाडली बहनों के रसोई घर का बजट गडबडाया हुआ है. जिसके चलते इधर से बचत खाते में रकम आ रही है, जो दूसरी ओर लगातार बढती महंगाई के चलते खर्च भी हो रही है. अमूमन किसी भी सामान्य परिवार में प्रति माह 3 से 4 किलो खाद्य तेल तथा दाल व किराणा साहित्य के लिए रोजाना साग-सब्जियों की जरुरत होती है. जिन पर होने वाला खर्च बढ जाने के चलते लाडली बहनों पर आर्थिक बोझ भी बढ गया है.
* छौंक बघार लगाना भी हुआ महंगा
गृहणियों द्वारा भोजन को स्वादिष्ट बनाने हेतु सब्जी एवं दाल में प्याज, मिर्ची व लहसून का तडका लगाकर छौंक बघार की जाती है, लेकिन प्याज व लहसून के लगातार बढते दामों की वजह से अब साग-सब्जी व दाल में तडका लगाना भी महंगा सौदा साबित हो रहा है. विगत 5 वर्षों के दौरान प्याज व लहसून में लगातार हो रही दरवृद्धि के चलते सर्वसामान्य गृहणियों के समक्ष भोजन को स्वादिष्ट बनाने हेतु समस्या आन पडी है और धीरे-धीरे रसाई घरों में प्याज व लहसून जैसे महत्वपूर्ण घटकों का प्रयोग कम होने लगा है.
* प्याज व लहसून के दाम बढने से भोजन हुआ बेस्वाद
इन दिनों बाजार में साग-सब्जियों के दाम काफी अधिक बढ गये है. जिसके चलते अब सर्वसामान्यों के लिए सब्जी खाना मानो उंची बात हो गई है. इसमें भी रसोई घर में अपना अटल व महत्वपूर्ण स्थान रहने वाले प्याज व लहसून के दाम अनाप शनाप बढ जाने के चलते इन दोनों घटकों का प्रयोग रसोई घरों में कम हो गया है. जिसके चलते भोजन की थाली कुछ हद तक बेस्वाद हो गई है. बता दें कि, अमरावती शहर में नाशिक व लासलगांव से प्याज तथा मध्यप्रदेश से लहसून की आवक होती है. वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा से आलू मंगाया जाता है. वहीं अदरक का उत्पादन अमरावती जिले में ही होता है.
* फलों के दाम नियंत्रित
जहां एक ओर साग-सब्जियों के दमा लगातार बढ रहे है. वहीं दूसरी ओर शहर के बाजारपेठ में फलों की आवक बडे पैमाने पर हो रही है. जिसके चलते 15 दिन पहले काफी उंची दरों पर बिकने वाले विभिन्न प्रजातियों के फलों के दाम अब काफी हद तक नियंत्रण में आ गये है. इस समय सेब 100 रुपए प्रति किलो, जाम 100 रुपए प्रति किलो, मोसंबी 50 रुपए प्रति किलो, चिकू 160 रुपए प्रति किलो, पपई 50 रुपए प्रति किलो, संतरा 30 रुपए प्रति किलो व अनार 200 रुपए प्रति किलो के दाम पर बिक रहे है.
* साग-सब्जियों के फुटकर दाम (रुपए प्रति किलो)
लहसून 400 रु.
सम्हार 200 रु.
अदरक 160 रु.
गवार फल्ली 120 रु.
वाल फल्ली 120 रु.
फुलगोबी 100 रु.
टमाटर 80 रु.
बैगन 80 रु.
पत्तागोबी 80 रु.
शेपू 80 रु.
मिर्ची 80 रु.
सफेद प्याज 80 रु.
चौलाई 80 रु.
पालक 60 रु.
लाल प्याज 60 रु.
करेला 60 रु.