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‘एआरटी’ के कारण मृत्युदर में गिरावट

राज्य में 2.40 लाख से अधिक एचआईवी बाधित मरीज

अमरावती/दि.12 – एचआईवी बाधित मरीजों को जीने के लिए सरकार ने एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) नि:शुल्क उपलब्ध कर दी. इस उपचार प्रणाली के कारण एचआईवी बाधित मरीजों की रोग प्रतिकारक शक्ति बढने से उनके मृत्युदर में गिरावट आने की जानकारी सूत्रों ने दी है. वर्तमान में राज्य में 2 लाख 40 हजार 165 एचआईवी बाधित मरीज है.
एचआईवी बाधित मरीजों पर उपचार के लिए अभी भी परिणामकारक दवाई नहीं है. केवल मरीजों की रोग प्रतिकारक शक्ति बढाकर उनकी आयु बढाने के प्रयास किये जाते है. इसके लिए कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी लागू की है. इसके लिए 2004 में नागपुर, सांगली, मुंबई और छत्रपति संभाजी नगर ऐसे 4 स्थानों पर एआरटी सेंटर स्थापित किये गये. लेकिन एआरटी गोली शुरु कर बीच में ही छोड देने से पिछले 20 साल में तबीयत बिगडने से 1 लाख 6 हजार 553 बाधितों की मृत्यु हुई है. इसमें 66 हजार 523 पुरुष, 36 हजार 39 महिला, 177 तृतीयपंथी और 3814 बालकों का समावेश है. ऐसी जानकारी नेटवर्क ऑफ पुणे बॉय पिपल लिविंग विथ एचआईवी नामक संस्था के विजय भेंडे ने दी है.

* राज्य में 83 एआरटी और 236 लिंक एआरटी केंद्र
शुरुआत में 4 स्थानों पर रहे एआरटी सेंटर समय के साथ बाधितों की होने वाली असुविधा को टालने के लिए जिलास्तर पर शुरु किये गये है. तहसीलस्तर पर भी यह सुविधा उपलब्ध होने के लिए लिंक एआरटी सेंटर शुरु किये गये. वर्तमान स्थिति में 83 एआरटी और 236 लिंक एआरटी सेंटर शुरु है. इन केंद्रों पर जाकर एचआईवी बाधित मरीज नियमित गोलियां लाकर उसका सेवन करते है.

* दवाई से वजन नियंत्रित रहता है
एआरटी गोली के सेवन से वजन नियंत्रित रहता है और रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है. एचआईवी के विषाणु इस गोली के कारण कम होते है. यह बीमारी पहले व्यक्ति को मरने की राह दिखाती थी. लेकिन इस बीमारी का प्रमाण अब कम होने लगा है. नये संक्रमण भी कम हुए है. इस गोली का यह फायदा है.
– गजानन जायभाये,
विहान प्रकल्प व्यवस्थापक.

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