अमरावतीविदर्भ

मौत बेटे की हुई, मृत्यु प्रमाणपत्र पिता का बना

इर्विन Hospital का अजब-गजब कारनामा

  • आक्षेप लेने पर सुधारी गलती

अमरावती – स्थानीय जिला कोविड अस्पताल में गत रोज एक व्यक्ति की मौत हुई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने डेथ सर्टिफिकेट पर उस व्यक्ति की बजाय उसके पिता का नाम लिख दिया. यानी मौत तो बेटे की हुई, लेकिन मृत्यु प्रमाणपत्र पिता का बन गया. विगत २८ अगस्त को उजागर हुई इस घटना की ओर ध्यान दिलाये जाने और मामले को लेकर आपत्ति दर्ज कराये जाने पर स्वास्थ्य महकमे ने अपनी इस गलती को दुरूस्त कर लिया, लेकिन इन तमाम घटनाओं के दौरान संबंधित परिवार को बिना वजह मानसिक तकलीफों के दौर से गुजरना पडा.

इस संदर्भ में संबंधित परिवार के सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक दर्यापुर शहर के भवानीवेश परिसर में रहनेवाले ४७ वर्षीय व्यक्ति को करीब एक सप्ताह पूर्व जिला सामान्य अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां पर उसका थ्रोट स्वैब सैम्पल लिया गया. सैम्पल की रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर इस व्यक्ति को कोविड अस्पताल में भरती कराया गया. जहां पर २५ अगस्त को सुबह ५.३० बजे के दौरान इस व्यक्ति की मौत हो गयी. पश्चात २६ अगस्त को संबंधित व्यक्ति के परिजन उसका शव लेने इर्विन अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हेें बताया गया कि, उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही किया जायेगा और शव को परिजनों के सुपुर्द नहीं किया जायेगा. उसी दिन संबंधित परिवार को उस व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट दे दिया गया. किंतु डेथ सर्टिफिकेट पर मृत व्यक्ति की बजाय उसके पिता का नाम लिखा हुआ था. यह बात ध्यान में लाये जाने के बाद इर्विन अस्पताल द्वारा डेथ सर्टिफिकेट में संशोधन किया गया. लेकिन नाम में संशोधन करने की प्रक्रिया जारी रहने के चलते स्वास्थ्य महकमे ने मृतक के शव का अंतिम संस्कार करने को लेकर संभ्रम बना रहा. जिसके चलते मृतक का शव दो दिनों तक शवागार में ही पडा रहा.

शुक्रवार को हुआ अंतिम संस्कार

जानकारी के मुताबिक मृत्यु प्रमाणपत्र पर नाम में किये गये बदलाव की जानकारी वैद्यकीय अधिकारियों तक नहीं पहुंचने के चलते शवागार में पडा शव किसका है, इसे लेकर सुपष्टता नहीं थी. ऐसे में शुक्रवार को दर्यापुर से मृतक के परिजनों व बेटे को बुलाया गया और बेटे द्वारा शव की शिनाख्त करते हुए तस्दीक करने के बाद शुक्रवार को मृतक के पार्थिव का अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन इसके बावजूद सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह रही कि, जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया, वह उसी व्यक्ति का शव था. इसे लेकर स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों में अंत तक संभ्रम देखा जा रहा था.

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