अमरावती

वन विभाग की नौकरी छोडना चाहती थी दीपाली

दुबारा देनेवाली थी एमपीएससी की परीक्षा, अमरावती सेंटर मिला था

अमरावती/दि.12 – महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा देकर वन परिक्षेत्र अधिकारी पद पर नियुक्त हुई दीपाली चव्हाण ने 9 साल तक वनविभाग में सेवा देने के बाद अपनी नौकरी छोडने तथा दोबारा एमपीएससी की परीक्षा देकर किसी अन्य सरकारी विभाग में नौकरी करने का निर्णय लिया था. जिसके तहत उन्होंने एमपीएससी की पूर्व परीक्षा हेतु आवेदन किया था और एमपीएससी द्वारा उनका हॉल टिकट भी जारी किया जा चुका था. जिसके बाद उन्होंने पूर्व परीक्षा की तैयारी हेतु उपवन संरक्षक के पास अवकाश मिलने हेतु आवेदन भी किया था. किंतु इससे पहले ही दीपाली चव्हाण ने अपने वरिष्ठाधिकारियों की प्रताडना से तंग आकर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
बता दें कि, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बडे पदों पर रहनेवाले वरिष्ठाधिकारियों द्वारा कनिष्ठ व क्षेत्रीय कर्मचारियों की प्रताडना किये जाने का आरोप काफी पहले से लगाया जाता रहा है और दीपाली चव्हाण द्वारा की गई आत्महत्या की वजह से यह आरोप काफी हद तक सच भी साबित हुआ है. गुगामल वन्यजीव विभाग अंतर्गत रहनेवाले हरिसाल की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने आत्महत्या करने से पहले लिखे गये सुसाईड नोट में अपनी आत्महत्या के लिए अपने वरिष्ठाधिकारियों को जिम्मेदार बताया. साथ ही इस घटना के बाद वन विभाग से संबंधित कई बातें उजागर होने लगी. इस मामले में निलंबीत आरोपी उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार फिलहाल न्यायीक हिरासत के तहत जेल में बंद है. वहीं तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तथा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक एम. श्रीनिवास रेड्डी को नागपुर स्थलांतरित किया गया है.

एमपीएससी की परीक्षा देकर आरएफओ बनी थी दीपाली

दीपाली चव्हाण ने वर्ष 2011 में एमपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और वे वन परिक्षेत्र अधिकारी पद पर नियुक्त हुई थी. तीन वर्ष का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें वर्ष 2014 में पहली नियुक्ती मेलघाट अंतर्गत धारणी तहसील के धुलघाट रेल्वे में वन परिक्षेत्र अधिकारी के तौर पर मिली. पश्चात उन्हें हरिसाल स्थानांतरित किया गया और वे विगत तीन वर्षों से हरिसाल में कार्यरत थी. अमूमन एमपीएससी की परीक्षा देकर उत्तीर्ण होने के बाद संबंधित व्यक्ति अपना पूरा सेवाकाल उसी विभाग में पूर्ण करता है. किंतु दीपाली चव्हाण वनविभाग की सेवा में त्रस्त हो चुकी थी और नौ वर्ष पहले दी गई एमपीएससी की परीक्षा देने के लिए एक बार फिर नये सिरे से तैयारी कर रही थी, ताकि इसे उत्तीर्ण कर वे किसी अन्य सरकारी महकमे की सेवा में चली जाये.

एमपीएससी की पूर्व परीक्षा के लिए मांगी थी छुट्टी

दीपाली चव्हाण ने एमपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के साथ ही वन परिक्षेत्र अधिकारी पद की नौकरी छोडने का पक्का निर्णय कर लिया था और परीक्षा हेतु आवेदन भी किया था. यह परीक्षा विगत वर्ष 11 अक्तूबर को होनेवाली थी. जिसके लिए उन्हें अमरावती स्थित श्री समर्थ विद्यालय का परीक्षा केंद्र मिला था. ऐसे में उन्होंने 6 अक्तूबर को उपवन संरक्षक के नाम पर पत्र लिखकर परीक्षा के लिए अवकाश मांगा था. किंतु कोरोना काल के चलते 11 अक्तूबर को परीक्षा रद्द कर दी गई और दीपाली चव्हाण वह परीक्षा नहीं दे पायी. इसके बाद वे पुनर्वसन व अन्य कामों सहित अपने खिलाफ दर्ज एट्रॉसिटी के मामले को लेकर लगातार मानसिक प्रताडना झेलती रही. जिससे तंग आकर अंत में उन्होंने विगत 25 मार्च को अपने सरकारी आवास पर अपनी सरकारी पिस्तौल से खुद पर गोली चलाते हुए आत्महत्या कर ली.

छह वर्ष के दौरान कई संकटों का किया सामना

अपने छह वर्ष के सेवाकाल में दीपाली चव्हाण सलई गोंद व सागौन तस्करों की नाक में दम कर रखा था और वनसंपदा की रक्षा करते हुए कई संकटों का सामना भी किया. लेकिन इसके लिए उन्हें वरिष्ठाधिकारियों से प्रोत्साहन व सहयोग मिलने की बजाय आर्थिक व मानसिक तकलीफे मिली. जिससे त्रस्त होकर उन्होंने वन विभाग की नौकरी छोडने तथा एकबार फिर एमपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया था. किंतु दुर्भाग्य से दीपाली चव्हाण का यह निर्णय पूरा नहीं हो पाया.

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