अमरावती

60 दिन में हो निर्णय, अन्यथा तीव्र आंदोलन होगा

अमरावती के सरकारी मेडिकल कॉलेज का मुद्दा तपा

  • कृति समिति की बैठक में लिया गया निर्णय

  • प्रतिनिधि मंडल करेगा मुख्यमंत्री से चर्चा

अमरावती/दि.9 – अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए तमाम प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली गयी थी. किंतु मौजूदा सरकार द्वारा अमरावती के सरकारी मेडिकल कॉलेज को मिलनेवाली निधी का प्राधान्यक्रम बदलकर वह निधि सिंधुदूर्ग व अलीबाग जिले के हिस्से में दे दी गई है. यह सीधे-सीधे सरकार द्वारा विदर्भ क्षेत्र के साथ किया गया अन्याय है. जिसे कदापि सहन नहीं किया जायेगा. हम सरकार को 60 दिनों का अल्टीमेटम दे रहे है. इन 60 दिनों के दौरान सरकार द्वारा इस मसले को हल कर लिया जाना चाहिए. अन्यथा अमरावतीवासियों द्वारा तीव्र आंदोलन किया जायेगा. इस आशय का निर्णय अमरावती सरकारी मेडिकल कॉलेज कृति समिती द्वारा आयोजीत बैठक में लिया गया है.
गत रोज सरकारी मेडिकल कॉलेज के विषय को लेकर स्थानीय आयएमए हॉल में कृति समिती द्वारा एक बैठक बुलायी गयी थी. जिसे संबोधित करते हुए समिति के संयोजक किरण पातुरकर ने कहा कि, अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज हो, यह किसी दल विशेष की नहीं, बल्कि समस्त अमरावतीवासियोें की मांग है. जिसके लिए अमरावती के हजारों नागरिकों द्वारा हस्ताक्षर करते हुए सरकार को ज्ञापन सौंपा गया था. साथ ही पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटील, डॉ. रणजीत पाटील, डॉ. अनिल बोंडे एवं डॉ. सुनील देशमुख ने पिछली सरकार के समय इस विषय को लेकर महत प्रयास किये. वहीं वर्ष 2019 में सांसद नवनीत राणा तथा विधायक रवि राणा व सुलभा खोडके द्वारा इस महाविद्यालय हेतु आवश्यक 11 तरह की एनओसी प्राप्त करवाकर दी थी. किंतु राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही यह विषय ठंडे बस्ते में चला गया और मंत्री परिषद में रहनेवाले स्थानीय नेताओं ने इस विषय की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यहीं वजह रही कि, अमरावती के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को मिलनेवाली निधी की प्राथमिकता को बदलकर सिंधुदूर्ग को प्रथम प्राथमिकता मिल गयी, क्योेंकि अमरावती से प्रस्ताव पेश करने में विलंब हो गया. ऐसे में अब प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुख्यमंत्री से मुलाकात करते हुए प्रारूप प्रस्तुत किया जायेगा और पहली प्राथमिकता के साथ निधि मंजूर करवाने को प्राथमिकता दी जायेगी. यदि इस संदर्भ में सरकार द्वारा आगामी 60 दिनोें के भीतर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है, तो अमरावतीवासियों द्वारा मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर सडक पर उतरते हुए तीव्र आंदोलन किया जायेगा.
