अमरावतीविदर्भ

निर्णय शक्ति मजबूत होना जरुरी

पूज्य संत डॉ. संतोष महाराज के विचार

प्रतिनिधि/दि.२५
अमरावती-सफलताएं और विफलताएं यह एक ही सिक्के के दो पहलु है. लेकिन इन दो पहलुओं को चुनते समय हम हमारी निर्णय शक्ति को समझ नहीं पाते है. निर्णय लेने में हम हमेशा हडबडाते है. अच्छाई व बुरायी का रास्ता चुनते समय हमें यह समझ नहीं आता है कि क्या सही है और क्या गलत है इसलिए निर्णय लेते समय निर्णय शक्ति मजबूत होनी चाहिए. जिस व्यक्ति की निर्णय शक्ति मजबूत होती है उसकी दिशा भी ठीक रहती है और दशा भी ठीक होती है. वह इंसान जीवन मे कभी दुखी नहीं होता है. इस आशय के मार्मिक विचार पूज्य संत डॉ. संतोष महाराज ने व्यक्त किए. बता दे कि, शिवधारा आश्रम में झूलेलाल चालिहा साहब का फेसबुक पर लाइव प्रसारण चल रहा है. पूज्य संत डॉ. संतोष महाराज ने बताया कि, संसार हो या रुहनियत अध्यात्म जगत हमारे संस्कार, शिष्टाचार, हमारा बोलना, हमारा आचरण इससे हमारा प्रभाव पडता है और साथ-साथ सफलता मिलती है. हमारा बोलना भी मर्यादित होना चाहिए. मीठा प्यार देने वाला हमारा आचरण अच्छा व सम्मान देने वाला होना चाहिए. इन सब पर निर्भर हे हमारी सफलता. हम बडे डॉक्टर हो गए, इंजीनियर हो गए लेकिन हमारा बोलना अच्छा नहीं तो डिग्री होते हुए भी हमें सफलता नहीं मिलती. संसारी ज्ञान के साथ-साथ उतना आवश्यक है. हमारा संस्कार बेकिस मैनर्स इतना बोलना, बैठना, खाना, व्यवहार करना आदि.
संत डॉ. संतोष महाराज जी ने आगे कहा कि, बताते हुए अफसोस होता है कि लोग संसारी कामकाज करते समय कोई बहाना नहीं करते है. वहीं अगर दुकान पर जाना है, शॉपिंग करने जाना है, घुमने जाना है तो हम आसानी से चले जाते है. लेकिन उसी समय अगर कहा जाए तो ध्यान स्मरण करों, पूजा पाठ करों,किसी असहाय के काम के लिए बाहर जाओ, भक्ति करों तो बहाना करते है. वैसे देखा जाए तो हम किसी को धोखा नहीं दे रहे है, हम अपने आप को धोखा दे रहे है. कहा गया है जैसे हंडपंप का पानी सूख जाता है तो वापस पानी लाने के लिए ऊपर से पानी डालते है और पानी आ जाता है. उसी तरह हमारे पुराने संस्कार हमारे पुराना किया हुआ अच्छा काम, अच्छे कर्म की विभक्ति चाहे वो पिछले जन्म की क्यों न हो इस जन्म में अगर छोटी उम्र कोई संत संग मिला, अच्छा परिवार मिलता है तो जल्दी ही उसे रंग लग जाता है. छोटी उम्र में ही बहुत भक्ति का रंग लगा हुआ होता है. जिससे अच्छी सफलता, यश व नाम मिलता है. कुछ लोगों का कहना है कि हम पूजा-पाठ, ध्यान, स्मरण, कर्म, धर्म इतना करते है, फिर भी फल दिखाई क्यों नहीं देता. ऐसा नहीं है वह किया हुआ कहीं नहीं जाता. पॉजीटिव जमा होती है. एक न एक दिन उसका फल मिलेगा, हां लेकिन जल्दी इसलिए नहीं दिखाई दे रहा कि पिछले जन्म में कुछ हमारा जमा किया हुआ नहीं है.

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