अमरावती

श्री रुक्मिणी पीठ में भव्य दिव्य रूप से मनाया गया दीपावाली पर्व

कल होगा भव्य अन्नकूट व महाप्रसाद कार्यक्रम

अमरावती- दि.28 समीपस्थ कौंडण्यपुर स्थित श्री रूख्मिणी विदर्भ पीठ में विगत रविवार 23 अक्तूबर को धनतेरस का पर्व बडी धूमधाम के साथ मनाया गया. इस समय श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठाधिश्वर अनंतश्री विभूषित परमपुज्य जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्यजी (श्री समर्थ माउली सरकार) के हाथों सैंकडो भक्तों की उपस्थिति में जगतजननी माता रूख्मिणी तथा आयुर्वेद के जनक भगवान श्री धन्वन्तरी का अनुष्ठानपूर्ण पूजन किया गया. धनत्रयोदशी के पर्व पर दिवाली पर्व के प्रथम दिन सुबह से ही श्री रुक्मिणी पीठ पर परमपुज्य जगद्गुरूजी के दर्शन एवं आशीर्वाद पाने के लिए लोगों का आना शुरू हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा.
बता दें कि, इस धर्मपीठ की स्थापना के प्रथम वर्ष से ही यहां पर दिपावली बडे उत्साह से मनाई जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि, माता रूख्मिणी प्रति वर्ष दीपावली के समय अपने मायके यानि कौंडण्यपुर में निवास करती हैं और इसी महत्ता के कारण श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ में दिवाली का पर्व बड़े जोर शोर से मनाने का रिवाज हैं. प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी ओंकारेश्वर एवं उज्जैन से पंडितों का आगमन हुआ. धनतेरस के शुभ दिन पंडितो ने शुभ मूहर्त अनुसार गोधूलि बेला में पवित्रीकरण एवम शुद्धिकरण के साथ पूजा प्रारंभ की. माता महालक्ष्मी पुजन हेतु नवग्रह व षोडश मातृका मंडल आदि स्थापित किये. पूजा का प्रारंभ विशेषतः महालक्ष्मी, धन्वंतरी, कुबेर पुजन से किया गया, जिसमे सर्वप्रथम जगद्गुरु स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्यजी एवं ब्राह्मणों द्वारा स्वस्तीवाचन किया गया. इसके बाद भगवान श्री गणेश, श्री वरुण देव आदि देवताओं का पूजन किया गया. भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी को स्थापित किया. वेद मंत्रोच्चार ध्वनी के बीच शास्त्रोक्त विधी-विधान से अति दुर्लभ समुद्र मंथन का विधी संपन्न कर माता महालक्ष्मी के प्रागट्य उत्सव के साथ मुख्य अनुष्ठान का प्रारंभ हुआ. इस समय सभी देवता को आवाहन एवं स्थापित करते हुए उनका पूजन किया गया. साथ ही अन्य देवी देवताओं का अभिषेक षोडषोपचार पूजन किया गया. अभिषेक के बाद भगवान का श्रृंगार छप्पन भोग का प्रसाद लगाकर भगवान की आरती की गई. तत्पश्चात परमपुज्य जगद्गुरु स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्यजी द्वारा सभी को आशीर्वचन से लाभान्वित ज्ञानरूपी अनुभूति दी गई. इस धनतेरस के पावन पर्व में सैंकड़ों भक्तो ने पूर्ण उपस्थित रहकर दर्शन आनंद एवं अद्भुत पूजा विधि से तृप्ति का अनुभव किया. श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ ने सभी अमरावती नगरवासियों को और स्वामीजी के अनंत भक्तो को दिपावली की शुभकामनाएं दी. उपस्थित सभी भक्तो ने महाप्रसाद का लाभ लिया. जिसके उपरांत इस महापुजा का समापन हुआ.
इसके पश्चात सोमवार, 24 अक्तूबर को दीवाली पर्व के दूसरे दिन रूप चतुर्दशी और दिपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या, दोनों ही पर्वों का अद्भुत संयोग हुआ. ब्रम्हमूहर्त में श्री जगतगुरु भगवान द्वारा अभ्यंग स्नान के साथ दिन प्रारंभ हुआ. तत्पश्चात महाकाली माता का हवन-पूजन सुबह के सत्र में श्री गुरुदेव भगवान के सानिध्य में भक्तों द्वारा किया गया. दीवाली की विशेष पूजन अनुष्ठान सायंकालीन सत्र में शुरू हुआ. इसकी शुरूआत पवित्रीकरण, आसनशुद्धि, के बाद श्री गणपति भगवान और वरुण भगवान के पुजन से हुई. साथ ही आवाहित स्थापित देवताओं का पूजन किया गया. बाद में महालक्ष्मी, गणपति, विष्णु आदि देवताओं का अभिषेक पूजन हुआ. महाभिषेक के पश्चात देवताओं का श्रृंगार, दीपावली पूजन, बहीखाता पूजन, महाकाली पूजन, तुला पूजन, गौ माता का पूजन करके, छप्पन भोग प्रसाद महालक्ष्मी जी को लगाकर आरती की गई.
इसके उपरांत बुधवार, 26 अक्तूबर को गौमाता की पूजा और गोवर्धन पूजा की गई और गुरूवार, 27 अक्तूबर को यानी दीवाली के अंतिम दिन भाईदूज पर्व पर सभी देवताओं का पुजन किया गया. साथ ही भक्तो को श्री गुरुदेव द्वारा आशीर्वचन दिया गया. इस तरह श्री रुक्मिणी पीठ में भव्य-दिव्य दीपावली पर्व मनाने का सिलसिला कई वर्षो से चला आ रहा हैं. उत्स्फूर्त प्रतिसाद प्रतिवर्ष भक्त अपनी निरंतर उपस्थिति दर्ज कराकर देते हैं.
इसके उपरांत कल शनिवार 29 अक्तूबर की सुबह 10 बजे से श्री रुक्मिणी पीठ में अन्नकूट महाप्रसाद का आयोजन किया जायेगा. शनिवार, 29 अक्तूबर को सुबह 10 बजे से इसकी शुरुआत होगी. श्री रुक्मिणी पीठ ट्रस्ट द्वारा महाप्रसाद का सामूहिक निमंत्रण सभी भक्तों, विश्वस्तों और प्रासादिक लाभ लेने के इच्छुक सभी लोगों को दिया गया है. ज्यादा से ज्यादा संख्या में सहपरिवार उपस्थित रहने का अनुरोध मंदिर के पदाधिकारियों ने किया है.
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