अमरावती

डेंगू की चपेट मेें आने से युवा व्यवसायी की मौत

गिरीष तलरेजा का मुंबई के अस्पताल में हुआ निधन

* द्बारकानाथ कालोनी में शोक की लहर
* मनपा का स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद में
* साफ-सफाई के नाम पर हो रही कागजी खानापूर्ति
अमरावती /दि.12- इस समय शहर के लगभग सभी इलाकों में साफ-सफाई की व्यवस्था का बंटाढार हुआ पडा है और पूरे शहर में जगह-जगह पर कचरे के ढेर लगे रहने के साथ ही गंदगी से भरी हुई बजबजाती हुई नालियां खुली आंखों से दिखाई देती है. जिसकी वजह से शहर में किटकजन्य रोगों का जमकर प्रादूर्भाव हो रहा है. परंतु इन सब बातों से मानो शहर का जिम्मा रखने वाले मनपा प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं है. न तो मनपा प्रशासन को शहर में लगे कचरे के ढेर और गंदगी से भरी नालियां दिखाई दे रही है और न ही मनपा प्रशासन को शहर में फैल रही जानलेवा बीमारियों को लेकर कोई चिंता है. यही वजह है कि, साफ-सफाई के नाम पर मनपा के अधिकारियों द्बारा अपने-अपने टेबलों पर बैठकर कागजी घोडे दौडाए जा रहे है. परंतु इसका खामियाजा संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने वाले आम नागरिकों को भुगतना पड रहा है. मनपा की इसी अनदेखी व असंवेदनशीलता का शिकार द्बारकानाथ परिसर में रहने वाले गिरीष तलरेजा नामक युवा व्यवसायी भी हुआ. जिसकी डेंगू संक्रमित होने के चलते विगत रविवार की रात मुंबई के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक शाम चौक स्थित मेरी सहेली नामक प्रतिष्ठान के संचालक गिरीष तलरेजा (42, द्बारकानाथ कालोनी) को विगत 4 सितंबर को डेंगू की संक्रामक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था. जिसके बाद उन्हें तुरंत ही डॉ. बख्तार के अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया. इसी बीच गिरीष को डेंगू के साथ पिलिया भी हो गया. ऐसे में डॉ. बख्तार की सलाह पर गिरीष को चिंताजनक स्थिति में मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां गिरीष को वैटीलेटर पर रखा गया. इस बीच ब्लड इंपेक्शन हो जाने के लिए गिरीष के शरीर में प्लेटलेट का प्रमाण बेहद कम हो गया और डेंगू के कारण मल्टी ऑर्गन फेल्यूलर होने लगा. साथ ही ब्लड प्रेशर अचानक बढ जाने के चलते गिरीष का डायलिसिस भी नहीं किया जा सका और रविवार को रात 8.30 बजे गिरीष तलरेजा ने इलाज के दौरान डेंगू की बीमारी के चलते दम तोड दिया. जिसके बाद रात 3 बजे गिरीष के पार्थिव को लेकर उनके परिजन एम्बुलेंस वाहन के जरिए अमरावती हेतु रवाना हुए और सोमवार को दोपहर 2.30 बजे जैसे ही गिरीष का पार्थिव द्बारकानाथ कालोनी परिसर स्थित उनके निवास पर पहुंचा, तो पूरे परिसर में शोक की लहर व्याप्त हो गई.
उल्लेखनीय है कि, संत कंवरराम एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष जगदीश तलरेजा के एकलौते पुत्र गिरीष तलरेजा काफी मितभाषी व सहृदय स्वभाव वाले थे. साथ ही अपने माता-पिता की एकलौती संतान भी थे. जो हृदयरोग की समस्या से पीडित अपने पिता की देखभाल किया करते थे. ऐसे में गिरीष तलरेजा का असमय निधन होने के चलते जगदीश तलरेजा के बुढापे का सहारा चला गया. जिसके लिए द्बारकानाथ कालोनी परिसर निवासियों द्बारा मनपा प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. साथ ही द्बारकानाथ कालोनी परिसर निवासियों द्बारा आरोप लगाया गया है कि, इस परिसर में मनपा द्बारा विगत लंबे समय से किटनाशक दवाओं की फवारणी-धुवारणी नहीं की गई है. साथ ही परिसर में नियमित तौर पर साफ-सफाई भी नहीं करवाई जा रही है. जिसके चलते पूरे परिसर में कई लोग डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की चपेट में है. जिसकी जानकारी देने के बावजूद भी मनपा प्रशासन के अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड रहा.
