अमरावती/ दि.18 – केंद्र सरकार की ओर से आयात शुल्क घटाएं जाने तथा घरेलु व वैश्विक उत्पादन में बढोतरी के चलते खाद्य तेल के थोक बाजार मूल्य में कमी आयी है. जिसके चलते कुछ हद तक महिलाओं को राहत मिल गई.
यहां बता दें कि, बीते अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 तक खाद्य तेलों की कीमतों में काफी कीमतों में 130 फीसदी तक बढोतरी हुई थी. जिसके चलते गृहिणियों का बजट बिगड रहा था. केंद्र सरकार की ओर से खाद्य तेलों की कीमतों में हुए बढोतरी पर अंकुश लगाने के लिए उपाय योजनाएं की गई. जिसके बाद केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में 3 गुना कमी लायी. वहीं इसी दौरान अमेरिका और ब्राझिल में रिकॉर्ड उत्पाद सट्टेबाजी ठप्प हो गई. जिसकी वजह से देश में सोयाबीन की कीमतें बीते 11 महिनों में निचले स्तर पर आ गई है. मलेशिया से भारत में बडी मात्रा में पामोलिव ऑईल की आयात होने के बावजूद भी उत्पादन बढने से गिरावट की दर शुरु हो गई है. हालिया दिनों में खाद्य तेलों की कीमतों पर नजर डाले तो जहां पहले सोयाबीन तेल के दाम 145 रुपए प्रति किलो थे. वह अब 135 रुपए प्रति किलो है. सूरजमुखी तेल की दरे 148 रुपए प्रति किलो थे. यह अब 140 रुपए प्रति किलो है. ताड का तेल 140 रुपए प्रति किलो है. जबकि ताड के तेल की कीमत 130 रुपए प्रति किलो है. हालांकि मूंगफल्ली तेल के दामों में किसी भी तरह की गिरावट नहीं आयी है. मूंगफल्ली तेल के दाम पहले भी 165 रुपए प्रति किलो थे और अभी भी 165 रुपए प्रति किलो ही है. बीते एक महिने में तेल की कीमतों में 5 से 25 फीसदी तक कमी आयी है, लेकिन खुदरा बाजार को 10 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा राहत नहीं मिली है. खाद्य तेल के दाम घटने से कुछ हद तक गृहिणियों को राहत मिली है.