धामणगांव रेलवे/ दि.26– शाम के वक्त खेत से वापस आ रहे परिवार का 12 वर्षीय बालक माता पिता की आँखों के सामने तीन फीट गहरी नाली में बह गया. उसे बचाने के लिए पिता भी कुद पडे, परंतु पानी में डूबकर मौत न हो, इसके लिए पत्नी ने अपनी साडी से सहारा देते हुए काफी प्रयास कर पति को बचा लिया. परंतु बेटे की मौत हो गई. इस घटना को करीब एक सप्ताह बीत गया. परंतु प्रशासन ने किसी भी तरह से सानुग्रह सहायता न देते हुए उल्टा उस परिवार को आरोप के कटघरे में खडाकर दिया. जिसके कारण उस बालक का हत्यारा कौन, ऐसा सवाल शेंदुरजना खुर्द परिसर के लोग कर रहे है. साथ ही लापरवाही बरतनेवालों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज करने की मांग स्वाभिमानी शेतकरी संगठना के नेता एड.चेतन परखडे ने की.
धामणगांव तहसील के शेंदुरजना खुर्द में रहने वाले बालक मयुर कालमेघ गांव के जिला परिषद स्कूल में कक्षा 6वीं का छात्र था. कोरोना नियमों के चलते स्कूल बंद होने के कारण वह माता पिता के साथ खेत में गया था. इस दौरान खेत से वापस लौटते समय मोतीकोलसा नदी के किनारे समृध्दि महामार्ग के लिए उत्खनन होने से मानव निर्मित करीब 202 फीट गहरे डोह में तीन फीट व्यास की खोदी गई नाली में पैर फिसलने के कारण पानी का तेज बहाव होने से वह कुछ ही देर में नाली में बहने लगा. बेटे को बहता देख कालमेघ ने भी उसे पकडने का प्रयास किया, मगर वे भी पानी में डूबने लगे. मयुर गहरे डोह में बहते चला गया. ऐसे में पिता को पानी में फडफडाते देख सुनीता ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पति और बेटे को बचाने का प्रयास किया. हाथ में दोरी न होने के कारण किसी भी बात की परवाह न करते हुए पहनी हुई अपनी साडी की रस्सी बनाकर उसके बेटे और पति की दिशा में फेंकी. साडी का पल्लु पति बाबाराव के हाथ लगते ही उन्हें नदी से बाहर खिचने का प्रयास किया. जैसे तैसे बाबाराव की जान बचा ली. तब तक इस घटना की जानकारी गांव तक पहुंची. गांववासियों ने नदी में छलांग मार ली. तब तक मयुर की मौत हो चुकी थी. समृध्दि महामार्ग के लिए अवैध तरीके से की गई खोदाई के कारण बालक की मौत हो गई है. फिर भी प्रशासन सहायता तो दूर की बात हालचाल तक पूछने के लिए कोई सामने नहीं आया. इस गंभीर मामले को देखते हुए संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज करते हुए पीडित परिवार को सहयात देने की मांग गांववासियों व्दारा की जा रही है.