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मुजफ्फर अहमद मामू का इंतकाल

अमरावती /दि.1- महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व सचिव तथा राष्ट्रीय एकता मंच के अध्यक्ष मुजफ्फर अहमद मामू का बीती रात 77 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी पश्चात इंतकाल हो गया. मुजफ्फर अहमद मामू अपने पश्चात अपने एक बेटा व दो बेटियों सहित भरापूरा परिवार गमगीन छोड गए है.
आज सुबह 11 बजे मुजफ्फर अहमद मामू का जनाजा जमील कालोनी परिसर स्थित उनके निवास से निकाला गया. पश्चात हैदरपुरा कब्रस्तान में उनके पार्थिव का सुपुर्द ए खाक किया गया. इस समय हैदरपुरा स्थित मुस्लिम कब्रस्तान में जिले के अमीर यानि मुख्य धर्मगुरु मौलाना युनुस साहब ने उनके जनाजे की नमाज पढाई और मौलाना सिद्दीक ने दुआ पढी. इस अवसर पर मुजफ्फर अहमद मामू को अंतिम विदाई देने के लिए जिले की पूर्व पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर, पूर्व लेडी गर्वनर कमलाताई गवई, पुलिस आयुक्त नविनचंद्र रेड्डी, पुलिस उपायुक्त विक्रम साली व सागर पाटील, नागपुरी गेट के पीआई अनिल कुरलकर, पूर्व विधायक डॉ. सुनिल देशमुख, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, कांगे्रस के शहर अध्यक्ष बबलू शेखावत, पूर्व महापौर विलास इंगोले, मुस्लिम हेल्पलाईन अध्यक्ष हाजी रम्मू सेठ, अशरफ पठान, राजू नन्नावरे, सलीम मिरावाले, सुरेश रतावा, इरफान अथहर अली, आहद अली, अनीक मास्टर, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष भैय्या पवार, असरार अहमद, नासीर सोलंकी, इमरान अशरफी, रफीक अहेमद, याह्या खान पठान, नसीम पप्पू, कामरान अंसारी, इमरान खतीब, अकील बाबू साहब, शेख नूर सहित हजारों की संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

* मुजफ्फर अहमद उर्फ मामू की जीवनी
शहर सहित जिले में मामू के तौर पर विख्यात मुजफ्फर अहमद का जन्म 19 अक्तूबर 1946 को हुआ था तथा उन्होंने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत सन 1961 में रुरल कॉलेज से की थी. इसके पश्चात वर्ष 1971 में वे अमरावती जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बने. जिसके बाद से आज तक कोई भी मुस्लिम नेता या कार्यकर्ता इस पद तक नहीं पहुंच पाया. वर्ष 1977 से सक्रिय राजनीति के क्षेत्र में आते हुए मुजफ्फर अहमद मामू अखिल भारतीय कांग्रेस के कार्यकारिणी सदस्य बने. साथ ही तत्कालीन युवा नेता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें जिला निरीक्षक व प्रशिक्षक के तौर पर नियुक्ति दी. इसके उपरान्त वर्ष 1984 में उन्हें कांग्रेस पार्टी की ओर से आसाम राज्य का चुनाव निरीक्षक बनाया गया था. यह भी उनके जीवन की एक बडी उपलब्धी थी. इसके उपरान्त वर्ष 1995 में मुजफ्फर अहमद मामू ने विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई, जिसमें 29780 वोट हासिल करते हुए वे दूसरे स्थान पर रहे. इसके बाद वर्ष 1997 में उन्हें कांग्रेस प्रदेश महासचिव पद पर नियुक्ती मिली तथा वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने उन्हें मौलाना आजाद आर्थिक महामंडल का संचालक नियुक्त किया. इसके साथ ही सन 1998 से 2008 तक वे संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के सिनेट सदस्य भी रहे. इसके पश्चात उनके कामों को देखते हुए कांग्रेस कमेटी ने उन्हें वर्ष 2008 से 2013 तक झेडआरयूसीसी रेल्वे कमेटी में सदस्य के तौर पर नियुक्त किया.
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद, पूर्व मुख्यमंत्री सुशीलकुमार शिंदे, स्व. विलासराव देशमुख, अशोकराव चव्हाण तथा राकांपा नेता व सांसद शरद पवार जैसे दिग्गज और कद्दावर नेताओं के साथ मुजफ्फर अहमद मामू के बेहद घनिष्ठ संबंध रहे. एक तरह से अमरावती शहर सहित जिले में वे कांग्रेस पार्टी में अल्पसंख्यक समूदाय का एकमात्र वरिष्ठ व लोकप्रिय चेहरा थे. उस समय विदर्भ क्षेत्र में जब भी चुनाव होते, तो अल्पसंख्यक वोटों को रिझाने और उन्हें अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्बारा मुजफ्फर अहमद मामू का सहारा लिया जाता. साथ ही मुजफ्फर अहमद मामू भी अपनी वाकपटुता के जरिए मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के वोट जमकर अपनी पार्टी के प्रत्याशी हेतु इकठ्ठा करवाते.
मुजफ्फर अहमद मामू की मुस्लिम समाज के साथ-साथ अन्य सभी समाजों में अच्छी खासी लोकप्रियता थी. साथ ही कांग्रेस के युवा नेता सुरेश रतावा को वे अपने बेटे के तौर पर मानते थे और सुरेश रतावा भी मुजफ्फर अहमद मामू के पारिवारिक सदस्य के तौर पर पहचान रखते है. इसके साथ ही अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल व प्रबंधक राजेश अग्रवाल की माताजी भी मुजफ्फर अहमद को अपना भाई मानती थी तथा वे हर वर्ष राखी पर्व के मौके पर अपने मूंह बोले भाई को राखी बांधती थी.

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