अंतिम वर्ष की परीक्षा हेतु विद्यापीठ के सक्षम प्राधिकरण ले निर्णय
शैक्षिक महासंघ ने उच्च व तंत्रशिक्षा मंंत्री को सौंपा ज्ञापन
अमरावती प्रतिनिधि/दि.३ – सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा के टाईमटेबल व अन्य नियोजन की जल्द से जल्द घोषणा करनी चाहिए. साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षा हेतु विद्यापीठों के सक्षम प्राधिकरणों को निर्णय लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. इस आशय का निवेदन अखिल भारतीय शैक्षणिक महासंघ द्वारा राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत को सौंपा गया है. इस निवेदन में कहा गया है कि, परीक्षा होगी अथवा नहीं इस संभ्रम में रहनेवाले सभी विद्यार्थी इस समय जबर्दस्त मानसिक तनाव का सामना कर रहे है. ऐसे में उन्हें इस द्विधा मनस्थिति से बाहर निकालने हेतु परीक्षाओं को लेकर जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करना जरूरी है. इसके साथ ही विधी मंडल की मान्यता के बाद अस्तित्व में आये एवं महाराष्ट्र विद्यापीठ अधिनियम अंतर्गत मान्यता प्राप्त विद्यापीठों के अधिकार कायम रखते हुए संबंधित प्राधिकरणों को उनके परिक्षेत्र की परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य तथा पाठ्यक्रम के प्रारूप के अनुसार परीक्षाओं का संचालन कर विद्यापीठ उचित निर्णय ले सके. साथ ही न्यायालय के निर्णय के अनुरूप सरकार ने विद्यार्थियों हेतु अत्यावश्यक स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात व निवास आदि सुविधाओं के लिए विशेष योजनाएं चलाते हुए परीक्षाओं को सुविधाजनक बनाने हेतु प्रयास करना चाहिए. इस निवेदन में कहा गया कि, परीक्षाओें को लेकर विद्यापीठ की प्रचलित पध्दति में समयानुरूप बदलाव करते हुए कोरोना संक्रमण काल के लिए नये नियम बनाये जाने चाहिए. जिनका कडाई के साथ पालन होना चाहिए. जिसके अधिकार व जिम्मेदारी विद्यापीठों को सौंपी जानी चाहिए. इसी तरह शिक्षा क्षेत्र की पवित्रता बनाये रखने, गुणवत्ता को अबाधित रखने तथा विद्यार्थियों के हितों को प्राथमिकता देने के संदर्भ में विद्यापीठ द्वारा लिये गये हर एक निर्णय में शैक्षिक महासंघ द्वारा सरकार एवं प्रशासन का पूरी तरह से साथ दिया जायेगा.
सरकार दे राहत
संवैधानिक पध्दति का अवलंब करते हुए राज्य सरकार ने विद्यापीठ को परीक्षाओं का नियोजन करने देना चाहिए और विद्यार्थियों की सुरक्षा की दृष्टि से अन्य सभी आवश्यक उपाययोजनाएं पूरी करनी चाहिये. इस विषय को लेकर सरकार द्वारा सहानुभूतीपूर्वक व सकारात्मक ढंग से विचार कर तत्काल कार्रवाई करते हुए विद्यार्थियों, पालकों, शिक्षकों व महाविद्यालयोें को राहत देनी चाहिए.
– प्रा. प्रदीप खेडकर अध्यक्ष, अ.भा. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