चिखलदरा के पांचडोंगरी गांव में मौत का तांडव
प्रशासनिक मनमानी और लचरशाही का फिर शिकार हुआ मेलघाट
* खुले कुएं का दूषित पानी पीने से 3 की मौत
* 100 से ज्यादा बीमार, 20 की हालत गंभीर
धारणी/दि.8- आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र अंतर्गत चिखलदरा तहसील की कोयलारी ग्राम पंचायत अंतर्गत आनेवाले पांचडोंगरी गांव स्थित खेत के खुले तालाब का दूषित पानी पीने की वजह से एक महिला व दो पुरूष ऐसे तीन लोगों की मौत हो गई. वहीं 100 से अधिक ग्रामीण आदिवासियों की तबियत बिगड गई. जिसमें से 20 लोगोें की हालात गंभीर बतायी जाती है. यह घटना गत रोज सामने आयी, जब पांचडोंगरी गांव में अचानक ही लोगों को उलटी व दस्त की समस्या होने लगी तथा उन्हें इलाज के लिए काटकुंभ व चुर्णी के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में लाकर भरती कराया जाने लगा. जहां पर गंगाराम नंदराम धिकार (25), सुखलाल मोती जामुनकर (55) तथा सविता सहदेव अखंडे (30) की मौत हो चुकी थी. वहीं 20 से अधिक लोगों की स्थिति गंभीर बनी हुई थी.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक पांचडोंगरी गांव में विगत चार दिनों से विद्युत आपूर्ति खंडित है और ग्रामपंचायत द्वारा बिजली का बिल अदा नहीं किये जाने के चलते महावितरण ने इस गांव की विद्युत आपूर्ति को बंद कर दिया है. जिसके चलते इस गांव में जलापूर्ति योजना भी ठप्प पडी हुई है. ऐसे में पीने एवं अन्य कामों के लिए पानी की व्यवस्था करने हेतु पांचडोंगरी गांव के आदिवासी ग्रामीण पास में ही स्थित अन्य गांवों के जलस्त्रोतों से पानी ला रहे हैं. इसी के तहत गांव के पास भोगेलाल अखंडे के खेत में स्थित खुले कुएं से गांववासियों ने मंगलवार व बुधवार को पीने के लिए पानी लाया. इस कुएं का पानी अब तक केवल सिंचाई जैसे कामों के लिए ही किया जाता रहा है और इस कुएं की पिछले लंबे समय से कोई साफ-सफाई नहीं हुई है. जिसके चलते कुएं का पानी बडे पैमाने पर दूषित कहा जा सकता है. इसी कुएं के पानी को विगत दो दिनों से पीने हेतु प्रयोग में लाने के चलते बुधवार की रात से कई लोगों को उल्टी व दस्त की शिकायत होने लगी और देखते ही देखते गांव के लगभग सभी लोग बीमार पडने लगे. जिन्हें काटकुंभ के स्वास्थ्य केंद्र व चुरणी के ग्रामीण अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया जाने लगा, लेकिन यहां पर भी मुसीबतों ने इन ग्रामीणों का पीछा नहीं छोडा. क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र व अस्पताल में डॉक्टरों सहित स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव था. जिसके चलते स्थिति और बिगडती चली गई. वहीं यह घटना सामने आते ही तहसील एवं जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य महकमे में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया और आनन-फानन में तमाम अधिकारियों ने पाचडोंगरी गांव सहित काटकुंभ व चुरणी गांव के लिए दौड लगायी.
* इन लोगों की स्थिति बनी हुई है गंभीर
पता चला है कि, पाचडोंगरी गांव निवासी साहेबलाल पथोटे (45), इमुबाई पंडोले (55), माला अखंडे (22), दया कासदेकर (19), आशा धिकार (22), सुगाय अखंडे (35), राणी बेठेकर (29), रामकली तोटे (35), रिचमु बेठेकर (27), काली धांडे (45), हरिचरण बेठेकर (30), हिरकाय धांडे (45), लिलावती बेठेकर (40), जाटू बेठेकर (70), लखमु बेठेकर (39), सुरेश अखंडे (21), रामलाल धांडे (36), फुलवंती अखंडे (25), साहिल बचले (13), बाबूलाल बेठेकर (23), आशिष कासदेकर (20), मनोज सुरजे (33), रवि पथोटे (25), इमला अखंडे (43), शिवकली हरसुले (27) तथा श्रेया अखंडे (3) इन मरीजों की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. जिन पर चुरणी व काटकुंभ के सरकारी अस्पतालों में इलाज जारी है. इसके अलावा गांव में रहनेवाले अन्य कई लोगोें पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों सहित पाचडोंगरी स्थित जिप शाला में इलाज किया जा रहा है.