इस बैठक को संबोधित करते हुए किरण पातुरकर ने कहा कि, अमरावतीवासियोें द्वारा विगत 35 वर्षों से अमरावती जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज उपलब्ध कराये जाने की मांग की जा रही है. जिसके लिए वर्ष 2016 में आंदोलन किया जाना शुरू किया गया. इसी दौरान पीडीएमसी में घटित हादसे में कुछ छोटे बच्चों की मौत हो गयी थी. जिसके बाद देखते ही देखते इस मांग ने आंदोलन का रूप धर लिया. उस समय अमरावती मेडिकल कॉलेज को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मांग को लेकर बेहद सकारात्मक थे और राज्य के तत्कालीन आरोग्य मंत्री गिरीश महाजन के साथ इस विषय को लेकर चर्चा भी की गई. इसी दौरान प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो, ऐसी योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई, और राज्य के 7 शहरों में मेडिकल कॉलेज शुरू करने को अनुमति दी गई. जिसमें अमरावती का भी समावेश था. पश्चात एक उच्च स्तरीय समिती अमरावती पहुंची. जिन्हेें पांच से छह जगहे दिखाई गयी. जिसमें से कोंडेश्वर के पास स्थित 27 एकड जमीन सभी सुविधाओं से युक्त थी. साथ ही अमरावती में पहले से ही 750 बेडवाले अस्पताल की सुविधा उपलब्ध रहने के चलते यह समिती अमरावती को मेडिकल कॉलेज देने के संदर्भ में पूरी तरह से सकारात्मक थी और यहीं रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गयी थी. जिसकी वजह से मेडिकल कॉलेज के लिए कोेंडेश्वर के पास स्थित जगह प्राप्त करने हेतु 11 तरह के ना-हरकत प्रमाणपत्र हासिल किये गये. जिसके बाद जिलाधीश ने भी यह जगह मेडिकल कॉलेज के लिए हस्तांतरित कर दी. साथ ही विगत मार्च माह के दौरान हुए राज्य विधानमंडल अधिवेशन के दौरान उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने अमरावती में मेडिकल कॉलेज शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन इस काम के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा जिस तरह से ध्यान दिया जाना चाहिए था, वह नहीं किया गया. ऐसे में सरकार ने मेडिकल कॉलेज की प्राधान्य सूची बनाते समय अमरावती जिले का विचार नहीं किया. बैठक में यह माना गया कि, अमरावती का प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज यहां से कोंकण में स्थलांतरित नहीं हुआ है. ऐसे में यह जरूरी है कि, अमरावती जिले के जनप्रतिनिधियों ने इस मेडिकल कॉलेज के लिए तुरंत मुख्यमंत्री व गृहमंत्री के साथ बैठक करनी चाहिए तथा मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय को लेकर निर्णय किया जाना चाहिए. इस हेतु सभी अमरावतीवासियों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाया जाना चाहिए.
इस बैठक में शिवसेना के महानगर प्रमुख प्रवीण हरमकर ने कहा कि, कृति समिती तथा जिला प्रशासन द्वारा निधि के संदर्भ में कोई भी पत्र सरकार को नहीं दिया गया. ऐसे में सिंधुदूर्ग जिले से प्रस्ताव मिलने पर वहां के लिए निधि उपलब्ध करा दी गई है. ऐसे में अमरावती जिले से भी पूरे प्रारूप का पत्र सरकार को भेजा जाना चाहिए. जिसके बाद अमरावती मेें भी सरकारी मेडिकल कॉलेज जरूर बनेगा.

