* पोकलैंड मशीन से जमकर किया जा रहा उत्खनन
तिवसा/दि.4– सरकार द्वारा यद्यपि नई रेत नीति बनाई गई है. लेकिन तिवसा तहसील के चांदूर ढोरे व भारवाडी गांव से होकर बहने वाली वर्धा नदी के रेतीघाटों पर अब भी नियमबाह्य तरीके से रेत उत्खनन का काम चल रहा है. जिसके चलते वर्धा नदी के पात्र में 20 से 30 फीट गहरे गड्ढे बन गये है और नदीपात्र में जगह-जगह पर पानी के डोह बने हुए है. जिससे यह सभी रेतीघाट आम नागरिकों के लिए मौत के घाट बनने की संभावना है.
बता दें कि, भारवाडी गांव में वर्धा नदी पर बने घाट पर गांव की महिलाएं कपडे धोने तथा किसान अपने जानवरों को पानी पिलाने व नहलाने-धुलाने के लिए पहुंचते है. साथ ही कई बार छोटे-बच्चे नदी के पानी में उतरकर तैरने व नहाने का आनंद लेते है. ऐसे समय यदि कोई व्यक्ति या जानवर नदी पात्र में बने गहरे डोह में जाकर गिर पडे, तो इससे काफी बडी घटना घटित हो सकती है. उल्लेखनीय है कि, 15 वर्ष पूर्व ऐसे ही अवैध रेत उत्खनन की वजह से भारवाडी में रहने वाले दो लोग की पानी मेें डूबकर मौत हो गई थी. ऐसे में इस घटना की पुनरावृत्ति न हो, इस बात के मद्देनजर भारवाडी गांववासियों ने अपने स्तर पर ही भारवाडी घाट पर होने वाले अवैध रेत उत्खनन पर लगाम लगाई थी. साथ ही गत रोज भी भारवाडी गांववासियों ने वर्धा नदी के पात्र में जेसीबी पोकलैंड मशीन से किये जा रहे रेत उत्खनन को बंद कराया.
ज्ञात रहे कि, सरकारी निर्णय में रेत उत्खनन हेतु किसी भी तरह के यंत्र का प्रयोग करने की अनुमति नहीं है. लेकिन इसकी ओर जानबुझकर अनदेखी करते हुए स्थानीय प्रशासन की सहायता से अवैध रेत उत्खनन जमकर किया जाता है. नदी पात्र में पोकलैंड मशीन की सहायता से किये जाने वाले रेत उत्खनन की वजह से जगह-जगह बडे-बडे गड्ढे बन गये है. जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगडकर भविष्य में इससे नुकसान हो सकता है.
* सरकारी निर्णय का खुला उल्लंघन
सरकारी नियमानुसार नदी पात्र से रेत का उत्खनन सुबह 6 से शाम 6 बजे के दौरान ही किया जा सकता है. साथ ही नदी पात्र में अधिकतम 3 मीटर की गहराई तक ही निविदाधारक या ठेकेदार द्वारा उत्खनन किया जा सकता है. इसके अलावा रास्ते व पुल से 600 मीटर की दूरी तक रेत उत्खनन नहीं किया जा सकता. परंतु इन सरकारी नियमों का अक्सर ही रेतीघाटों का ठेका रहने वाले निविदाधारकों तथा खुदाई ठेकेदारों द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जाता है.
* तहसीलदार अनभिज्ञ!
तिवसा के तहसीलदार से इस बारे में पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि, उनके पास इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है. जबकि विशेष उल्लेखनीय यह है कि, नदी पात्र में रेतीघाटों के स्थल निरीक्षण व कार्यवाही उपसमिति के खुद तहसीलदार ही अध्यक्ष होते है.