किराणा दुकानों में वाईन बेचने का फैसला है गलत
पूर्व सभापति दीपाली विधले ने किया सरकारी नीति का निषेध
अचलपुर/दि.28 – अचलपुर नगर पालिका की पूर्व शिक्षा सभापति तथा ख्यातनाम सामाजिक कार्यकर्ता दीपाली विधले ने राज्य सरकार द्वारा राज्य की किराणा दुकानों सहित जनरल स्टोर्स व सुपर मार्केट में वाईन की बिक्री को अनुमति दिये जाने के संदर्भ में लिये गये फैसले का निषेध किया है. साथ ही इस फैसले को भारतीय संस्कारों व संस्कृति के लिहाज से पूरी तरह गलत बताया है.
इस संदर्भ में पूर्व सभापति दीपाली विधले ने कहा कि, आज भी शराब पीने को हमारे समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है तथा शराब पीनेवाले व्यक्ति को अच्छा इन्सान नहीं माना जाता. क्योंकि शराब पीने की वजह से किसी भी व्यक्ति में अच्छा-बुरा सोचने की समझ व शक्ति खत्म हो जाती है. साथ ही कई तरह की अपराधिक वारदातें व दुर्घटनाएं भी शराब पीने की वजह से ही घटित होती है. ऐसे में सरकार ने शराब पीने की प्रवृत्ति पर पाबंदी व प्रतिबंध लगाना चाहिए. किंतु इससे उलट राजस्व बढाने के नाम पर राज्य सरकार द्वारा लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जिसके तहत अब गली-मोहल्लों में स्थित किराणा दुकानों व सुपर मार्केट जैसे स्थानों पर वाईन की बिक्री को अनुमति दी जा रही है. पूर्व सभापति विधले के मुताबिक यह फैसला उत्तर महाराष्ट्र व पश्चिम महाराष्ट्र के अंगूर व गन्ना उत्पादक बडे किसानों के फायदे को ध्यान में रखकर लिया गया है, ताकि मद्यार्क की अधिक से अधिक बिक्री व खपत हो सके. किराणा दुकानों में वाईन की बिक्री का समर्थन करनेवाले लोगों को भी आडे हाथ लेते हुए पूर्व सभापति दीपाली विधले ने कहा कि, शराब की तरह ही वाईन में भी मद्यार्क यानी अल्कोहोल का प्रमाण रहता है. जिससे नशा होता है और यदि घरोें के आसपास ही बडे सहज ढंग से वाईन की बिक्री सुलभ की जाती है, तो जल्द ही छोटी आयुवाले बच्चों में भी वाईन पीने की प्रवृत्ति बढने से इन्कार नहीं किया जा सकता, जो आगे चलकर नशे की गर्त में भी फंस सकते है. ऐसे में यह फैसला एक तरह से शराब पीने को सामाजिक मान्यता देने की तरह है. जिसका कतई समर्थन नहीं किया जा सकता. अत: सरकार ने अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. इसके साथ ही पूर्व सभापति दीपाली विधले ने विदर्भ क्षेत्र के संतरा उत्पादन व संतरा प्रक्रिया उद्योग की ओर सरकार द्वारा की जाती अनदेखी पर भी रोष प्रकट करते हुए कहा कि, सरकार जिस तरह से गन्ना व अंगूर उत्पादक किसानों की भलाई के लिए फैसले लेती है, उसी तरह विदर्भ क्षेत्र के संतरा उत्पादकों के लिए भी फैसले लिये जाने की सख्त जरूरत है और इसके लिए विदर्भ क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाते हुए राज्य सरकार पर आवश्यक दबाव बनाना होगा, ताकि विदर्भ क्षेत्र के संतरे व केला उत्पादकों सहित यहां के किसानों के भी अच्छे दिन आये.