* एक तरफ नवसंजीवनी की बैठक, दूसरी तरफ दो जिंदगियां खत्म
उल्लेखनीय है कि, मेलघाट में प्रतिवर्ष बारिश के मौसम दौरान बडे पैमाने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती है. इस बात के मद्देनजर गत रोज अतिरिक्त जिलाधीश के मार्गदर्शन में धारणी में नवसंजीवनी योजना की बैठक बुलाई गई थी. आदिवासियों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने हेतु यह समीक्षा बैठक बुलाई जाती है. लेकिन यह भी गजब संयोग रहा कि, जहां एक ओर धारणी में नवसंजीवनी योजना की बैठक चल रही थी, वहीं दूसरी ओर इसी आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में दूषित पानी पीने की वजह से दो लोगों ने दम तोड दिया. वहीं 100 से अधिक लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंचे. जहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं व डॉक्टरों की कमी का मुद्दा सामने आया.
* घटना के बाद दूषित पानी का बोर्ड लगा
पाचडोंगरी व कोयलरी गांव में डायरिया फैलने और दो लोगों की मौत होने के चलते गुरूवार की दोपहर प्रशासन की नींद खुली और इस खुले कुएं के पास कुएं का पानी पीने योग्य नहीं रहने का बोर्ड लगाया गया. साथ ही बीते चार दिनों से पानी की समस्या से जूझ रहे इस गांव में अब टैंकर के जरिये पानी की आपूर्ति करनी शुरू की गई है. यदि यही काम प्रशासन ने थोडा पहले किया होता, तो शायद दो लोगों की जिंदगियां खत्म नहीं होती.
* विधायक पटेल ने काफी पहले उठाई थी आवाज
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल द्वारा विगत लंबे समय से धारणी व चिखलदरा क्षेत्र के दुर्गम आदिवासी गांवों में मुलभूत सुविधाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं को चुस्त-दुरूस्त करने की मांग की जा रही है. जिसके तहत अभी विगत सप्ताह ही विधायक पटेल ने बारिश के मौसम दौरान पैदा होनेवाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को देखते हुए मेलघाट के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं ग्रामीण अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पडे पदों पर तत्काल नियुक्ति किये जाने की मांग उठायी थी. लेकिन अब तक इसे लेकर कोई गंभीर व प्रभावी कदम नहीं उठाये गये. जिसका खामियाजा गत रोज उस समय भुगतना पडा, जब एक-एक कर 100 से अधिक ग्रामीण दूषित पानी पीने की वजह से डायरिया का शिकार होकर इलाज हेतु अस्पताल लाये गये. जहां पर स्वास्थ्य सुविधाओें व डॉक्टरों की कमी रहने के चलते इतनी बडी संख्या में मरीजों का इलाज करने हेतु भागमभामवाली स्थिति बन गई.
* मामले पर मेरी पूरी नजर, प्रभावी कदम उठाये जायेंगे
इस पूरी घटना को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जिले की सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, वे इस मामले पर अपनी पूरी नजर बनाये हुए हैं तथा चार दिन से विद्युत आपूर्ति व जलापूर्ति कैसे बंद थी, इसकी जांच की जायेगी. साथ ही गांव में मुलभूत सुविधाओं सहित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर भी पूरा ध्यान दिया जायेगा. फिलहाल गांव में साफ पानी की जलापूर्ति करने का निर्देश दिया गया है और सभी गांववासियोें को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करायी जा रही है. जिसके तहत गांव में डॉक्टरोें व एम्बुलन्स वाहनों की व्यवस्था कर दी गई है. यह अपने आप में बेहद दुर्भाग्यजनक घटना है और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इस बात की ओर पूरा ध्यान रखा जायेगा.
* जिला व तहसील स्वास्थ्य महकमा हुआ एक्टिव
इस घटना की जानकारी मिलते ही जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले तथा तहसील स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सतीश प्रधान तुरंत ही आनन-फानन में कोयलारी गांव पहुंचे तथा उन्होंने काटकुंभ व चुरणी के ग्रामीण अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में भी भेंट देते हुए वहां पर चल रहे ग्रामीणों के इलाज को देखा. इस समय पाचडोंगरी गांव में डॉ. स्वाती राठोड, पंकज माहुलकर, मनोज दवे व गेडाम तथा काटकुंभ में डॉ. अंकित राठोड व उनकी टीम द्वारा सभी ग्रामीणों के इलाज का जिम्मा संभाला जा रहा है.
* दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग
इस घटना के बारे में जानकारी मिलते ही कांग्रेस के तहसील अध्यक्ष सहदेव बेलकर, मेलघाट अध्यक्ष पीयूष मालवीय, महासचिव राहुल येवले तथा विक्की राठोड तुरंत ही पाचडोंगरी व कोयलारी गांव पहुंचे. जहां पर दूषित पानी पीने की वजह से डायरिया का शिकार हुए ग्रामीणों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ उन्होंने इस घटना के लिए जिम्मेदार रहनेवाले लोगों पर कार्रवाई करने की मांग उठायी.
दूषित पानी पीने की वजह से पूरे गांव में डायरिया फैलने की बात प्राथमिक जांच में सामने आयी है. इस समय हमने गांव में भी एक हेल्थ कैम्प लगाया है. इसके अलावा कई मरीजों पर काटकुंभ व चुरणी के स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज जारी है, लेकिन तीन लोगों को बचाया नहीं जा सका है.
– डॉ. सतीश प्रधान
तहसील स्वास्थ्य अधिकारी, चिखलदरा
मेरी चार दिन पहले ही कोयलारी ग्राम पंचायत में नियुक्ति हुई है और विगत चार दिनों से गांव की विद्युत आपूर्ति खंडित है. जिसके चलते जलापूर्ति योजना का काम ठप्प पडा हुआ है. ऐसे में गांववासी गांव सहित आसपास स्थित कुओं से पानी ला रहे है. हमने कुओं में डालने के लिए ब्लिचिंग पाउडर भी लाकर रखा है. परंतू एक निजी कुए का पानी ओवरफ्लो हो जाने के चलते शायद यह घटना घटित हुई.
– वी. वी. सोलंके
ग्रामसेवक
यह साफ तौर पर ग्राम पंचायत, ग्रामीण जलापूर्ति योजना, महावितरण तथा स्वास्थ्य विभाग के मनमाने कामकाज व लापरवाही का नतीजा है. आदिवासियों की जिंदगी के साथ खिलवाड करनेवाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज किया जाना चाहिए.
– पीयूष मालवीय
सदस्य, रूग्ण कल्याण समिती, मेलघाट
बारिश के मौसम दौरान मेलघाट में प्रतिवर्ष स्वास्थ्य महकमे को सतर्क रहने का आदेश दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद सरकारी महकमे के कामकाज में कोई सुधार या गंभीरता दिखाई नहीं देते. जिसके चलते हर वर्ष कोई न कोई बडी घटना घटित होती है. इसी श्रृंखला में अब एक और घटना जुड गई है, जब दूषित पानी पीने की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोगों की हालत खराब है.
– सहदेव बेलकर
अध्यक्ष, कांग्रेस (मेलघाट)
* न बिजली न पानी, कैसे जियें आदिवासी
यहां यह भी ध्यान दिलाया जा सकता है कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र विगत करीब 25 वर्षों से कुपोषण जैसी भयावह समस्या से जूझ रहा है. जिसके चलते इस क्षेत्र में नवजात आदिवासी बच्चों की मौतों के साथ-साथ माता मृत्यु का लंबा दौर चलता आ रहा है. जिसे खत्म करने हेतु हर साल सरकार एवं प्रशासन द्वारा बडे-बडे दावे किये जाते है. साथ ही मेलघाट कुपोषण मुक्त करते हुए इस क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा से जोडने के लिए सैंकडों एनजीओ भी कार्यरत है. लेकिन इसके बावजूद मेलघाट की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. अक्सर ही बारिश के मौसम दौरान आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बडे पैमाने पर पांव पसारती है. वहीं यह इलाका लगभग हमेशा ही बिजली की आंखमिचौली से जूझता रहता है. अमरावती जिला मुख्यालय से करीब 150 किमी की दूरी पर रहनेवाला आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र बिजली व दूरसंचार जैसी जरूरतों के लिए महाराष्ट्र की बजाय मध्यप्रदेश पर निर्भर रहता है. साथ ही प्रशासनिक महकमों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी मेलघाट में काम नहीं करना चाहते. फिर भी यहां के दुर्गम व अतिदुर्गम क्षेत्रों में आवागमन के साधनों सहित अन्य मुलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव है. ऐसे में जहां एक ओर देश अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र आज भी बिजली व पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है और इसी बिजली व पानी की आपूर्ति खंडित रहने के चलते गत रोज कोयलारी ग्राम पंचायत अंतर्गत पाचडोंगरी गांव में तीन लोगों की जान गई. वहीं 100 से अधिक लोग डायरिया का शिकार होकर अस्पताल पहुंचे. जिनमें से करीब 20 लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है.