* शहर में चहुुंओर उमंग, उत्साह व उल्हास का माहौल
अमरावती/दि.2- गत रोज गौबारस से पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व दीपावली का प्रारंभ हो गया. जिसके तहत आज बडी धूमधाम से धनतेरस यानी धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जा रहा है. लंबे समय बाद कोविड की महामारी का खतरा कम होने और प्रतिबंधक नियमों के शिथिल होने की वजह से सभी लोगों मेें यह त्यौहार मनाने को लेकर जबर्दस्त उमंग, उल्हास व उत्साह का वातावरण है तथा दीपावली पर्व की खरीददारी हेतु बाजारों में जबर्दस्त भीडभाड है. ऐसे में शहर के सभी बाजारों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पहले की तरह रौनक लौट आयी है. साथ ही शहर की सडकों पर इस समय पांव रखने की भी जगह उपलब्ध नहीं है.
इस समय शहर के सभी क्षेत्रों में जमकर दीपावली की खरीददारी का दौर चल रहा है और सबसे अधिक भीडभाड सराफा बाजार व कपडा बाजार में देखी जा रही है. इसके अलावा किराणा दुकानों पर भी विभिन्न वस्तुओं की लंबी-चौडी लिस्ट लेकर लोगबाग पहुंच रहे है और दीपावली के फराल हेतु विभिन्न किराणा साहित्य को खरीदा जा रहा है. साथ ही साथ मिठाई, घरों की साज-सज्जा, व्यक्तिगत साज-श्रृंगार, रंगोली व पटाखों की दुकानों में भी अच्छी-खासी ग्राहकी देखी जा रही है. साथ ही साथ इस समय तक सभी लोगों के घरों की रंगाई-पुताई व दुरूस्ती का काम लगभग पूरा हो गया है और लोगबाग अपनी खरीददारी भी लगभग निपटा चुके है और अब दीपावली का पर्व बडी धूमधाम के साथ मनाने की तैयारियां हो रही है. जिसके लिए शहर की सडकों पर सजी लाही, बताशे व दीयों की दुकानों से खरीददारी की जा रही है. ऐसे में हर ओर लोगों का मानो खरीददारी के लिए जमकर मजमा लगा हुआ है.
* जगह-जगह सजी रंगोली की दुकाने
भारतीय संस्कृति में सभी पर्व एवं त्यौहारों पर रंगोली निकालने की परंपरा है. इसके तहत घरों के दरवाजों के सामने और आंगन में आकर्षक रंगों एवं आकार-प्रकारवाली रंगोलियां साकार की जाती है. ऐसे में सभी त्यौहारों के समय शहर में जगह-जगह रंगोली की दुकाने सज जाती है. इसी श्रृंखला में इस समय भी शहर में जगह-जगह पर सडकों के किनारे रंगोली की दुकाने सजी हुई है. जहां पर विभिन्न रंगोंवाली रंगोलिया बिक्री हेतु उपलब्ध है और महिलाएं बडे चाव के साथ रंगोली की खरीददारी कर रही है. इसके साथ ही इन दिनों रंंगोली की डीजाईन हेतु रेडिमेड साचे भी बाजार में बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिन्हें महिलाओं द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है.
* फरसाण व मिष्ठान्न की दुकानें सजी
इस समय जहां एक ओर शहर के प्रतिष्ठित मिष्ठान्न भंडारों में दीपावली पर्व के निमित्त एक से बढकर एक स्वादिष्ट मिष्ठान्न, फरसाण व व्यंजन बिक्री हेतु उपलब्ध कराये गये है. वहीं दूसरी ओर शहर में जगह-जगह पर कई लोगों व बचत समूहों द्वारा दीपावली पर्व पर रेडिमेड फराल उपलब्ध कराने हेतु मिष्ठान्न, फरसाण व व्यंजन की दुकानें लगाई गई है. जहां पर दीपावली के फराल हेतु भरपूर वेराईटी बिक्री के लिए उपलब्ध है. चूंकि इन दिनों कामकाजी व्यस्तता बढ जाने की वजह से लोगबाग पहले की तरह अपने घरों में दीपावली का फराल नहीं बनाते और रेडिमेड फराल खरीदना पसंद करते है. ऐसे में प्रतिवर्ष शहर में जगह-जगह पर रेडिमेड फराल की दुकाने सज जाती है.
