फूलों से सजाएं राधाकृष्ण की रथ यात्रा धूमधाम से
बोराला में 200 वर्षो की परंपरा का जतन
* ढाई दिनों के तीर्थ का समापन शानदार
दर्यापुर/दि.16– फूलों से सजाए गये रथ, ढोल, ताल, मृदंग की थाप, भक्तिगीत एवं श्रध्दा से निकाली गई राधाकृष्ण रथ यात्रा से बोराला सराबोर हो गया था. 200 वर्षो की परंपरा का जतन करते हुए यहां ढाई दिनों के तीर्थ का समापन शानदार अंदाज में किया गया. ग्राम दैवत का ऋण उतारने का यह अनूठा उपक्रम कई लोगों को आकर्षित कर गया.
* घरों के सामने रंगोली, स्वागत
गांव के हनुमान मंदिर में कलश स्थापना की गई थी. तीसरे दिन दो छोटे बच्चों को राधाकृष्ण बनाया गया. पारंपरिक पोशाख में सजावट कर उनकी पूजा की गई सध्या समय फूलों से सजाए गये रथ पर राधा और कृष्ण को बैठाया गया. संपूर्ण गांव में रथयात्रा निकाली गई. महिला भजनी मंडल भी उत्साह से सहभागी हुए. ग्रामीणों ने घरों के सामने पानी छिडक कर, रंगोली निकाल कर स्वागत किया. रथ घर के सामने आने पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा के चरण धोए. आरती उतारी. नारियल बधारकर प्रसाद बांटा.
* कलश स्थापना का इतिहास
बोराला गांव में 1835 में प्लेग फैला था. महामारी के कारण लोगों की जान खतरे में पड गई. कई लोगों की मौत भी हो गई. ऐसे में राजपूत समाज के मुख्य मनुकचंद ने वैशाख सुदी सप्तमी को ढाई दिन के कलश स्थापना का निर्णय किया. सभी ग्रामीणों ने इसे मान्य किया. तब से गांव में यह परंपरा चल रही है, ऐसी जानकारी उत्तमराव कडू महाराज ने दी. उन्होने बताया कि बोराला में बाद में कोई महामारी या बीमारी नहीं आयी.
* बेटियां भी आती है पीहर
गांव की विवाहित बेटियां इस उत्सव में सहभागी होने यजमान सहित मायके आती है. विसर्जन के दिन गांव का कोई व्यक्ति बाहर गांव नहीं जाता. बल्कि गांव के बाहर गये लोग यहां लौट आते है. उत्साह से उत्सव में सहभागी होते हैं .