अमरावती

श्याम रोटी केंद्र का दशकपूर्ती सफर

  • 63 आजीवन सदस्यों का संसार

  • 4 लाख 82 हजार 344 रुग्णों की आहार सेवा

परतवाड़ा/अचलपुर दि.१५ – यदि हममें वाकई में कुछ करने का जज्बा है तो कोई सुनी सुनाई बात भी हमे किसी सामाजिक सरोकार के दायित्व से जोड़ देती है . ऐसा ही कुछ पूर्व नगर सेवक रवि राधेश्याम अग्रवाल के साथ हुआ था. माँ उन्हें मप्र के हरदा में चल रही समाजोंन्मुख कार्यो के किस्से सुनाया करती थी. बस यही बना आधार , सेवा के किसी निराधार का ..!
शहर के युवा उद्योजक अनिल चिरोंजीलाल अग्रवाल ( शककरवाले ) , भाजपा के जिला मंत्री गजानन कोल्हे , प्रमोद साबू , अशोक म. अग्रवाल , सुनील म.अग्रवाल , सौ लक्ष्मीकांता अग्रवाल , सौ सरोज अग्रवाल , सौ प्रीति कोल्हे  आदि के समूह ने मिलकर राध्ये श्याम बहुउद्देश्यीय संस्था का गठन किया. तत्कालीन एसडीओ अचलपुर रविन्द्र धुरजड और उपजिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ पारिख ने नवनिर्मित अस्पताल में मरीजो के सेवार्थ योग्य जगह उपलब्ध कराने का असीम सहयोग दिया. यदि जगह नही मिलती तो शायद यह प्रकल्प साकार ही नही हो पाता था.15 अगस्त 2011 को इसकी नींव रखी गई. बगैर किसी गाजे-बाजे की समर्पित सेवा का यह महाअभियान शुरू हुआ. नाम पड़ा – श्याम रोटी केंद्र. एक व्रत था जिसे हर सक्रिय व स्थायी संचालक ने अंगीकार किया.
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 ‘ पाप तो निसंदेह बुरा है , लेकिन उससे भी बुरा है पुण्य का अहंकार ‘
बेशक कहा जा सकता है कि पिछले 30650 दिनों , 120 महीनों और 10 वर्षों में किसी एक भी संचालक ने पुण्य का अहंकार दर्शाने की जुर्रत नही की. प्रस्तुत प्रतिनिधि का लिखना भी इस बात की पृष्टि कर सकता है कि सारी मोह , माया और लोभ से परे यदि किसी जगह को देखा जा सकता है तो वो निर्विवाद रूप से श्याम रोटी केंद्र होना चाहिए. घोर आश्चर्य इस बात का भी है कि जो लोग इसमें वेतनरत सेवा दे रहे उन्होंने भी स्वयं को इस यज्ञ में न्यौछावर कर रखा. व्यवस्थापक विनायक काकड़े व उपव्यवस्थापक पूजा राउत ने बताया कि पिछले दस वर्षों में कार्यरत एक भी सेवक काम छोड़कर नही गया. सिर्फ वे युवतियां जिनका विवाह हुआ वो ही बाहर गई. किसी निजी संस्थान में सिर्फ सामाजिक सरोकार से दीर्घकालीन नोकरी करना चकित कर देता है.
एकमात्र उद्देश्य रखा गया कि अस्पताल में उपचार को  भरती हुआ कोई भी मरीज और उसके परिजन भूखे ना रहे. उन्हें नाश्ते के समय नाश्ता और भोजन के समय रोटी मिलती रहे. दोनों समय का भोजन , दोपहर की चाय व बिस्कुट , सुबह आठ बजे नाश्ता घड़ी फेल हो सकती लेकिन यह सुनने में कभी नही आया कि आज केंद्र में सुबह का भोजन 11 बजे की बजाय 12 या 1 बजे परोसा गया हो. इतना पक्का नियोजन हम रोजमर्रा की जिंदगी में अपने घर मे नही कर पाते है. किंतु दस वर्षों में श्याम रोटी का यह रोटी ,नाश्ता परोसने का समयचक्र अबाधित और अटूट ही रहा. समर्पण , निष्ठा और लगन इसमें समाहित है. तभी तो प्रोपोगंडा , छिछोरी पब्लिसिटी और दिखावे को यहां कोई जगह नही मिल पायी.
प्रस्तुत प्रतिनिधि ने खोजबीन की लेकिन विदर्भ के किसी सरकारी अस्पताल में इस प्रकार रुग्णों की सेवा हेतु संचालित हो रहे रसोईघर की जानकारी नही मिल पाई है. भगवान ने खुद ही कहाँ है कि गरीब की सेवा ही ईश्वर की सेवा है. राजस्थान के सुख्यात श्याम बाबा के मेले में असंख्य लोग बाबा के दर्शन करने की बजाय भक्तों की सेवा करने पहुंचते है.वो कहते है भक्तों की सेवा में ही हमे बाबा का आशीर्वाद मिल जाता है.अचलपुर के उपजिला अस्पताल में दस वर्षों से जारी अखंड सेवा भी दरिद्रनारायण भगवान की ही सच्ची सेवा कही जा सकती है. अमरावती , अकोला , यवतमाल , नागपुर , चंद्रपुर , भंडारा, बुलढाणा , वाशिम , गोंदिया दोनों संभाग में यह सेवा अन्यत्र कही देखने को शायद ही मिले.परोपकार से ओतप्रोत इस होम -हवन में पूरा संचालक मंडल ही नेपथ्य में , निशब्द और मौन है. पुण्य से उपजे ईगो को दफन करते दशक को नमन किया जा सकता है.
