गांधी चौक पर सुबह 6.30 बजे बढिया नाश्ता तैयार
योगेश डोबा, राजेश्वरी डोबा का जीवन संघर्ष
* गरमा-गरम इडली, वडा, उपमा, पोहा
अमरावती/दि.19– शहर का गांधी चौक एरिया अपने आप में अनोखा है. आधी रात को भी यहां कुछ ना कुछ हलचल दिखाई पडती है. यह क्षेत्र पुराने और नये अमरावती को जोडने वाला चौराहा है. यहां बडे सबेरे से अल्पोहार, चाय-पान के ठेले सेवा में जुट जाते हैं. इसी कडी में गत कुछ वर्षों से योगेश डोबा अपनी पत्नी राजेश्वरी के संग गरमा-गरम नाश्ता का स्टॉल लगाते हैं. एकदम किफायती रेट पर इडली सांभार, वडा सांभार, उपमा, पोहा, ढोकला और वह भी बिल्कुल फे्रश. जिससे उन्होंने अल्पावधि में अपने नाश्ते को पसंद करने वाले तैयार कर लिये हैं. विश्व प्रसिद्ध हनुमान आखाडा में वर्जिश, रर्निंग कर लौटे लोग डोबा दम्पति के वडा सांभार, इडली सांभार को पसंद कर रहे हैं.
* मोबाइल फोन का भी काम
योगेश डोबा बडा परिश्रम कर रहे हैं. वे रात से लेकर सुबह 11 बजे तक नाश्ते के इस ठेले के लिए परिश्रम करते हैं, तो दिन में 12 से रात तक वे एमआई मोबाइल शॉप में भी जॉब करते हैं. योगेश बताते हैं कि, जीवन के उतार-चढाव चलते हैं. कभी उनकी स्वयं की मोबाइल शॉपी थी. भागीदारी में उन्हें बडा नुकसान हुआ. कर्ज भी चढ गया था. किंतु हिम्मत न हारते हुए उन्होंने जीवन संघर्ष जारी रखा है. वे खूब मेहनत कर रहे हैं. गांधी चौक पर पंचशील लॉन्ड्री के पास उनका ठेला सबेरे 6.30 बजे सज जाता है. जहां बिल्कुल ताजा नाश्ता मिलता है. पोहे पर मोठ की उसल और बारीक सेव डालकर देते हैं. यह अंदाज भी अंबादेवी के दर्शन हेतु आने वाले भाविकों को पसंद आ रहा है.
* तडके 4.30 बजे से शुरु दिनचर्या
योगेश और राजेश्वरी डोबा की दिनचर्या तडके 4.30 बजे शुरु हो जाती है. वे दहीसाथ में रहते है. वहां से अपने स्टॉल का काफी कुछ सामान तैयार कर लाते हैं. फिर गांधी चौक पर ग्राहक के सामने ही बाकी तैयारी होती है. दिन में भी किराना और सब्जी तरकारी लाने का काम करना पडता है. जिससे देर रात तक काम चलता है.
* कम तेल का चलन
योगेश डोबा बताते हैं कि, कम तेल के पदार्थ इन दिनों अधिक पसंद किये जा रहे. इसलिए उनके पोहे, इडली और ढोकला को सुबह की सैर करने वाले कई ग्रुप बडा पसंद कर रहे हैं. वे आते हैं और डोबा दम्पति और उनके सहयोगियों को काम में जुट जाना पडता है. पार्सल की भी सुविधा योगेश डोबा देते हैं. कई लोग घरों पर ले जाकर चाव से परिवार के साथ नाश्तें का आनंद लेते हैं.
* पुत्री आकांक्षा को पढाना है
योगेश और राजेश्वरी डोबा ने शहर की प्रसिद्ध शाला का कटु अनुभव भी बतलाया. उन्होंने कहा कि, उनकी बेटी आकांक्षा कक्षा 7 वीं की छात्रा है. उसकी पढाई पर ही दोनों ने लक्ष्य केंद्रीत किया है. वे कहते हैं कि, भूतकाल में हुई भूलों को भुलाकर वे खूब परिश्रम कर रहे हैं. उन्हें लाडली आकांक्षा को खूब पढाना है. उसका अच्छा करियर अब डोबा दम्पति का सपना है.