* पटाखों पर महंगाई का साया
दीपोत्सव पर्व पर आतिषबाजी का अपना महत्व एवं आकर्षण होता है. ऐसे में इस समय शहर में तीन प्रमुख स्थानों पर पटाखों की चिल्लर बिक्री हेतु पटाखा बाजार सज गये है. जिसके तहत सायन्सकोर मैदान, गाडगेबाबा मैदान व बडनेरा के सार्वजनिक मैदान पर पटाखा बाजार लगाया गया है. हालांकि अभी पटाखा बाजार में ग्राहकी का जोर पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है और पटाखों की छिटपूट खरीददारी ही चल रही है. वहीं दूसरी ओर इस वर्ष पटाखों की कीमतों में करीब 15 से 20 फीसद की वृध्दि हुई है. जिससे पटाखा विक्रेताओं मेें इस वर्ष अपने व्यवसाय को लेकर काफी हद तक चिंता का माहौल है. अमरावती चिल्लर पटाखा व्यापारी संघ के सचिव ज्ञानेश्वर महाराज पातशे के मुताबिक पेट्रोल व डीजल के दामों में हो रही वृध्दि की वजह से मालढुलाई महंगी हो गई है. जिसका सीधा असर पटाखों की कीमतों पर भी पडा है. साथ ही मालढुलाई की दरे बढने की वजह से अन्य सभी वस्तुओं की दरें भी बढ गई है. जिसकी वजह से इस बार दीपावली पर महंगाई का साया देखा जा रहा है. चूंकि विगत डेढ वर्ष से कोविड संक्रमण की भेट चढ गया. जब तमाम व्यापार-व्यवसाय पूरी तरह से ठप थे और लोगों के पास आय व रोजगार के कोई साधन नहीं थे. वहीं अब विगत कुछ माह से जन-जीवन सामान्य होने की ओर बढ रहा है. ऐसे में लोगबाग बेहद जरूरी चीजों पर ही खर्च कर रहे है. चूंकि इस समय आय के स्त्रोत काफी हद तक सीमित है और दीपावली पर्व पर लगनेवाली वस्तुओं पर होनेवाले खर्च का प्रमाण अधिक है. अत: लोगबाग संभलकर खर्च करने को प्राथमिकता दे रहे है.
* सराफा व बर्तन बाजार के लिए लाभी रही धनतेरस
यूं तो धनतेरस के पर्व का संबंध आयुर्वेद व स्वास्थ्य से होता है. किंतु बदलते वक्त के साथ इसे धन यानी संपत्ति के साथ जोड लिया गया है और लोगबाग इस दिन बडे पैमाने पर चल-अचल संपत्ति की खरीदी-बिक्री का व्यवहार करते है. साथ ही धनतेरस के पर्व पर सोने-चांदी के आभूषणों की खरीददारी को भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन नये बर्तनों की खरीदी का भी रिवाज है. ऐसे में आज पूरा दिन शहर के सराफा एवं बर्तन बाजार में अच्छी-खासी भीडभाड देखी गई और पूरा दिन सराफा एवं बर्तन बाजार के प्रतिष्ठानों में जबर्दस्त ग्राहकी का दौर चलता रहा.
* कपडा प्रतिष्ठानों में रही तौबा भीड
दीपावली के पर्व पर लक्ष्मीपूजनवाले दिन सभी घरों में परिवार के सभी सदस्य नये-नवेले कपडे पहनकर लक्ष्मीपूजन करते है. जिसके बाद आतिषबाजी का आनंद लिया जाता है. ऐसे में इस समय शहर के सभी कपडा प्रतिष्ठानोें व ब्राण्डेड शोरूम में कपडों की खरीददारी के लिए भी जबर्दस्त भीडभाडवाला माहौल है और लोगबाग अपने घरों के सभी सदस्यों हेतु बडे चाव के साथ नये कपडे खरीद रहे है. सबसे अधिक भीडभाड और चहल-पहल साडियों के शोरूम में देखी जा रही है. जहां पर महिलाओं द्वारा दीपावली पर्व के लिए एक से बढकर एक आकर्षक साडियां खरीदी जा रही है. ऐसे में अमरावती शहर के बीचोंबीच स्थित कपडा बाजार सहित शहर से बाहर स्थित बिजीलैण्ड, ड्रीम्जलैण्ड व सिटीलैण्ड जैसे व्यापारिक संकुलों के कपडा प्रतिष्ठानों में भी जबर्दस्त ग्राहकी और चहल-पहल देखी जा रही है.