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5 लाख लोगों सेवा का रिकार्ड
दस वर्ष के इस कार्यकाल में अभी तक रोटी केंद्र ने 4 लाख 88 हजार यानी करीब 5 लाख रुग्णों की भोजन सेवा का सौभाग्य प्राप्त किया है.
रोजाना औसत 80 से 85 मरीज व उनके परिजन यहाँ उमदा किस्म का ब्रेकफास्ट , लंच , ब्रेक टी और डिनर ग्रहण करते है. आज 14 अगस्त को 94 रुग्णों का भोजन तैयार किया गया था । 12 अगस्त को यही संख्या 110 थी. अस्पताल के वार्ड 18 , 19 , 23 ,24 और इमरजंसी वार्ड 5 में अन्न ही परम ब्रह्म का अनुष्ठान किया जा रहा है.
दस वर्षीय इस तपस्या में आज 14 अगस्त तक कुल 4 लाख 82 हजार ,344 रुग्णों की क्षुधाशान्ति में अल्प सा सहयोग श्याम रोटी केंद्र के सेवको ने दिया है ।इसमें 29हजार 300 आदिवासीयो की तृष्णा तृप्ति का सौभाग्य भी मिल सका. सामान्य श्रेणी के 4 लाख 53 हजार 044 मरीजो ने मौका दिया कि संचालकगण रुग्ण सेवा की गंगा में डुबकी लगा सके.
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आधारस्तंभ है अनिल अग्रवाल 
शक्करवाले के नाम से सर्वत्र परिचित , जय माता ग्रुप के सक्रिय संचालक और उद्योगपति अनिल अग्रवाल इस महायज्ञ के प्रमुख आधारस्तंभ है. फक्कड़ , मुंहफट,हँसमुख , चिरयुवा अनिल बाबू का स्वभाव किसी तमगे या  ट्राफी का तलबगार कभी नही रहा. बगैर बताये भी अनिल उस जगह पर पहुंच ही जाते है जहां निस्वार्थ मदत की दरकार होती है. परमात्मा में अट्टू श्रद्धा ही उनकी हिम्मत भी है. ईश्वर की ऐसी शायद ही कोई चौखट होंगी जहां अनिल की समर्पित सेवा की बूंदे ना बरसी हो. उदारता , दानवीरता , नम्रता ,अपनत्व , भाईचारा और मदत आदि रसायनों से बने व्यक्तित्व के तौर पर अनिल भाई को देखा जाता है. शब्दो -आंकड़ो , रुपये -पैसों में  इस नेक बंदे की बखान करना गैरवाजिब होंगा. लेकिन यह कहा जा सकता है कि  धनी , अमीर और रईसों से अटे पड़े समाज मे अनिलभाई जैसे विरले ही लोग होते है.
63 आजीवन दानदाताओं ( लाइफ टाइम डोनर ) ने श्याम रोटी केंद्र की दशक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ये सभी मान्यवर आर्थिक रूप से भोजन सेवा को बरकरार रखने सदैव तैयार रहते है. इन्हें हम संकटमोचक भी कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होंगी.
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शुद्ध पूर्णतः हाइजेनिक किचन 
शायद जिला अमरावती के किसी स्वनामधन्य रईस का चौका भी इतना पर्यावरण पूरक और शुद्ध ना हो जितना की श्याम रोटी केंद्र है. प्रस्तुत प्रतिनिधि ने जब केंद्र का दौरा किया तो हतप्रभ होना स्वाभाविक था. केंद्र की रसोई को आप फटी आंखों से ही निहार सकते है. सिर्फ संचालको में ही समर्पण है ऐसा नही बल्कि व्यवस्थापक विनायक और उनकी टीम को  तो स्वच्छता अभियान का अचलपुर ब्रांड एम्बेसेडर घोषित किया जाना चाहिए. जुड़वाशहर के लोगो को यदि भरोसा ना हो तो वो बगैर पूर्व सूचना के इस रोटी केंद्र को देखने अवश्य जाये. साफ -सफाई , शुद्धतम पेयजल , निरजंतुकरण , सुसज्जित यथयोग्य जगह रखी सामग्री , करीने से सजे बर्तन पात्र और अध्यात्म व सात्विकता से परिपूर्ण माहौल के सामने हम सभी के चौके फीके मालूम पड़ते है. दूर तक कोई कामचोरी नही मालूम पड़ती. विशेष बात यह है कि रोजाना कोई संचालक यहां रिंग मास्टर बनकर कभी खड़ा नही रहता है. इस इस जंतुरहित अत्यधिक सफाई को विनायक काकड़े और उनकी टीम ही निष्ठा के साथ मेंटेन करते है.
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पौष्टिक स्वास्थ्यवर्धक भोजन -अल्पोहार