* एक उच्चाधिकारी की पत्नी भी डेंगू की चपेट में
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर में आज ऐसा एक भी इलाका नहीं है, जहां पर कचरे व गंदगी का साम्राज्य न हो और जहां पर कोई न कोई व्यक्ति डेंगू अथवा चिकनगुनिया की चपेट में न हो. जानकारी के मुताबिक इस समय शहर के निजी अस्पतालों में 20 से अधिक डेंगू संक्रमित मरीज भर्ती रहकर अपना इलाज करा रहे है. जिन्हें मनपा प्रशासन द्बारा डेंगू संक्रमित मानने की बजाय अपनी चमडी बचाने हेतु संदेहित डेंगू मरीज कहा जा रहा है. इन मरीजों में कई छोटे बच्चों का भी समावेश है. साथ ही साथ एक उच्च अधिकारी की पत्नी भी डेंगू की चपेट में है. जिसे इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. लेकिन इसके बावजूद मनपा के अधिकारी अपनी ह मस्ती में मस्त है.
* प्रशासक राज में प्रभावी काम की बजाय मनमानी
बता दें कि, विगत करीब डेढ वर्ष से अमरावती मनपा में प्रशासक राज चल रहा है. ऐसी स्थिति में मनपा अधिकारियों के उपर किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं है और उनके कामकाज में कोई भी व्यक्ति राजनीतिक हस्तक्षेप भी नहीं कर सकता है. ऐसे समय मनपा प्रशासन चाहता, तो काफी बेहतर व प्रभावी तरीके से काम करते हुए अपनी जिम्मेदारी निभा सकता था. परंतु अमरावती में हालांत इससे बिल्कूल उलट है. क्योंकि प्रशासक राज को अपने लिए चांदी काटने का मुफिद मौका मानते हुए मनपा अधिकारियों द्बारा एक तरह से मनमानी करनी शुरु कर दी गई है. जिसकी वजह से शहर में विकास होना तो दूर इस समय साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव हो चला है. परंतु मनपा अधिकारियों की यह मनमानी अब शहरवासियों की जान पर भारी पडने लगी है. इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती और इसे हलके में भी नहीं लिया जा सकता.
* दो सांसदों सहित दो विधायकों की चुप्पी क्यों?
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में जिले की सांसद नवनीत राणा व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे रहते है. साथ ही अमरावती मनपा क्षेत्र में अमरावती व बडनेरा ऐसे दो विधानसभा क्षेत्रों का समावेश है. जहां से विधायक सुलभा खोडके व विधायक रवि राणा जैसे कद्दावर नेता निर्वाचित है. इन चारों नेताओं द्बारा अक्सर ही किसी विकास काम से संबंधित मामले को लेकर मनपा प्रशासन के साथ बैठकों का दौर चलाया जाता है. लेकिन हैरत की बात है कि, आम जनता की जिंदगी और स्वास्थ्य से जुडे इतने गंभीर मसले को लेकर इनमें से अब तक किसी ने भी मनपा प्रशासन को आडे हाथ नहीं लिया है. यहां यह भी ध्यान रखा जा सकता है कि, इन दोनों सांसदों व दोनों विधायकों के अलावा पूर्व मंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर व बच्ची कडू तथा विधायक बलवंत वानखडे व प्रताप अडसड, विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटिल तथा पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख, रावसाहब शेखावत, रमेश बुंदिले सहित अन्य कई राजनेताओं के घर भी अमरावती मनपा क्षेत्र में ही स्थित है. परंतु इन में से भी आज तक किसी ने भी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देना जरुरी नहीं समझा. ऐसे में यह याद दिलाया जाना बेहद जरुरी है कि, मलेरिया और डेंगू का मच्छर डंक मारते समय खास और आम व्यक्ति के बीच कोई फर्क नहीं करता और डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी किसी को भी अपनी चपेट में ले सकती है. अत: इस बीमारी का संक्रमण अपने घर तक पहुंचे. उससे पहले ही खुद को जनता का हितैशी बताने वाले जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को लेकर समय रहते गंभीर हो जाना चाहिए.

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