* इलेक्ट्रीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स व फर्निचर शोरूम में भी शानदार भीड
करीब दो वर्ष के अंतराल पश्चात एक बार फिर पहले की तरह दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है. ऐसे में लोगबाग अपने-अपने घरों के लिए भी आकर्षक साज-सज्जा में कोई कोर-कसर नहीं रखना चाह रहे. जिसके तहत इस समय इलेक्ट्रीकल्स व इलेक्ट्रॉनिक शोरूम सहित विभिन्न फर्निचर प्रतिष्ठानों में भी लोगों की अच्छी-खासी भीडभाड है. जहां पर लोग अपनी जरूरत के हिसाब से अपने घरों के लिए विभिन्न तरह के उत्पाद खरीद रहे है.
* आकर्षक रोशनाई से जगमगा रहा शहर
दीपोत्सव पर्व के निमित्त शहर में सभी घरों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर आकर्षक रोशनाई की गई है. जिसके तहत रंग-बिरंगी बल्बवाली बिजली की लडियों से बनी झालरे सजाने का काम पूरा हो चुका है. साथ ही गत रोज गौबारस पर्व के निमित्त घरों के सामने दीप पंक्तियां भी सजाई गई. इसके अलावा लगभग सभी घरों के सामने आकर्षक रंग व आकार-प्रकारवाले आकाश दिये भी लगाये जा चुके है. ऐसे में इस समय पूरा शहर शाम होते ही आकर्षक रोशनी में नहाया हुआ दिखाई देता है. इस रोशनी को देखकर सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि, शायद अब कोविड की महामारी का अंधेरा कहीं दूर और काफी पीछे छूट गया है.
* दुपहिया व चारपहिया वाहनों की जमकर हुई बिक्री
दशहरा पर्व की तरह धनतेरस के मुहूर्त पर भी दुपहिया व चारपहिया वाहनों की जमकर बिक्री होती है. जिसके लिए लोगबाग काफी पहले से वाहनों की बुकींग करके रखते है और शुभ मुहूर्त पर वाहनों की डिलीवरी ली जाती है. ऐसे में आज शहर के सभी दुपहिया व चारपहिया वाहनों के शोरूम में अपने-अपने पसंदीदा वाहनों की डीलीवरी लेने हेतु ग्राहकों की अच्छी-खासी भीडभाड रही और नये चमचमाते वाहनों की डिलीवरी प्राप्त करनेवाले लोगों व परिवारों के चेहरों पर वाहन खरीदी की खुशी तथा उमंग व उल्हास देखे गये.
* सडक किनारे फूटकर व अस्थायी दुकानों पर भी भीड
जहां एक ओर शहर के बाजारों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में इस समय जबर्दस्त ग्राहक व भीडभाड का आलम है, उसी तरह दीपावली पर्व पर लगनेवाली विभिन्न तरह की सामग्रीयों की बिक्री हेतु शहर के सभी इलाकों में सडकों के किनारे अस्थायी फूटकर दुकाने सज गई है. जहां पर लाही-बताशे, फल-फूल, दीये-मटके, झाडू व लक्ष्मीपान की दूकाने लगी हुई है और इन सभी दुकानों पर यह सब सामान खरीदने के लिए लोगों की अच्छी-खासी भीडभाड भी उमड रही है. साथ ही साथ शहर में कई स्थानों पर लक्ष्मीमूर्ति की बिक्री हेतु भी स्टॉल लगे हुए है. कुल मिलाकर करीब दो वर्ष के अंतराल पश्चात दीपावली के पर्व पर आर्थिक व्यवहारों का पहियां एक बार फिर तेजी से घूमता नजर आया और समाज के सभी घटकों तक किसी न किसी तरह इन आर्थिक व्यवहारों का लाभ व अंशदान भी पहुंचा.
* महाजनी बही खाते व नई कलम की खरीदी पर जोर
दीपावली को नये वर्ष का प्रारंभ मानते हुए बलिप्रतिपदा यानी एकम् की तिथी से नये बही खाते लिखने की भी परंपरा है. जिसके लिए धनतेरस के पर्व पर ही नये बही खाते और नई कलम की खरीदी की जाती है. जिसका लक्ष्मीपूजनवाले दिन पूजन करते हुए अगले दिन एकम् की तिथी से नये बही खातों का श्री गणेश किया जाता है. यद्यपि इस समय कंप्यूटराईज्ड अकाउंटिंग का चलन बढ गया है, लेकिन व्यापार-व्यवसाय में महाजनी बही खातों का आज भी बडा महत्व है. ऐसे में धनतेरसवाले दिन महाजनी बही खातों की बिक्री करनेवाले प्रतिष्ठानों पर भी अच्छी-खासी भीडभाड देखी गई. बता दें कि, महाजनी बही खातों को तैयार करने की अपनी विशिष्ट पध्दति है और इन बही खातों का आज भी परंपरागत व्यवसायों में बडे पैमाने पर उपयोग किया जाता है.