अमरावती

लिकिंग करने वाले कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग

राकांपा तहसील उपाध्यक्ष वालके का कृषि मंत्री को ज्ञापन

मोर्शी/ दि. 23- अमरावती जिले में वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों की खरीद पर लिकिंग की दर बढ़ती जा रही है. किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. जरूरत न होने पर अन्य खाद व दवा भी खरीदनी पड़ती है. किसान पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं और रासायनिक खाद व लिंकिंग की कमी इसे और बढ़ा रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तहसील उपाध्यक्ष रूपेश वालके ने कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार से मांग की है कि कृषि विभाग को तुरंत जांच करनी चाहिए और रासायनिक उर्वरकों पर अन्य उर्वरकों और दवाओं के उपयोग पर रोक लगानी चाहिए.
जिले में रासायनिक खाद की कमी के बाद भारी मात्रा में रासायनिक खाद की आपूर्ति उपलब्ध है. हालाँकि, कुछ रासायनिक उर्वरक कंपनियों द्वारा इस उर्वरक की भारी लिंकिंग की जा रही है. इससे किसानों में आक्रोश फैल गया है. उन्हें भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है और तहसील के कृषि विभाग से तत्काल ध्यान देने की मांग की जा रही है. कृषि विभाग की घोषणा हवा में उड़ती नजर आ रही है.
वर्तमान में, खरीफ सीजन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और खरीफ के मुहाने पर, प्रतिष्ठित उर्वरक कंपनियों ने 24.24.0, 18:18:00, 18.46.0, 10.26.26, डीएपी, यूरिया और अन्य महत्वपूर्ण उर्वरक दिए जा रहे हैं.इससे रासायनिक खाद की 50 किलो की थैली खाद की कीमत से भी महंगी हो रही है, जिससे यह बात सामने आ रही है कि खाद कंपनियों द्वारा किसानों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है. रासायनिक खाद खरीदते समय देखा जाता है कि खाद बेचने वाली कंपनी दूसरी खाद बेचने के लिए मजबूर हो जाती है और कहा जाता है कि यह खाद हमें 400 या 500 रुपये में खरीदनी पड़ेगी. रासायनिक उर्वरकों की कमी के कारण उत्पादन में भारी गिरावट आयी है. वर्तमान में जिले के कई किसान जैविक खेती की ओर रुख कर चुके हैं, लेकिन शत-प्रतिशत जैविक खेती अभी भी सफल नहीं है, इसलिए कई प्रयोगशील किसानों का कहना है कि रासायनिक खाद के बिना उत्पादन नहीं बढ़ सकता है.

किसानों को न्याय दें
रासायनिक खाद की कमी और लिंकिंग के मामले में शिकायत करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. दुकानदार उसे खाद नहीं देगा, इसलिए इन सबका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है. सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर इस लिंकिंग के लिए जिम्मेदार कौन है? कृषि विभाग को इन सभी मामलों में निष्क्रिय भूमिका न निभाते हुए रासायनिक उर्वरकों के लिंक की जांच करनी चाहिए और किसानों को न्याय देना चाहिए.
– रूपेश वालके, तहसील उपाध्यक्ष,
राकांपा.

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