एक नई ऊर्जा और उत्साह से रोजाना अनजान , अपरिचित मरीजो को अल्पोहार और भोजन कराना बहोत ही जटिल काम कहा जा सकता है. उसमें भी हर दिन रसोई के व्यंजन , तरकारी में बदल कर रसोई तैयार करना तो बड़ी ही टेढ़ी खीर कहा जायेगा. श्याम रोटी केंद्र में सुबह के नाश्ते में बरबटी , मोठ , मूंग , चना , उपमा , पोहे आदि शक्तिवर्धक खाद्य पदार्थ तैयार किये जाते है. भोजन में जो दोपहर में दिया वो शाम में पुनः रिपीट नही होता और जो शाम में परोसा वो सुबह नही परोसा जाता.  दोनों वक्त स्वास्थमय भोजन की व्यवस्था की जाती है. दोपहर में चार बजे चाय और बिस्कुट मरीजो में नई उमंग का संचार करते है.
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भारतीय शैली का खुला भोजनकक्ष
मरीजो के साथ आते परिजनों के बैठने के लिए रोटी केंद्र के ही बिल्कुल सामने संस्था ने ही एक विशाल , स्वच्छ और हवादार भोजनकक्ष बनाया है. यहाँ मरीज की देखरेख को आये उसके संगी साथी इत्मीनान से बैठकर भोजन ग्रहण करते है. इस कक्ष के निर्माण में विधायक बच्चू कडू के विशेष योगदान की जानकारी विनायक ने दी
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अत्याधुनिक यंत्र सामग्री से लैस हुई रसोई 
दशकपूर्ती के अवसर पर परमात्मा के इस दरबार को नई सुविधाओ से सुसज्जित करने का पावन अवसर भी मिला है. श्याम रोटी केंद्र में आज शुक्रवार से चपाती -फुलके तैयार करने की एक यंत्र सामग्री स्थापित की गई है. इससे यहां कार्यरत महिलाओं के समय मे भारी बचत होंगी. इस बचे हुये समय को अन्य जरूरी काम मे लगाया जा सकेंगा. आज जानकारी देते हुए विनायक ने बताया कि उक्त रोटी मशीन के माध्यम से आटे को गूंथना , रोटी के लिए गोले तैयार करना और फिर रोटी को बेलकर तैयार करना आदि सभी काम स्वयंचलित ढंग से पूरे हो जाते है. एक घँटे में यह मशीन 500 रोटी तैयार कर देती है. उक्त यंत्र के माध्यम से हर रुग्ण को अब गरमागरम रोटियां परोसी जा सकेंगी. शासकीय रुग्णालय में मदत की दरकार रखते असहाय मरीज की सेवा में अर्पण की गई उक्त व्यवस्था को तारीफ -ए -काबिल कहा जाना चाहिए. श्याम रोटी केंद्र के इस उपक्रम को स्वास्थ्य सेवा से जुड़े चिकित्सको द्वारा खूब सराहा जा रहा है. उपजिला अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ जाकिर भी इस सेवा का अभिन्न अंग बन चुके है.
अस्पताल के अधिकारी और स्टाफ का कहना है कि समय पर योग्य आहार मिलने से मरीज को तेजी से स्वास्थ्यलाभ मिलता है. दवाखाने में दी जाती औषधि व गोलियों के साथ भोजन आवश्यक घटक होता है. डॉक्टरों के अनुसार मरीज की 50 फीसदी तबियत उसे मुहैया कराए जाते अतियोग्य भोजन से ही ठीक हो जाती है. श्याम रोटी केंद्र को रोज सुबह अस्पताल में भर्ती मरीजो के नाम , वार्ड नंबर की जानकारी मिल जाती है. मरीजो की अन्न सेवा होने के बाद उस वार्ड में नियुक्त परिचारिका उस मरीज सूची को प्रमाणित कर देती है.
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हर माह 180 दानदाता कर रहे सेवा
श्याम रोटी केंद्र ने जुड़वाशहर व आजूबाजू परिसर के लोगो के किसी त्योहार अथवा उत्सव मनाने के नजरिये में भी एक आमूलभुत परिवर्तन ला दिया है. जो लोग इस संस्था के कार्यो से प्रभावित है वो अब अपने निजी सेलिब्रेशन , जन्मदिन , पुण्यतिथि, श्राद्ध , तीज-त्योहार , विवाह की वर्षगांठ आदि प्रसंग पर श्याम रोटी केंद्र पहुंच कर रुग्णों की सेवा का पतित पावन अवसर प्राप्त करते है. कोई भी व्यक्ति स्वयं इच्छा से, सद सद विवेक से मात्र तीन हजार रुपये में इस अन्न परम ब्रह्म सेवा में सहभागी हो सकता है
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सर्वधर्म – समभाव सेवा
सेवा का यह अनुष्ठान भारतीय संविधान के सभी पहलुओं पर खरा उतरता है. किसी मरीज की सेवा उसका धर्म और जात देखकर नही की जाती. इसके विपरीत किसी रुग्ण से उसकी निजी जिंदगी के बारे में जानकारी लेने से भी सख्त परहेज किया जाता है. परमात्मा ने जिस मनुष्य को भेजा है बस उसी की सेवा कर हम इस वैतरणी को पार कर सकते है. इस मूलमंत्र के साथ अन्न यज्ञ की आहुति दी जाती है.

