* दर बढाए जाने की हो रही मांग
अमरावती/दि.7 – मनपा क्षेत्र के प्रभागों में रोजाना होने वाले साफ-सफाई के ठेके को समयावृद्धि देने को लेकर प्रशासन की नीति अब तक तय नहीं हुई है. आगामी 1 वर्ष के लिए की जाने वाली इस समयावृद्धि को पुरानी दर से दिया जाए, या वृद्धिंगत दर से, यह अभी स्पष्ट नहीं है. साथ ही प्रभाग निहाय अथवा झोन निहाय ठेका देने का फैसला भी प्रशासन ने नहीं किया है. जिसके चलते ठेकेदारों में काफी हद तक संभ्रम का माहौल है और आधे से अधिक ठेकेदार अब अपना ठेका छोडने के लिए तैयार है.
बता दें कि, मनपा क्षेत्र में 22 प्रभाग के लिए 22 ठेकेदार तथा बाजार क्षेत्र के लिए 1 ठेकेदार ऐसे कुल 23 ठेकेदारों की साफ-सफाई व कचरा संकलन के लिए नियुक्ति की गई है. जिन्हें प्रतिमाह 9 लाख रुपए के आसपास देयक अदा किए जाते है. विगत 3 माह से ठेकेदारों के देयक लटके हुए है. ऐसे में उनमें काफी हद तक नाराजगी देखी जा रही है. वहीं कई ठेकेदारों ने कर्ज पर वाहन खरीदे है और उन्हें मनपा की वजह से नुकसान सहन करना पड रहा है. यह ठेका 5 वर्ष पहले 3 साल के लिए दिया गया था. जिसे आगे चलकर 2 बार एक-एक वर्ष के लिए बढाना था. जिसके तहत जिससे पहले एक बार एक वर्ष की समयावृद्धि दी जा चुकी है. वहीं दूसरे वर्ष की समयावृद्धि का मामला अधर में लटक गया है. समयावृद्धि देने के लिए 10 फीसद की दरवृद्धि करने के बात निविदा में कहीं गई थी. लेकिन इसके लिए गुणवत्ता की शर्त भी लगाई गई थी. मनपा के काम हेतु नियुक्त 23 में से कुछ ने पुरानी दरों पर काम करने की तैयारी दर्शायी है. वहीं आधे से अधिक ठेकेदार दरवृद्धि किए जाने की मांग कर रहे है और पुरानी दर पर ठेके की अवधि को बढाए जाने का विरोध करते हुए ठेका छोडने के लिए भी तैयार है. सहमति व विरोध की इस पार्श्वभूमि को देखते हुए सफाई ठेके को समयावृद्धि देने का निर्णय अधर में लटका पडा है.
उल्लेखनीय है कि, इस समय मनपा में प्रशासक राज चल रहा है. जिसके चलते ठेके को समयावृद्धि देने का निर्णय प्रशासन को ही लेना है. इससे पहले मनपा प्रशासन ने झोन निहाय ठेका करने का प्रस्ताव भी विचाराधीन रखा था. लेकिन इसे लेकर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है. वहीं जारी माह के अंत मेें पुराने ठेके की अवधि खत्म होती आ रही है.
* 4 माह के देयक प्रलंबित
साफ-सफाई के ठेकेदारों के विगत 4 माह से मनपा प्रशासन के पास देयक प्रलंबित है. 15 वे वित्त आयोग की निधि से देयक देने का प्रावधान था. लेकिन वित्त आयोग की निधि नहीं आने के चलते प्रशासन भी रकम अदा करने में असमर्थ साबित हुआ. जहां एक ओर मनपा की तीजोरी में निधि नहीं रहने के चलते मनपा प्रशासन देयक अदा नहीं कर पा रहा. वहीं दूसरी ओर अपने कामों का पैसा नहीं मिलने से ठेकेदारों में असंतोष व्याप्त है.
* दरवृद्धि की मांग
4 वर्ष पहले ठेका लिया गया, उस समय इंधन व देखभाल पर होने वाले खर्च और आज के खर्च में काफी बडा फर्क है. इन दिनों बडे पैमाने पर खर्च बढ गया है. उस वक्त इंधन के दाम 62 रुपए प्रतिलिटर थे, जो अब बढकर 94 रुपए प्रतिलिटर के आसपास पहुंच गए है. इसके साथ ही देखभाल सहित अन्य बातों पर होने वाले खर्च मेें भी इजाफा हुआ है. जिसके चलते ठेकेदारों द्बारा ठेके की दरें बढाए जाने की मांग की जा रही है.