सीएस बंगले के पास खाली पडी 25 एकड जमीन पर भी हो विचार

इस बैठक में यह विषय भी रखा गया कि, यदि कोेंडेश्वर मार्ग पर सरकारी मेडिकल कॉलेज बनाया जाता है, तो वहां पर अलग से अस्पताल भी बनाना होगा, जो मरीजोें के लिहाज से काफी दूर पडेगा. वहीं यदि इस प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को अमरावती शहर के बीचोेंबीच बनाया जाता है, तो इसे जिला सामान्य अस्पताल व सुपर कोविड अस्पताल से जोडा जा सकता है. जो मेडिकल छात्रोें के साथ-साथ मरीजों के लिहाज से भी काफी सुविधापूर्ण हो सकेगा. ऐसे में जिला शल्य चिकित्सक के निवासस्थान के पास खाली पडी 25 एकड जमीन के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए. और ऐसा करते समय किसी के भी द्वारा अपने ही निर्वाचन क्षेत्र मेें मेडिकल कॉलेज हो, ऐसी जिद नहीं रखी जानी चाहिए. क्योेंकि यह सर्वसामान्य लोगोें के अधिकार का मसला है. साथ ही इससे समूचे जिले एवं संभाग के विद्यार्थियों का शैक्षणिक भविष्य जुडा हुआ है. अत: इस मसले को लेकर सभी ने एकजूटता दिखानी चाहिए.
इस बैठक में कृति समिती के संयोजक व भाजपा शहर अध्यक्ष किरण पातुरकर, डॉ. अविनाश चौधरी, एड. प्रशांत देशपांडे, प्रवीण हरमकर, लखन राज, सदाभाउ पुन्शी, रामा सोलंके, प्रणीत सोनी, मंगेश खोंडे, सतीश करेसिया, छाया अंबाडकर, डॉ. लांडे, सुषमा कोठीकर, प्रा. रवींद्र खांडेकर, संध्या टिकले, डॉ. संजय तीरथकर, डॉ. वसंत लुंगे, लविना हर्षे, मिलींद बांबल, मीना पाठक, सुधीर भारती, वैभव चिंचालकर, आत्माराम पुरसवानी, ओमप्रकाश पुन्शी, लखन राज, सुनील सावरकर, सचिन रासने, सचिन सूर्यवंशी, राजेश किटुकले, ललीत समदूरकर, डॉ. शरद बावनेर, गजानन देशमुख, सुरेंद्र कालबांडे, डॉ. वसंत लुंगे, सत्यजित राठोड, चंद्रशेखर कुलकर्णी, भूषण हरकूट, कुणाल सोनी, शुभम वैष्णव, रोशन गौड, शितल वाघमारे, राम महाजन, शैलेंद्र मेघवानी, राज यादव, अविनाश देउलकर, डॉ. संजय तीरथकर, सोनाल नाईक, पंचफुला चव्हाण, अजय सारसकर, अंकित जैन, सचिन जैन, प्रकाश राठी, नंदकिशोर अग्रवाल, राजेंद्र नांगलिया, अतुल देशमुख, संजय आठवले, शेख शफी शेख हाफिज, रीन बोहोक, तनुजा देशमुख, सुचिता बीरे, गंगा खारकर, ओम मावले, प्रतिक इंगले, नरेंद्र देशमुख, सुनील ददलानी, राजेश कुलकर्णी, नितीन सोनोने, गौतम यादव, डॉ. कबीर वासनकर, सुमित कलाने, दिनेश राठी, मनोज काले, आशिष तायडे, सचिन पाटील, नरेेंद्र देशमुख, मनीष पिंपले, किशोर जाधव, बालासाहब सावरकर, रविकिरण वाघमारे, अंजली उईके, सौरभ अढावू, रवी साहू, प्रमिला जाधव, अलका सप्रे, डॉ. अशोक लांडे, माला दलवे, राम खराते आदि उपस्थित थे.

‘अमरावती मंडल’ ने उठाया था सबसे पहले मसला

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, सिंधुदूर्ग व अलीबाग को पहली प्राथमिकता के साथ मेडिकल कॉलेज के लिए निधि उपलब्ध कराये जाने की जानकारी मिलते ही अमरावती के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज का मसला सबसे पहले ‘दैनिक अमरावती मंडल’ द्वारा ही पूरी प्रखरता के साथ उठाया गया था. साथ ही इस विषय को लेकर सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियोें व नेताओें से उनके विचार जाने गये थे. जिसके बाद शासकीय मेडिकल कॉलेज कृति समिती द्वारा इस विषय को लेकर अपनी हलचलें तेज की गई, और अब यह मामला एक बार फिर तूल पकडता नजर आ रहा है.

इस मामले को लेकर कोई राजनीति न की जाये

वहीं इस विषय पर अपने विचार रखते हुए राज्य की कैबिनेट मंत्री तथा जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने कहा कि, अमरावती के लिए मंजूर सरकारी मेडिकल कॉलेज को सिंधुदूर्ग स्थलांतरित नहीं किया गया है, बल्कि सिंधुदूर्ग से जरे प्रस्ताव आया था, वह कोरोना काल के दौरान प्रलंबित पडा था, और इसे अब सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है. इस संदर्भ में कल ही उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ चर्चा हुई है, और अमरावती के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के मसले को भी जल्द ही हल कर लिया जायेगा. ऐसे में विपक्षी दलोें द्वारा इस विषय को लेकर किसी तरह की कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए.

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