 

 

  • मान्यवरों के अभिप्राय

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मै श्याम रोटी केंद्र की निस्वार्थ सेवा देखकर अभिभूत हूँ. यदि आप लोग  मेलघाट आदिवासी अंचल के धारणी मुख्यालय पर यह केंद्र  शुरू करते है तो वंचित तबके की और भी ज्यादा मदत की जा सकेंगी.
सुजाता सौनिक स्वास्थ्य मंत्रालय , प्रिंसिपल सेक्रेटरी , मंत्रालय मुंबई 
Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) | Twitter
रुग्ण सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है. श्याम रोटी केंद्र की संकल्पना ही प्रेरणादायी है. ऐसी संस्था ही समाज की संवेदना को जीवित रखती है. अभिनंदन व शुभकामनाएं.
देवेंद्र फडणवीस , मुख्यमंत्री , महाराष्ट्र

Deepak Ramchandra Sawant

अतिशय सुंदर उपक्रम संचालित किया जा रहा है. रुग्णों को पूर्णतः हाइजीनिक लंच व डिनर दिया जा रहा है. आज मरीजो को पूरी तरह से सिजाया भोजन मिल रहा । संपूर्ण राज्य में यह उपक्रम शुरू किया जाना चाहिए.
डॉ दीपक सावंत , स्वास्थ्य मंत्री , महाराष्ट्र

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